पूर्व पदाधिकारी हरीश चौधरी ने गाड़ी पर ‘प्रदेश प्रभारी’ की प्लेट लगाकर दिखाया रोब, भाजपा की अनुशासनप्रिय छवि पर उठे सवाल
हिसार/हरियाणा (राजेश सलूजा)। भारतीय जनता पार्टी के सहकारिता प्रकोष्ठ की भंग हो चुकी कार्यकारिणी के पूर्व पदाधिकारी हरीश चौधरी इन दिनों विवादों में हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी निजी गाड़ी पर नंबर प्लेट के ऊपर बड़े-बड़े अक्षरों में “प्रदेश प्रभारी, सोशल मीडिया, भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ” लिखी प्लेट लगाकर न केवल पार्टी अनुशासन की धज्जियाँ उड़ाई हैं, बल्कि आम जनता और प्रशासन को भी गुमराह करने की कोशिश की है।
भंग हो चुकी कार्यकारिणी का पदनाम इस्तेमाल कर रहे हैं हरीश चौधरी
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ की वर्तमान कार्यकारिणी पहले ही भंग की जा चुकी है और निकट भविष्य में नई कार्यकारिणी गठित की जानी है। ऐसे में किसी भी पूर्व पदाधिकारी का पुराने पदनाम का इस्तेमाल करना सीधे-सीधे भ्रामक और अनुचित माना जा रहा है।
भाजपा के नियमों का खुला उल्लंघन
पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के कार्यक्रमों में कई बार यह सख़्त निर्देश दिए जा चुके हैं कि कोई भी पदाधिकारी अपने विज़िटिंग कार्ड पर पदनाम न लिखे, ताकि संगठन के नाम का दुरुपयोग न हो। इसके बावजूद गाड़ी पर बड़े अक्षरों में पदनाम लिखना न केवल नियमों की खुली अवहेलना है, बल्कि भाजपा जैसे अनुशासित संगठन की छवि पर भी गंभीर चोट है।
कार्यकर्ताओं में आक्रोश, जनता हुई भ्रमित
भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि ऐसे कृत्य से जनता को गलत संदेश मिलता है कि हरीश चौधरी अभी भी आधिकारिक रूप से पद पर हैं। कई कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह घटना न केवल सत्ता और पद के दुरुपयोग का उदाहरण है, बल्कि संगठन की साख और गरिमा को भी धूमिल करने वाली है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा जैसे सख़्त अनुशासनप्रिय संगठन में इस तरह की घटनाएँ गंभीर चिंता का विषय हैं। यदि विज़िटिंग कार्ड पर भी पदनाम छापने की मनाही है, तो गाड़ी पर सार्वजनिक रूप से पदनाम लिखकर शक्ति प्रदर्शन करना पार्टी की कार्यसंस्कृति और नैतिक मूल्यों की सीधी अवहेलना है।
तत्काल कार्रवाई की मांग
आम जनता और राजनीतिक जानकारों का स्पष्ट मत है कि भाजपा नेतृत्व को इस मामले को हल्के में नहीं लेना चाहिए। पार्टी को चाहिए कि इस तरह के दुरुपयोग पर तत्काल और कठोर कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में कोई भी पूर्व पदाधिकारी संगठन की साख का इस्तेमाल व्यक्तिगत दबदबा बढ़ाने के लिए न कर सके।

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