आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) अगले वित्त वर्ष में बड़े पैमाने पर छंटनी करने जा रही है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह अपनी वैश्विक वर्कफोर्स का करीब 2 प्रतिशत घटाएगी, जिससे लगभग 12,200 से अधिक कर्मचारी प्रभावित होंगे। यह छंटनी वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान, यानी अप्रैल 2025 से मार्च 2026 के बीच लागू की जाएगी।
अप्रैल-जून 2025 तिमाही में TCS के कर्मचारियों की संख्या 6,13,000 रही थी। इस आधार पर 2 प्रतिशत की कटौती का सीधा असर करीब 12,200 कर्मचारियों पर पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि इसी तिमाही में कंपनी ने शुद्ध रूप से 5,090 नए कर्मचारियों की भर्ती भी की थी।
छंटनी के पीछे कारण और कंपनी का रुख
TCS के सीईओ के. कृतिवासन ने रविवार को एक प्रमुख मीडिया हाउस से बातचीत में कहा:
"हम नई तकनीकों, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और ऑपरेटिंग मॉडल में बदलाव पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। काम करने के तरीके तेजी से बदल रहे हैं और हमें भविष्य के लिए तैयार रहना होगा। हमने कर्मचारियों को स्किल डेवलपमेंट और करियर ग्रोथ के अवसर देने में निवेश किया है, लेकिन कुछ ऐसे रोल हैं जहाँ रीडिप्लॉयमेंट कारगर साबित नहीं हुआ। इसी कारण हमें यह कठिन निर्णय लेना पड़ रहा है।"
उन्होंने आगे कहा कि छंटनी का असर मुख्य रूप से मिड और सीनियर लेवल कर्मचारियों पर होगा। कृतिवासन ने यह भी स्वीकार किया कि सीईओ के तौर पर यह उनके करियर का सबसे कठिन निर्णयों में से एक है।
AI और ऑटोमेशन से बढ़ रहा दबाव
विशेषज्ञों का मानना है कि IT कंपनियों में बढ़ती AI और ऑटोमेशन की भूमिका पारंपरिक भूमिकाओं को कम कर रही है। कंपनियां अब अधिक चुस्ती और कम लागत में बेहतर परिणाम चाहती हैं। ऐसे में मिड-लेवल प्रबंधन और पारंपरिक टेक्नोलॉजी रोल पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है।
कर्मचारियों में बढ़ी चिंता
हालाँकि कंपनी ने यह आश्वासन दिया है कि वह प्रभावित कर्मचारियों को आवश्यक सहायता और ट्रांजिशन सपोर्ट देगी, लेकिन TCS की इस घोषणा से कर्मचारियों में अनिश्चितता और चिंता बढ़ गई है। खासकर मिड और सीनियर लेवल प्रोफेशनल्स अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
निष्कर्ष
TCS की यह छंटनी न केवल कंपनी के 6 लाख से अधिक कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि यह पूरे IT सेक्टर में भी एक अहम संदेश है कि आने वाले समय में नई तकनीक के अनुकूल न हो पाने वालों के लिए चुनौतियाँ और बढ़ेंगी।

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