“यूपी की शेरनी की दहाड़ से कांपा पाकिस्तान” — ऑपरेशन सिंदूर की नायिका बनीं विंग कमांडर व्योमिका सिंह
पहलगाम हमले के जवाब में दुश्मनों की कब्र खुदवाने वाली बेटी की वीरगाथा
नई दिल्ली/लखनऊ।
हिंदुस्तान की बहादुर बेटियों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सीमाएं अब केवल पुरुषों के लिए नहीं हैं, बल्कि मातृभूमि की रक्षा में बेटियां भी उतनी ही दृढ़ और सक्षम हैं। ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को तबाह करने वाली सैन्य कार्रवाई की जानकारी जब विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में दी, तो पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ताल्लुक रखने वाली विंग कमांडर व्योमिका सिंह न केवल वायुसेना की कुशलतम हेलिकॉप्टर पायलटों में से एक हैं, बल्कि वे हिंदुस्तान की उन चुनिंदा बेटियों में हैं जिन्होंने अपने साहस और समर्पण से आतंक के खिलाफ निर्णायक जवाब दिया।
ऑपरेशन सिंदूर: बदले की एक मिसाइल गाथा
7 मई की रात को भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम हमले का जवाब देते हुए पाकिस्तान और पीओके के भीतर नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबर है। इसके बाद सुबह साढ़े 10 बजे आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने इस सफल अभियान की जानकारी साझा की।
व्योमिका सिंह: नाम ही बन गया प्रेरणा
जब व्योमिका सिंह छठी कक्षा में थीं, तब एक शिक्षक ने उनके नाम का अर्थ पूछा। उन्हें बताया गया कि ‘व्योमिका’ का मतलब होता है – आकाश में उड़ने वाली। तभी से उन्होंने तय कर लिया कि वे एक दिन आसमान की रानी बनेंगी और वायुसेना का हिस्सा बनेंगी।आज, 21 वर्षों के सेवा अनुभव और 25,000 घंटे से अधिक उड़ान के साथ, उन्होंने यह साबित कर दिया कि सपने, जब दृढ़ संकल्प से जुड़े हों, तो वो हिंदुस्तान की सुरक्षा का कवच भी बन सकते हैं।
हेलिकॉप्टर उड़ाने में माहिर, संकट में सबसे आगे
व्योमिका सिंह चेतक और चीता जैसे हेलिकॉप्टरों को दुर्गम पर्वतीय और सीमावर्ती इलाकों में उड़ाने में माहिर हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक कई चुनौतीपूर्ण अभियानों का नेतृत्व किया है। 2004 में 21वें शॉर्ट सर्विस कमीशन (महिला) फ्लाइंग कोर्स के तहत एयरफोर्स में चयनित होने के बाद, वे आज विंग कमांडर के तौर पर हिंदुस्तानी वायुसेना की सबसे भरोसेमंद चेहरों में शामिल हैं।
अरुणाचल से मणिरंग तक – हर मोर्चे पर अव्वल
2020 में अरुणाचल प्रदेश में चलाए गए एक बड़े बचाव अभियान में उन्होंने अपना नेतृत्व दिखाया। 2021 में वे 21,650 फीट ऊंचे माउंट मणिरंग के पर्वतारोहण अभियान में भी शामिल रहीं। यह अभियान न केवल शारीरिक क्षमता बल्कि मानसिक दृढ़ता का भी एक कठिन इम्तिहान था, जिसे उन्होंने सफलता से पार किया।
व्योमिका बनीं प्रतीक — नई पीढ़ी के लिए आदर्श
आज की युवा पीढ़ी के लिए विंग कमांडर व्योमिका सिंह एक आदर्श बन चुकी हैं। उन्होंने साबित किया कि बेटियां केवल घर की जिम्मेदारियां नहीं निभातीं, वे सीमाओं पर खड़े होकर दुश्मन के दांत खट्टे करने की क्षमता भी रखती हैं। उनकी कहानी, उनका साहस और उनकी कार्यशैली आने वाली पीढ़ी की हजारों लड़कियों को सैन्य सेवाओं की ओर प्रेरित करेगी।
नारी शक्ति का सैन्य स्वरूप
जहां एक ओर हिंदुस्तान की बेटियां समाज में शिक्षा, विज्ञान, और प्रशासन के क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों को छू रही हैं, वहीं सेना में उनकी मौजूदगी अब केवल “प्रतिनिधित्व” नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका में बदल रही है। विंग कमांडर व्योमिका सिंह इसका जीवंत प्रमाण हैं।
बेटियों को सिर्फ देखा नहीं, सुना भी जाए — क्योंकि जब वे बोलती हैं, तो दुश्मन कांप उठता है
ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य जवाब नहीं था, यह भारत माता की बेटियों की वह गर्जना थी, जिसने दुश्मन के घर में घुसकर उसकी कब्र खोद दी। यूपी की बेटी व्योमिका सिंह ने बता दिया कि अब हिंदुस्तान की बेटियां सिर्फ राखी नहीं बांधतीं, जरूरत पड़ने पर मिसाइल भी चलाती हैं।

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