रांची। सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप निर्माण को लेकर उपजे विवाद के विरोध में आज विभिन्न आदिवासी संगठनों के आह्वान पर झारखंड बंद का आयोजन किया गया। बंद का व्यापक असर राजधानी रांची सहित आसपास के इलाकों में देखने को मिला, जहां बंद समर्थकों ने कई प्रमुख सड़कों को जाम कर यातायात को बाधित किया।
सुबह से ही विभिन्न संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और सिरमटोली चौक, कचहरी चौक, अल्बर्ट एक्का चौक, रातू रोड और कांके रोड समेत कई महत्वपूर्ण मार्गों पर टायर जलाकर यातायात को ठप कर दिया। इससे शहर के व्यस्त इलाकों में जाम की स्थिति बन गई और आम नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई स्कूलों, निजी कार्यालयों और दुकानों ने एहतियातन अपने दरवाजे बंद रखे।
आदिवासी संगठनों की मुख्य मांग:
आंदोलनकारी संगठनों का आरोप है कि सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप का निर्माण आदिवासी समुदाय की सहमति के बिना किया जा रहा है, जिससे आसपास की ऐतिहासिक सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को खतरा है। संगठनों का कहना है कि यह इलाका परंपरागत आदिवासी भूमि है और वहां रैंप का निर्माण ‘मूलवासी-आदिवासी अस्मिता’ के खिलाफ है।
बंद का असर:
- यातायात ठप: शहर के प्रमुख मार्गों पर कई घंटे तक वाहनों की आवाजाही ठप रही। ऑटो, बस और निजी वाहन चालकों ने भी स्थिति को देखते हुए संचालन बंद कर दिया।
- शैक्षणिक संस्थान प्रभावित: बंद के कारण कई स्कूलों और कॉलेजों में उपस्थिति कम रही, जबकि कुछ संस्थानों ने छुट्टी घोषित कर दी।
- व्यवसायिक गतिविधियां थमीं: शहर के कई प्रमुख बाजारों में दुकानें बंद रहीं। व्यापारी वर्ग ने भी किसी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए स्वेच्छा से बंद में सहयोग किया।
- रेल और हवाई सेवा पर आंशिक असर: रांची रेलवे स्टेशन पर कुछ ट्रेनों की आवाजाही में देरी हुई, जबकि बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर सुरक्षा बढ़ा दी गई और फ्लाइट संचालन सामान्य रहा।
प्रशासन की तैयारियाँ:
बंद को देखते हुए रांची जिला प्रशासन और पुलिस-प्रशासन ने शहर के संवेदनशील इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की थी। पुलिस अधिकारियों ने बंद समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की, जबकि कई स्थानों पर हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा। अब तक किसी बड़ी हिंसा या टकराव की सूचना नहीं मिली है, हालांकि कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
इस बंद को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। कुछ विपक्षी दलों ने आदिवासी संगठनों की मांग को जायज़ ठहराया है और सरकार से रैंप निर्माण पर पुनर्विचार की मांग की है। वहीं सत्तारूढ़ दल ने कहा है कि सरकार विकास कार्यों में पारदर्शिता और संवाद की प्रक्रिया का पालन कर रही है, और सभी पक्षों से वार्ता के लिए तैयार है।
आगे की रणनीति:
आदिवासी संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। साथ ही उन्होंने सरकार से तत्काल रैंप निर्माण कार्य को रोकने और जनसुनवाई आयोजित करने की मांग की है।
सिरमटोली फ्लाईओवर का मामला अब सिर्फ एक निर्माण परियोजना से जुड़ा विवाद नहीं रहा, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता और विकास के टकराव का प्रतीक बनता जा रहा है। सरकार को चाहिए कि वह संवाद और सहमति के ज़रिए इस विवाद का समाधान करे, ताकि विकास कार्यों के साथ-साथ सामाजिक समरसता भी बनी रहे।

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