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6 जून को निर्जला एकादशी: भगवान विष्णु की कृपा पाने का परम पावन अवसर

"व्रत और पूजा से मिलती है पापों से मुक्ति, सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति" — संजय सर्राफ


रांची।
हिंदू सनातन धर्म में व्रतों की श्रृंखला में सबसे कठिन और पुण्यदायी व्रत निर्जला एकादशी इस वर्ष 6 जून, शुक्रवार को श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाई जाएगी। इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है जो वर्षभर की अन्य एकादशियों का पालन नहीं कर पाते।

श्री कृष्ण-प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट एवं विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने जानकारी देते हुए बताया कि सनातन धर्म में श्री हरि विष्णु की पूजा और आराधना जीवन को दुखों से मुक्त करने वाली और मोक्ष की ओर ले जाने वाली मानी जाती है। उन्होंने कहा, “निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों का समेकित पुण्य प्रदान करता है। इस दिन का कठोर तप मानसिक, आध्यात्मिक और आत्मिक शुद्धि के लिए अत्यंत प्रभावशाली होता है।”

व्रत की महत्ता और मान्यता:

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाने वाला यह व्रत न केवल पापों के क्षालन का माध्यम है, बल्कि यह भक्ति, संयम और आत्मनियंत्रण की पराकाष्ठा भी है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पुराणों के अनुसार, महाभारत काल में भीमसेन को जब महर्षि वेदव्यास ने अन्य सभी एकादशियों का पुण्य एक दिन में प्राप्त करने का उपाय बताया, तब उन्होंने कठिन तप कर निर्जला एकादशी का व्रत किया था। तभी से इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

पूजा-विधि और व्रत का पालन:

  • दशमी तिथि को संयमित भोजन करके, एकादशी के दिन व्रत का संकल्प लिया जाता है।
  • प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा तुलसी पत्र, चंदन, धूप, दीप और फल-फूल से की जाती है।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप कर भक्त भगवान विष्णु से आशीर्वाद की कामना करते हैं।
  • पूरे दिन अन्न और जल का पूर्ण त्याग करते हुए भक्त निर्जला व्रत का पालन करते हैं।
  • रात्रि में जागरण व भजन-कीर्तन कर भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान किया जाता है।
  • द्वादशी तिथि को भगवान को भोग अर्पित कर व्रत खोला जाता है।

मानवता और सेवा का संदेश:

संजय सर्राफ ने यह भी कहा कि, “निर्जला एकादशी केवल उपवास का दिन नहीं है, यह एक अवसर है आत्मावलोकन, परोपकार और आध्यात्मिक उत्कर्ष का। इस दिन जरूरतमंदों को जल, अन्न और वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।”

उन्होंने अपील की कि सभी श्रद्धालु इस अवसर को सामाजिक सेवा के साथ जोड़ें और जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में पानी वितरण, निर्धनों को फलाहार व वस्त्र दान जैसे पुण्य कार्य अवश्य करें।

अंत में: निर्जला एकादशी एक ऐसा अवसर है जब शरीर, मन और आत्मा तीनों की शुद्धि संभव होती है। भगवान विष्णु के चरणों में श्रद्धा रखकर यदि यह व्रत किया जाए, तो जीवन के समस्त संकटों से मुक्ति मिलती है और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है। यह व्रत हमारी धार्मिक चेतना, सामाजिक जिम्मेदारी और आध्यात्मिक उन्नति का संगम है।

6 जून को निर्जला एकादशी: भगवान विष्णु की कृपा पाने का परम पावन अवसर 6 जून को निर्जला एकादशी: भगवान विष्णु की कृपा पाने का परम पावन अवसर Reviewed by PSA Live News on 7:23:00 am Rating: 5

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