डॉ. रवि शर्मा ने किताब के साथ किया ज़बरदस्त कमबैक, किताब में छिपा है स्टिंग ऑपरेशन के पीछे का संघर्ष
जाने-माने खोजी पत्रकार डॉ. रवि शर्मा ने एक बार फिर अपनी आवाज़ से लोगों को झकझोर दिया है। 21 जुलाई को अपने जन्मदिन के दिन उन्होंने अपनी नई किताब "ऑपरेशन ब्लैक स्पॉट" लॉन्च की, जो न सिर्फ़ एक किताब है, बल्कि उनके जीवन के संघर्ष, साहस और सच्चाई की जंग की गवाही भी है। यह किताब अब Amazon और Flipkart जैसे प्रमुख प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध है।
*क्या है ‘ऑपरेशन ब्लैक स्पॉट’?*
‘ऑपरेशन ब्लैक स्पॉट’ केवल एक आत्मकथा नहीं, बल्कि सच्चाई से टकराने की एक साहसी कोशिश है। इसमें डॉ. रवि शर्मा ने कई ऐसे केस स्टडीज़ और अनुभव साझा किए हैं जो दर्शाते हैं कि पत्रकारों को किस तरह की चुनौतियों और खतरों का सामना करना पड़ता है और स्टिंग ऑपरेशन के पीछे की सच्चाई क्या होती है।
*पत्रकार से आरोपी बनने की दर्दनाक कहानी*
किताब का सबसे झकझोर देने वाला हिस्सा तब आता है जब डॉ. शर्मा लिखते हैं , “एक दिन कैमरा मेरी तरफ़ घूम गया — मैं पत्रकार नहीं, आरोपी बन गया।”
एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें एक गंभीर आरोप में फंसा दिया गया। जिस मीडिया ने कभी उनकी आवाज़ को बुलंद किया था, वो अचानक खामोश हो गया। उन्हें बदनाम किया गया, पहचान छीनी गई, लेकिन एक चीज़ नहीं छूटी ,उनकी कलम।
“मैंने सब कुछ खोया — भरोसा, पहचान, आवाज़... लेकिन मेरी कलम मेरे साथ रही,” वे लिखते हैं।
*किताब में क्या-क्या है ख़ास?*
* कई सच्ची घटनाओं पर आधारित केस स्टडीज़, जिनमें भ्रष्टाचार, सिस्टम की सच्चाई, और राजनीतिक दबाव की परतें खुलती हैं।
* डिजिटल जमाने की पत्रकारिता की चुनौतियों पर खुलकर चर्चा — कैसे आज की पत्रकारिता में सच्चाई दिखाना मुश्किल हो गया है।
* मीडिया में गिरती स्वतंत्रता और असली पत्रकारों को मिलने वाली सज़ा — सिर्फ़ इसलिए कि वो सच दिखाते हैं।
* नए पत्रकारों के लिए मार्गदर्शन — अगर आप पत्रकारिता में आना चाहते हैं, तो ये किताब आपको पहले ही सच्चाई का आईना दिखा देगी।
*भावनाओं से भरी एक व्यक्तिगत कहानी*
किताब सिर्फ पत्रकारिता की बात नहीं करती — ये बताती है कि एक इंसान जब टूटता है, तब भी किस तरह शब्द उसका सहारा बन सकते हैं। डॉ. रवि शर्मा ने किसी हालात में उम्मीद नहीं छोड़ी, वही इस किताब की सबसे बड़ी ताक़त है।
*डॉ. शर्मा क्या कहते हैं?*
"ये सिर्फ़ मेरी वापसी नहीं है, ये एक संदेश है — कि जिनकी आवाज़ें कभी चुप कर दी गईं, वो फिर से उठ सकती हैं। शब्दों से, सच्चाई से, और हिम्मत से।”
*क्यों पढ़ें ये किताब?*
* अगर आप पत्रकारिता पढ़ रहे हैं या मीडिया में काम कर रहे हैं, तो ये किताब आपके लिए एक जरूरी गाइड है।
* अगर आप जानना चाहते हैं कि भारत में पत्रकारों को क्या-क्या सहना पड़ता है, तो ये किताब आंखें खोल देगी।
* और अगर आप सिर्फ एक सच्ची, ईमानदार कहानी पढ़ना चाहते हैं — तो ये किताब आपको निराश नहीं करेगी।
*कहाँ मिलेगी ये किताब?*
‘ऑपरेशन ब्लैक स्पॉट’ अब Amazon और Flipkart पर उपलब्ध है। इसे ई-बुक और प्रिंट दोनों फॉर्मेट में खरीदा जा सकता है।
डॉ. रवि शर्मा की ये किताब न सिर्फ़ उनके पत्रकारिता करियर में कमबैक है, बल्कि उन सभी पत्रकारों को समर्पित है जो सच दिखाने की कीमत चुकाते हैं।
‘ऑपरेशन ब्लैक स्पॉट’ एक चेतावनी है — कि सच्चाई को दबाया जा सकता है, पर मिटाया नहीं जा सकता। और जब तक कलम साथ है, तब तक आवाज़ जिंदा है।
लेखक किताब के जरिए कहते हैं, "मीडिया मुझे भूल गया था, लेकिन मेरी कलम नहीं। अब मैं वापस आया हूँ — शब्दों के ज़रिए, सच्चाई के साथ।"

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