भारतीय ज्ञान परंपरा और समकालीन समाज" विषयक संगोष्ठी का रांची में भव्य आयोजन, संस्कृति और चेतना के उत्थान का लिया संकल्प
— केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा एवं अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य भारती, झारखंड इकाई का संयुक्त प्रयास
रांची, 27 जुलाई। पुराना विधानसभा सभागार, रांची आज सांस्कृतिक चेतना, वैदिक ज्ञान और हिंदी साहित्य के एक विराट संगम का साक्षी बना, जब केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा और अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य भारती, झारखंड इकाई के संयुक्त तत्वावधान में "भारतीय ज्ञान परंपरा और समकालीन समाज" विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन हुआ।
इस प्रतिष्ठित आयोजन में देशभर से आए हिंदी साहित्य, भारतीय संस्कृति और शिक्षा से जुड़े विद्वानों, साहित्यकारों, शोधार्थियों और प्रबुद्धजनों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ—प्रथम सत्र उद्घाटन समारोह के रूप में और द्वितीय सत्र शोध पत्र प्रस्तुति व विचार-विमर्श हेतु आयोजित किया गया।
उद्घाटन सत्र : भारतीय संस्कृति पर गर्व और पुनरुत्थान का आह्वान
झारखंड सरकार की ग्रामीण विकास मंत्री श्रीमती दीपिका पांडे सिंह ने वीडियो संदेश के माध्यम से संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा,
"हमें अपनी भारतीय संस्कृति, ऋषियों की ज्ञान परंपरा और मूल्यों पर गर्व होना चाहिए। जब तक हम इन्हें आत्मसात नहीं करेंगे, भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करना कठिन होगा।"
उन्होंने इस आयोजन को नई पीढ़ी में सांस्कृतिक चेतना के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, रांची विधायक एवं झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री श्री सी.पी. सिंह ने कहा,
"हमारी परंपराएं केवल अतीत की स्मृतियाँ नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत धरोहर हैं जो जीवन को दिशा देती हैं। ऐसे आयोजन अगली पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम कर रहे हैं।"
उन्होंने युवाओं से भारतीय दर्शन, भाषा और इतिहास को आत्मसात करने का आह्वान किया।
अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री रविंद्र शुक्ल ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा,
"भारतीय ज्ञान परंपरा ऋषियों की वाणी और वैदिक संस्कृति की वह मूल अवधारणा है जो संपूर्ण विश्व को दिशा देने में सक्षम है। हमें इसे आधुनिक संदर्भों में समाज के हर वर्ग तक पहुँचाना होगा।"
गौसेवा आयोग, झारखंड के अध्यक्ष श्री राजीव रंजन प्रसाद ने इसे “विचारों का उत्सव” बताते हुए कहा कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान की दिशा में सार्थक पहल है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. रंजन कुमार दास (भुवनेश्वर) ने कहा,
"भारतीयता केवल विचार नहीं, एक जीवनशैली है। शिक्षा, संस्कृति और भाषा के समन्वय से ही समाज को सही दिशा दी जा सकती है।"
हिंदी साहित्य भारती के केंद्रीय महामंत्री श्री रामनिवास शुक्ल ने झारखंड इकाई की सराहना करते हुए कहा कि
"सांस्कृतिक चेतना और साहित्य को संगठित रूप से प्रस्तुत करना आज की आवश्यकता है। यह आयोजन उस दिशा में एक प्रभावी प्रयास है।"
द्वितीय सत्र : शोध, संवाद और झारखंड की सांस्कृतिक विरासत पर विमर्श
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता "सोच-विचार" पत्रिका के संपादक डॉ. नरेंद्र मिश्र (वाराणसी) ने की। उन्होंने कहा,
"झारखंड इकाई ने यह सिद्ध किया कि सुदूर क्षेत्रों में भी गंभीर साहित्यिक और वैचारिक विमर्श संभव है।"
इस सत्र में झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए शोधार्थियों द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा और झारखंड की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित 35 शोध-पत्रों की प्रस्तुति दी गई, जो अत्यंत समृद्ध, विचारोत्तेजक और ज्ञानवर्धक रही।
कार्यक्रम का संयोजन और संचालन युवा सामाजिक कार्यकर्ता और साहित्य प्रेमी अजय राय ने किया। उन्होंने संगोष्ठी के उद्देश्यों और पृष्ठभूमि को विस्तार से रखते हुए कहा कि,
"यह आयोजन भारतीय संस्कृति और झारखंड की स्थानीय परंपराओं के समन्वय का सशक्त मंच है।"
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण सज्जन, एक शिक्षाविद, विचारक और साहित्यकार, ने अपने स्वागत भाषण में भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान को स्मरण करते हुए कहा,
"हमें अपनी वैदिक परंपरा और ज्ञान परंपरा को उसी जुझारू भावना के साथ पुनः स्थापित करना चाहिए।"
विशिष्ट उपस्थिति और सहभागिता
संगोष्ठी में कई विशिष्टजनों ने अपनी सारगर्भित उपस्थिति और वक्तव्य से आयोजन को गरिमा प्रदान की, जिनमें प्रमुख नाम हैं:
- हिमांशु शुक्ल, पूर्व संपादक, दैनिक जागरण (वाराणसी)
- डॉ. सुनीता मंडल, प्रभारी मंत्री, हिंदी साहित्य भारती, झारखंड
- डॉ. सुनीता कुमारी, उपाध्यक्ष, हिंदी विभाग, रांची विश्वविद्यालय
- ब्रजेंद्र नाथ मिश्र, प्रदेश मीडिया प्रभारी, हिंदी साहित्य भारती
कार्यक्रम में झारखंड के विभिन्न जिलों से आए लगभग 150 प्रतिनिधि और कार्यकर्ता भी सम्मिलित हुए, जिनमें उल्लेखनीय नाम हैं:
राकेश कुमार, प्रांतीय महामंत्री (रांची)
बलराम पाठक, जिला अध्यक्ष
डॉ. संगीता नाथ, उपाध्यक्ष
डॉ. आशा गुप्ता, सिंहभूम जिला अध्यक्ष
रेणु बाला मिश्रा, अरुणा झा, सुकुमार झा, संजय सर्राफ, त्रिपुरेश्वर नाथ मिश्र, निशिथ सिन्हा, अभय कुमार पांडे, अनिकेत कुमार सिंह, प्रवीण कुजूर, संजय सिंह चंदन, मनीष मिश्र नंदन, दीपेश निराला, विनोद जैन बगवानी, आनंद प्रमाणिक, डॉ. रामप्रवेश पंडित, रेणु बाला मिश्रा, वैष्णवी, स्नेह प्रभा पांडेय, मंजु शरण मंजुल, मुकेश यादव, रमेश साहू, आदि।
गरिमामय समापन और राष्ट्रगान
कार्यक्रम के अंत में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण सज्जन ने सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों, अतिथियों और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा,
"झारखंड की धरती से उठी यह वैचारिक अलख संपूर्ण राष्ट्र को दिशा देगी।"
संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान के साथ अत्यंत गरिमामय और भावनात्मक वातावरण में किया गया।ता हूँ।

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