ब्लॉग खोजें

क्या सांसद-विधायक सिर्फ दिल्ली और पटना की बातें करेंगे, तो फिर ब्लॉक, थाना और अनुमंडल में फैले भ्रष्टाचार को कौन ठीक करेगा?

लेखक: अशोक कुमार झा, प्रधान संपादक, रांची दस्तक / PSA Live News


जनता ने वोट देकर जिसे प्रतिनिधि बनाया, वही जनप्रतिनिधि अगर उसकी पीड़ा से मुंह मोड़ ले, तो फिर लोकतंत्र किसी शोकगीत से कम नहीं।

झंझारपुर, फुलपरास, बाबूबरही, अंधराठाढ़ी जैसे क्षेत्रों में स्थित रजिस्ट्री ऑफिस, प्रखंड कार्यालय, थाना, CO कार्यालय और अनुमंडल मुख्यालय आज भ्रष्टाचार के ऐसे अड्डे बन चुके हैं जहाँ बिना घूस दिए एक सामान्य नागरिक का कोई काम नहीं होता। हर सेवा के लिए दलाल सक्रिय हैं, अधिकारी मौन हैं, और प्रतिनिधि नदारद। सवाल यह उठता है कि जब सांसद और विधायक केवल राष्ट्र या राज्य की राजनीति में भाषण देंगे, तो ज़मीनी स्तर पर फैले इस कुशासन को खत्म करने की जिम्मेदारी कौन लेगा?

झंझारपुर का सच, बिहार की पहचान बन गया है

झंझारपुर रजिस्ट्री ऑफिस हो या फुलपरास अनुमंडल, हर दफ्तर में खुलकर रिश्वत मांगी जाती है।

  • जमीन की रजिस्ट्री में तय सरकारी शुल्क के अतिरिक्त 20,000 से 50,000 तक बिना रसीद लिए जाते हैं।
  • जाति, आवासीय, आय प्रमाणपत्र जैसे सामान्य कागज़ों के लिए 500 से 2000 तक की मांग होती है।
  • जमीन का म्यूटेशन या परिमार्जन के नाम पर 20,000 से 2 लाख तक मांगे जाते हैं, जिसका कोई रसीद नहीं होता है ।  
  • वृद्धा पेंशन और राशन कार्ड के लिए दलाल पहले ही बता देते हैं: काम जल्दी कराना है तो पैसा दो।

यह सब कुछ खुलेआम हो रहा है। आम जनता जानती है, कर्मचारी जानते हैं, अफसर जानते हैं, और दुर्भाग्यवश हमारे सांसद और विधायक भी जानते हैंलेकिन सभी चुप हैं।

जनप्रतिनिधि मौन क्यों हैं?

जनता ने अपने जनप्रतिनिधियों को इसलिए नहीं चुना कि वे सिर्फ शिलान्यास करें, यज्ञ में शामिल हों, या भोज खाएं।
जनता ने उन्हें लोकतंत्र का प्रहरी बनाकर भेजा था, ताकि वे उसकी आवाज़ बनें, उसकी पीड़ा को संसद और विधानसभा में उठाएं, और ज़मीनी तंत्र को जवाबदेह बनाएं।

लेकिन आज हालत यह है कि:

  • एक भी विधायक या सांसद ने अब तक झंझारपुर रजिस्ट्री ऑफिस में हो रहे खुले भ्रष्टाचार पर कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं की।
  • किसी ने फुलपरास अनुमंडल या बाबूबरही के ब्लॉक दफ्तरों में जाकर जनता से नहीं पूछा कि आपके साथ क्या हो रहा है।
  • जब जनता रोती है, तो जनप्रतिनिधि दूसरी तस्वीरों में मुस्कराते नज़र आते हैं

यह चुप्पी संयोग नहींसहभागिता का संकेत है।

क्या जनप्रतिनिधि सिर्फ बड़ेमुद्दों के लिए हैं?

जनता का यह सवाल आज बिहार भर में गूंज रहा है:

"क्या सांसद और विधायक सिर्फ दिल्ली, पटना और लखनऊ की राजनीति के लिए चुने गए हैं?"
"
क्या ब्लॉक, थाना, CO ऑफिस, पंचायत सचिवालय इनकी ज़िम्मेदारी नहीं है?"
"
जब प्रखंड स्तरीय कार्यालयों में बिना घूस के कोई काम नहीं होता, तो क्या वह जनता का अपमान नहीं?"

अगर एक सांसद सड़क, पुल और रेल लाइन के उद्घाटन में रुचि रखता है, लेकिन अपने ही क्षेत्र की रजिस्ट्री और प्रमाणपत्र प्रणाली की सफाई में दिलचस्पी नहीं लेता, तो वह अपने दायित्व से भाग रहा है।

क्यों चुप हैं अफसर और जनप्रतिनिधि?

क्योंकि इस भ्रष्टाचार का तंत्र अब लोकतंत्र के दलालोंकी छत्रछाया में फलता-फूलता है।

  • कोई CO बिना ऊपरके इशारे के गलत काम नहीं करता।
  • SDO जानते हैं कि किस बाबू ने कितनी वसूली की, लेकिन वे तब तक कुछ नहीं बोलते जब तक 'ऊपर से आदेश' न मिले।
  • पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराना हो तो वहां भी "कुछ चढ़ाना" पड़ता है।

और इस पूरे तंत्र की छतरी बने हैं हमारे जनप्रतिनिधि, जो या तो इन मामलों में मौन रहकर अप्रत्यक्ष समर्थन देते हैं, या कभी-कभी सक्रिय रूप से इन व्यवस्थाओं से लाभ भी उठाते हैं।

समाधान: अब जनता को ही नेतृत्व करना होगा

अब वक्त आ गया है कि झंझारपुर से लेकर पटना तक जनता अपनी आवाज़ तेज करे। सिर्फ वोट देना काफी नहीं हैजनता को अब हिसाब मांगना भी सीखना होगा।

 RTI का हथियार

हर ब्लॉक, रजिस्ट्री ऑफिस और CO कार्यालय में RTI डालकर पूछिए:

  • कितनी फाइलें लंबित हैं?

 

  • कितने प्रमाणपत्र दिए गए?
  • कितनी शिकायतें आईं, क्या कार्रवाई हुई?

 सोशल मीडिया पर दस्तावेज़ पोस्ट करें

जो भी रिश्वत मांगी जाए, उसका ऑडियो/वीडियो सबूत बनाकर फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब पर सार्वजनिक करें। अब डरने की नहीं, दिखाने की ज़रूरत है।

 जनता संवादअनिवार्य हो

हर महीने सांसद और विधायक को अपने क्षेत्र के ब्लॉक, थाना, अनुमंडल कार्यालय में जनसंवाद आयोजित करना चाहिएखाली भाषण नहीं, फील्ड निरीक्षण और जनता के सवालों का जवाब।

 जन प्रतिनिधि रिपोर्ट कार्ड

हर साल जनसंगठनों को सांसद और विधायक का रिपोर्ट कार्ड प्रकाशित करना चाहिए:

  • कितनी बार क्षेत्र का दौरा किया?
  • कितने भ्रष्टाचार के मामले उठाए?
  • कितने स्थानीय दफ्तरों का निरीक्षण किया?

अब झंझारपुर की आवाज़, पूरे बिहार की क्रांति बननी चाहिए

सवाल बड़ा है, और जवाब और भी बड़ा होना चाहिए।
अगर हमारे सांसद-विधायक राष्ट्र और प्रदेश की बातें करके ब्लॉक और अनुमंडल की सड़ांध से आंखें मूंद लेते हैं, तो फिर लोकतंत्र की यह लड़ाई जनता को खुद लड़नी पड़ेगी।

यह लेख सिर्फ शिकायत नहीं, एक जिम्मेदारी का उद्घोष है।
अब जनता पूछेगी:

माननीय सांसद जी, विधायक जी जब मेरे ब्लॉक में रिश्वत खुलेआम ली जा रही है, आप चुप क्यों हैं?”
क्या आप भी उस हिस्सेदारी में हैं या उस डर में जो आपको सवाल उठाने नहीं देता?”

क्योंकि आज हमें सिर्फ झंझारपुर ही नहीं, पूरे बिहार में या पूरे देश में ऐसे विधायक और सांसद चाहिये, सिर्फ पटना और दिल्ली की बात न करें, बल्कि ब्लॉक, अंचल, थाना, अनुमंडल और रजिस्ट्री ऑफिस जैसे लोकल कार्यालय में हो रहे हमारे आर्थिक दोहन को महसूस करें और उसे पूरी तरह से बंद करने के लिये हमारे साथ सड़कों पर आये और लाठी खाये । और यह तभी संभव हो पायेगा जब गरीब, किसान और मजदूर जाग जाएगा।          

क्या सांसद-विधायक सिर्फ दिल्ली और पटना की बातें करेंगे, तो फिर ब्लॉक, थाना और अनुमंडल में फैले भ्रष्टाचार को कौन ठीक करेगा? क्या सांसद-विधायक सिर्फ दिल्ली और पटना की बातें करेंगे, तो फिर ब्लॉक, थाना और अनुमंडल में फैले भ्रष्टाचार को कौन ठीक करेगा? Reviewed by PSA Live News on 11:03:00 am Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.