रांची। जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीस्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज और श्री गोविंद दास जी महाराज अपने परिकरों के साथ श्रीधाम वृंदावन के लिये प्रस्थान किये ।
सर्वविदित है कि रांची नगर के सुप्रसिद्ध श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी मंदिर) का अठारहवॉं वार्षिकोत्सव सह कल्याणोत्सव विगत 18 जुलाई 2025 शुक्रवार से 20 जुलाई 2025 रविवार तक तीन दिवसीय महा आयोजन का शानदार तरीके से समापन हुआ।
समापन समारोह में नादस्वर का मंगल धुन , दक्षिण भारत के आचार्य और विद्वान पंडितों के कंठस्वर से वैदिक मंत्रोच्चारण , मंगलाचार और स्वस्तिवाचन हुआ । जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीस्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज सभी आचार्य, परिचारक , नादस्वर पार्टी,पालकी वाहकों के साथ दक्षिण भारत से ही आये हुये रसोईयों को भी आशीर्वचनों पुष्ट किया । फिर मंदिर संचालन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राम अवतार नारसरिया ने अंगवस्त्र आदि संभावना से सम्मानित कर विदाई किया । इसके बाद जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीस्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज
श्री गोविंद दास जी महाराज और अन्य परिकरों के साथ वृंदावन के लिए प्रस्थान किया ।
जाते-जाते श्री महाराज जी ने कहा -की जीवात्मा का भगवान से पुरातन संबंध है । भगवान दयार्द्र हृदय जीव पर अनुग्रह करता है , परिणाम स्वरूप उनकी कृपा चितवन से जीव शुभ कर्मों में प्रवृत होकर गुरु के वचनों को आत्मसात् करते हुए मोक्ष का भागी बनता है। चेतनों को परंपद देने के विचार से ही भगवान ने शिष्य एवं आचार्य का संबंध बनाते हैं । भगवान की कृपा से संसार सागर पार किया जा सकता है । जिसको मूल मंत्र की अच्छी समझ हो जाती है , वह अपना प्रयत्न छोड़कर भगवान को ही एकमात्र उपाय समझता है। जीव को भगवान श्रीविष्णु रूपी नाव को छोड़कर संसार- सागर से पार उतारने वाला कुछ भी नहीं है ।

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