रामगढ़ के करमा प्रोजेक्ट में अवैध कोयला खनन के दौरान बड़ा हादसा, 8 से 10 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका, खदान पहले से थी बंद
रामगढ़। झारखंड में कोयला माफियाओं की लापरवाही और सरकारी उपेक्षा के चलते एक बार फिर बड़ा हादसा सामने आया है। रामगढ़ जिले के करमा प्रोजेक्ट अंतर्गत सुगिया क्षेत्र में अवैध कोयला खनन के दौरान शुक्रवार देर रात खदान धंस गई, जिसमें 8 से 10 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल है, जबकि प्रशासनिक मशीनरी की सुस्ती पर सवाल उठने लगे हैं।
बंद खदान में चल रहा था अवैध खनन
सूत्रों के अनुसार, यह खदान सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के अधीन आती है और इसे कुछ दिन पहले ही सुरक्षा कारणों से बंद घोषित कर दिया गया था। इसके बावजूद स्थानीय माफिया तत्वों द्वारा अवैध रूप से कोयला खनन का काम चालू रखा गया था। बताया जा रहा है कि शुक्रवार की रात अचानक खदान की छत धंस गई, जिससे वहां खनन कर रहे कई लोग भीतर ही फंस गए।
मौके पर जुटी ग्रामीणों की भीड़, राहत कार्य बाधित
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय ग्रामीण बड़ी संख्या में घटनास्थल पर जुट गए। कई लोग फंसे हुए व्यक्तियों को बचाने के लिए स्वेच्छा से खुदाई और राहत कार्य में जुट गए हैं। हालांकि प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम देर से मौके पर पहुंची, जिससे स्थानीय लोगों में नाराज़गी देखी जा रही है।
ग्रामीणों के अनुसार, खनन का काम पूरी तरह अवैध था और इस क्षेत्र में लंबे समय से अवैध खनन माफिया सक्रिय हैं। यह कोई पहली घटना नहीं है—बीते वर्षों में भी इसी तरह के हादसे होते रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
प्रशासन की कार्रवाई व सवाल
घटना की सूचना के बाद रामगढ़ जिला प्रशासन और सीसीएल प्रबंधन हरकत में आया है। प्रशासनिक टीमें, स्थानीय पुलिस और बचावकर्मी घटनास्थल पर मौजूद हैं, लेकिन खदान की संरचना जटिल और अस्थिर होने के कारण राहत कार्यों में कठिनाई आ रही है।
रामगढ़ एसपी और उपायुक्त द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण किया गया है। प्रारंभिक जांच में यह साफ हुआ है कि खदान पूरी तरह बंद थी, और बिना किसी अनुमति के वहां खनन कार्य चालू था।
बार-बार हो रहे हादसे, लेकिन नहीं सुधर रही स्थिति
झारखंड के कोयला क्षेत्रों में अवैध खनन की घटनाएँ आम बात बन चुकी हैं। सीसीएल की बंद खदानों में अवैध खनन गिरोहों का बोलबाला है, जो न केवल प्राकृतिक संपदा को नुकसान पहुँचा रहे हैं बल्कि आम लोगों की जान भी जोखिम में डाल रहे हैं।
इस हादसे ने एक बार फिर सरकार और प्रशासन की निगरानी तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह अवैध खनन प्रशासन की मौन स्वीकृति और मिलीभगत से वर्षों से जारी है।
आगे की कार्रवाई
- जिला प्रशासन ने मलबे में फंसे लोगों की खोजबीन के लिए राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया है।
- फॉरेंसिक और तकनीकी टीमें खदान की स्थिति का आकलन कर रही हैं।
- घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए जाने की संभावना है।
- अभी तक किसी की पहचान या मौत की पुष्टि नहीं हो सकी है।
यदि मलबे में दबे लोगों की स्थिति की पुष्टि होती है, तो यह हादसा झारखंड के खनन इतिहास में एक और दर्दनाक अध्याय जोड़ देगा। जनता और परिजन प्रशासन से शीघ्र और पारदर्शी कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं।

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