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जब श्रीकृष्ण सम्पूर्ण रूप में पृथ्वी पर अवतरित हों, तो घर-घर में सुख चैन की मुरली : ब्रह्माकुमारी

राँची । जिस मुरली का मनभावन चित्रण मिलता है, जिसने लाखों लोगों को अपना बना लिया, वह मुरली कोई काठ की नहीं थी। वास्तव में तो वह दिव्य गीता ज्ञान की मुरली थी। इस मुरली ने ही श्याम को सुन्दर और मुरलीधर बनाया। ब्रह्मा तन में यह मुरली श्रीकृष्ण भी सुनते हैं और इस दिव्य ज्ञान मुरली से वह सम्पूर्ण बन जाते हैं। जब श्रीकृष्ण सम्पूर्ण रूप में पृथ्वी पर अवतरित हों, तो घर-घर में सुख चैन की मुरली बजती है। ये उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, चौधरी बगान, हरित भवन के सामने, हरमू रोड में आध्यात्मिक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए ब्रह्माकुमारी निर्मला ने अभिव्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ब्रह्मा मुख से भगवान शिव ज्ञान मुरली सुनाते हैं। यह तीनों लोकों और तीनों कालों का, चार युगों और मनुष्य के चौरासी जन्मों का दिव्य मर्म समझाते हैं जिसे सुनकर हर आत्मा विभोर और वेसुध हो जाती है। गुप्त वेश में गीता ज्ञान सुनने वाले यही गोप और गोपियाँ हैं, जो भविष्य सतयुग में पवित्र देवी और देव बनते हैं।


उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण माखन अकेले न खाकर सर्व ग्वालों को भी बाँटते थे, इसका अभिप्राय यही है कि ईश्वरीय ज्ञान और गुणों का मक्खन ब्रह्मा द्वारा संसार की कोटि-कोटि आत्माओं को भी खिलाया जा रहा है। जो आत्मा इस ज्ञान का जितना लाभ ले पाती है वह उतना ही सशक्त बन जाती है। जो मक्खन श्रीकृष्ण ने चुराया वह ज्ञान और गुणों का मक्खन सर्व कल्याणकारी है। ऐसा माखन सभी को चराना चाहिए तथा दूसरों को भी बाँटना चाहिए। इससे बुद्धि पवित्र और सशक्त बनती है। पवित्र बुद्धि से ही प्रशासन में उत्कृष्टता आ सकती है। श्रेष्ठ संस्कारों का निर्माण ब्रह्माकुमारी संस्थान राजयोग प्रशिक्षण द्वारा किया जा रहा है।


प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के केन्द्र संचालिका व इस क्षेत्र की प्रमुख राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि श्रीकृष्ण के जन्म को साधारण मनुष्यों की तरह हुआ नहीं माना जाता है। उन्हें जन्म से ही अर्थात् किशोर अवस्था से ही दोनों ताजे - स्वर्ग मुकुट और दिव्य प्रभामंडल से युक्त दिखाया जाता है। ऐसा जन्म ही व्यक्ति के लिए, देश के लिए, और विश्व के लिए गौरव की बात है। कृष्ण शब्द के दो अर्थ हैं -आकृष्ट करने वाला और आनन्द स्वरूप। आज हम भी अपने आनन्द रूप में स्थित होंगे, तब दिव्यता की नई जमीन और नया इन्सान बनेगा। नई दुनिया और नया जहान बनेगा। उस नए वातावरण में नये तरीके से श्रीकृष्ण का शुभागमन होगा सुखद आगमन होगा, स्वर्गीय शासन होगा।


इस अवसर पर श्रीकृष्ण राधे के रूप में, नृत्य व रास प्रस्तुति हेतु कलाकारों को सजाया गया था। गोपियों के रूप में नन्हें बच्चे और नन्हें बच्चियों ने पार्ट निभाया। इससे पूर्व दो घंटे तक सहज राजयोग का अभ्यास किया गया। कार्यक्रम में अन्त तक हर्ष, उमंग व उत्साह बना रहा। सभी ने अपने जीवन से काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार को निकालने का पुरूषार्थ करने की प्रतिज्ञा की। "तेरी मीठी मुरली की धुन सुनकर के मन हर्षाए, सोने की दुनियाँ होगी, देवता होंगे लोग-सुख अपार होंगे - खाने को छप्पन भोग" आदि-आदि गीतों पर श्रीकृष्ण राधे व गोप-गोपियों का रास हुआ। सबने परमात्मा की स्मृति में प्रसाद ग्रहण किया और कार्यक्रम का समापन हुआ।

जब श्रीकृष्ण सम्पूर्ण रूप में पृथ्वी पर अवतरित हों, तो घर-घर में सुख चैन की मुरली : ब्रह्माकुमारी जब श्रीकृष्ण सम्पूर्ण रूप में पृथ्वी पर अवतरित हों, तो घर-घर में सुख चैन की मुरली : ब्रह्माकुमारी Reviewed by PSA Live News on 8:43:00 pm Rating: 5

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