पैतृक गांव नेमरा में सादगीपूर्ण अंदाज में गांव की गलियों और पगडंडियों पर घूमते नजर आए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, कहा - गांव की मिट्टी में खुशबू और हरियाली की ठंडक है
झारखंड की आत्मा – जल, जंगल और ज़मीन: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन में दिखती पिता गुरुजी की विरासत
नेमरा (झारखंड), 14 अगस्त 2025। झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन आज अपने पैतृक गांव नेमरा पहुंचे, जहाँ उन्होंने सादगीपूर्ण अंदाज़ में ग्रामीणों से मुलाकात की, उनकी समस्याएं सुनीं और विकास योजनाओं की जमीनी स्थिति का जायज़ा लिया। गांव की गलियों और पगडंडियों पर चलते मुख्यमंत्री के चेहरे पर बचपन की यादों की चमक साफ़ झलक रही थी। यह केवल एक राजनीतिक दौरा नहीं, बल्कि उस माटी से जुड़ाव का प्रतीक था, जहाँ से उनके जीवन और विचारों की जड़ें निकलीं।
पिता की परछाई, विचारों की विरासत
मुख्यमंत्री को देखकर ग्रामीणों ने कहा — "हमारे हेमन्त भइया में आज भी गुरुजी की छवि दिखती है।"
दिशोम गुरु, दिवंगत शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि झारखंड आंदोलन के आधारस्तंभ और जल-जंगल-ज़मीन के पहरेदार थे। आज उनके बेटे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन भी उसी सोच और संघर्ष को आगे बढ़ा रहे हैं।
चाहे ग्रामीण अंचलों का दौरा हो, वंचितों की आवाज़ सुनना हो, या प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए नीतिगत फैसले लेना — हर कदम पर पिता की सीख का असर दिखता है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा, "गुरुजी ने सिखाया कि सत्ता का अर्थ केवल कुर्सी नहीं, बल्कि जनता की सेवा और उनके अधिकारों की रक्षा है।"
जल-जंगल-ज़मीन – झारखंड की पहचान
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जल, जंगल और ज़मीन केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा और अस्तित्व का आधार हैं।
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जल संरक्षण: गांव-गांव तालाब, कुएं और जलस्रोत पुनर्जीवित करने का अभियान।
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जंगल की रक्षा: वनों में अवैध कटाई रोकने और सामुदायिक वन प्रबंधन को बढ़ावा।
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भूमि अधिकार: आदिवासी और मूलवासी समुदायों के पारंपरिक भूमि अधिकार सुरक्षित करने के ठोस उपाय।
उन्होंने कहा कि यह केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का सवाल है। सरकार की प्राथमिकता है कि झारखंड की हरियाली और जलस्रोत सदैव जीवंत रहें, ताकि यहां की संस्कृति, आजीविका और पारंपरिक रीति-रिवाजों का संरक्षण हो सके।
गांव से है अटूट रिश्ता
मुख्यमंत्री का बचपन खेतों की हरियाली, नदी की कलकल और जंगल की ठंडी छांव में बीता। आज भी वे मानते हैं कि असली विकास वही है, जो गांव, पर्यावरण और संस्कृति के साथ तालमेल बिठाकर हो। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास राज्य की प्रगति की बुनियाद है और सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और सिंचाई जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
नेमरा में सादगी और संवाद
निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने खेतों में काम कर रहे किसानों से बात की, उनकी समस्याएं सुनीं और समाधान का आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने भी सरकार की योजनाओं और कामकाज पर अपने सुझाव रखे। यह दृश्य उस रिश्ते का प्रमाण था, जिसमें सत्ता की औपचारिकता से ज्यादा अपनापन और विश्वास था।
झारखंड की धरती, उसके जल-जंगल-ज़मीन और यहां के लोगों के प्रति मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का यह गहरा जुड़ाव उनकी राजनीतिक सोच का मूल है। यह न केवल उनके पिता गुरुजी की दी हुई सीख का परिणाम है, बल्कि उस संस्कृति का सम्मान भी, जिसने उन्हें गढ़ा है।

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