क्या सांसद और विधायक सिर्फ प्रदेश और राष्ट्र की बातें ही करेंगे? तो फिर ब्लॉक, थाना और अनुमंडल को कौन सुधारेगा?
झंझारपुर से उठी ये पुकार आज बिहार की आवाज़ बन गई है।
जमीन की रजिस्ट्री, जाति प्रमाण पत्र, वृद्धा पेंशन, राशन कार्ड, पीएम आवास — कोई सरकारी सुविधा ऐसी नहीं बची जो घूस के बगैर आसानी से मिल जाए। फुलपरास, बाबूबरही, मधेपुर, झंझारपुर — हर अनुमंडल में हर ब्लॉक और थाना तक, भ्रष्टाचार अब नीति बन गया है।
और इस सबके बीच एक बड़ा, बुनियादी सवाल खड़ा होता है:
🔴 "क्या सांसद और विधायक सिर्फ संसद और विधानसभा में भाषण देने के लिए चुने जाते हैं?"
🔴 "अगर वे सिर्फ देश और राज्य की बात करेंगे, तो ब्लॉक, थाना, रजिस्ट्री ऑफिस, CO कार्यालय, पंचायत सचिवालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को कौन ठीक करेगा?"
लोकतंत्र की नींव: ब्लॉक, थाना और अनुमंडल
हम भूल गए हैं कि शासन की जड़ें दिल्ली या पटना में नहीं, प्रखंड और अनुमंडल स्तर पर होती हैं।
- यहीं से जनता की फाइलें चलती हैं,
- यहीं पर राशन कार्ड बनते हैं,
- यहीं पर ज़मीन की रजिस्ट्री होती है,
- और यहीं से रिश्वत की जड़ें फैलती हैं।
अगर सांसद और विधायक इन संस्थानों की गारंटी नहीं लेते, तो फिर उनका ‘जन प्रतिनिधित्व’ केवल एक भाषणबाज़ी बनकर रह जाता है।
📌 सत्ता की चुप्पी ही भ्रष्टाचार की ताकत है
आज कोई सांसद ये सवाल नहीं करता कि—
- बाबूबरही रजिस्ट्री ऑफिस में कितनी रिश्वत वसूली गई?
- मधेपुर प्रखंड कार्यालय में कौन-कौन दलाल सक्रिय हैं?
- फुलपरास CO ऑफिस में आय प्रमाण पत्र के लिए कितने लोग ₹500-₹1000 तक रिश्वत देकर काम करा रहे हैं?
- अंधराठाढ़ी सीओ कार्यालय में जमीन परिमार्जन के नाम जो 20 हजार की वसूली हो रहा है वह किसके पास जा रहा है और इसमें किस किस का हिस्सा है?
वे चुप हैं, क्योंकि या तो डरते हैं, या फिर इस तंत्र का हिस्सा बन चुके हैं।
जब जनप्रतिनिधि सिर्फ विवाह भोज, मुंडन और यज्ञ-हवन में शामिल हों,
और सरकारी कार्यालयों की सच्चाई जानने से कतराएं,
तो समझिए कि लोकतंत्र में जनता अकेली रह गई है।
🧭 ब्लॉक और अनुमंडल की गंदगी को कौन साफ करेगा?
✔️ 1. जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय हो
- MP और MLA फंड की तरह, अब ब्लॉक और थाना स्तर पर “जन-जवाबदेही रिपोर्ट” अनिवार्य होनी चाहिए।
- हर महीने सांसद/विधायक को स्थानीय कार्यालयों की कार्यप्रणाली का लेखा-जोखा सार्वजनिक रूप से देना चाहिए।
✔️ 2. जागरूक जनता, जागरूक मीडिया
- जनता को अब RTI और सोशल मीडिया की ताकत से हर स्थानीय कार्यालय का कच्चा चिट्ठा उजागर करना होगा।
- लोकल मीडिया को नेताओं के चरण छूने से ऊपर उठकर जनता के दस्तावेज़ और सबूत दिखाने का साहस करना होगा।
✔️ 3. “ब्लॉक संवाद” अनिवार्य किया जाए
- हर प्रखंड में मासिक जनसंवाद आयोजित हो जहां सांसद, विधायक और SDO/CO एक साथ जनता के सवालों का जवाब दें।
🔊 अब समय है सवाल पूछने का:
“माननीय सांसद जी, विधायक जी—क्या आपके दायरे में सिर्फ पटना और दिल्ली की सड़कें हैं?”
“क्या मधुबनी, झंझारपुर, फुलपरास और बाबूबरही की जनता सिर्फ वोट देने के लिए है?”
“जब थाना रिश्वत से चलता हो, CO ऑफिस बिना पैसे के फाइल न उठाए, रजिस्ट्री ऑफिस लूट का अड्डा बन जाए, तो क्या यह आपका काम नहीं?”
अगर देश और राज्य से बड़ा विषय है—तो वह जनता की रोज़मर्रा की लड़ाई है।
और वह लड़ाई ब्लॉक से शुरू होती है, थाने में जाती है, अनुमंडल में फंसती है, और रजिस्ट्री ऑफिस में दम तोड़ती है।
सांसद और विधायक अगर इसमें मौन हैं, तो वे दोषी हैं—सिर्फ नैतिक रूप से नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था से धोखा करने के लिए।
अब झंझारपुर की आवाज़ सिर्फ एक जिले की नहीं रही।
यह अब हर उस नागरिक की आवाज़ है जो भ्रष्ट सिस्टम से त्रस्त है, और जनप्रतिनिधियों की खामोशी से आहत है।

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