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राज्यपाल ने कहा - हस्तकरघा केवल कला नहीं, आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला है

राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस पर रांची में बुनकरों का सम्मान, तसर-खादी की महिमा पर जोर


रांची। 
झारखंड की राजधानी रांची में राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस के अवसर पर आयोजित एक गरिमामय समारोह में राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने हस्तकरघा क्षेत्र को आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि, “हस्तकरघा केवल एक कला नहीं है, बल्कि यह हमारी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक है। हर धागा, हर बुनाई हमारी लोक-कथाओं और रीति-रिवाजों की अनूठी कहानी कहती है।”

डोरंडा कॉलेज सभागार में विवर्स डेवलपमेंट एंड रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (WDRO) और बुनकर प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल ने बुनकरों के सम्मान में अनेक बातें कही। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है, बल्कि उन लाखों मेहनती बुनकर परिवारों के योगदान को पहचान और सम्मान देने का अवसर भी है, जो 'वोकल फॉर लोकल' और 'हैंडलूम फॉर होम' जैसे अभियानों के माध्यम से देश की आत्मनिर्भरता को मजबूत बना रहे हैं।

राज्यपाल ने किया अनुभव साझा, बताया कैसे किया था बुनकरों के लिए कार्य

राज्यपाल श्री गंगवार ने अपने केन्द्रीय वस्त्र मंत्री के कार्यकाल का अनुभव साझा करते हुए कहा कि, “जब मैं वस्त्र मंत्रालय में था, तब देशभर के बुनकरों और हस्तशिल्पियों से सीधा संवाद करने और उनकी समस्याओं को समझने का अवसर मिला। मैंने उनके सशक्तिकरण के लिए कौशल विकास, तकनीकी सहायता और बाजार उपलब्धता जैसे अनेक पहलुओं पर कार्य किया।”

उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'हैंडलूम फॉर होम' और 'वोकल फॉर लोकल' जैसे अभियानों ने स्वदेशी वस्त्रों को केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि गर्व और आत्मगौरव का प्रतीक बना दिया है।

झारखंड की तसर और कत्था कढ़ाई को बताया राज्य की पहचान

राज्यपाल महोदय ने झारखंड की समृद्ध हस्तकरघा परंपरा पर विशेष रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि तसर रेशम और कत्था कढ़ाई जैसे शिल्प झारखंड की पहचान हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इनकी मांग और प्रतिष्ठा निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने हाल ही में इस क्षेत्र पर केंद्रित दो डॉक्युमेंट्री फिल्मों "संगठन से सफलता" और "फैशन के लिए खादी" का उल्लेख करते हुए कहा कि ये फिल्में जनमानस में हस्तकरघा के सामाजिक और आर्थिक महत्व को जागरूकता के साथ प्रस्तुत करती हैं।

स्थानीय नवाचारियों और युवा उद्यमियों को मंच देने की अपील

राज्यपाल ने WDRO और बुनकर प्रकोष्ठ की पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे मंच स्थानीय शिल्पियों, नवाचारियों और युवा उद्यमियों को जोड़ने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से अपील की कि 'हैंडलूम फॉर होम' को केवल एक नारा न बनाएं, बल्कि इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाकर बुनकरों के परिश्रम को सच्चा सम्मान दें।

दिशोम गुरु शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि

राज्यपाल महोदय ने अपने संबोधन की शुरुआत में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी समाज के महान नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “उनकी सादगी, तपस्या और जनजातीय समाज के लिए समर्पित जीवन को झारखंड सदैव याद रखेगा। वे एक युग पुरुष थे, जिन्होंने झारखंडी अस्मिता को पहचान दिलाई।”

कार्यक्रम में बुनकरों का हुआ सम्मान, प्रदर्शनी भी लगी

इस अवसर पर झारखंड के विभिन्न जिलों से आए बुनकरों को राज्यपाल द्वारा सम्मानित भी किया गया। समारोह में पारंपरिक तसर-खादी वस्त्रों की एक आकर्षक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी, जिसने दर्शकों को झारखंड की हस्तशिल्प विरासत से जोड़ने का काम किया।

उल्लेखनीय है कि 7 अगस्त को हर वर्ष राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन महात्मा गांधी द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में स्वदेशी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ावा देने की याद दिलाता है। आज जब देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, तब हस्तकरघा क्षेत्र की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।


📌 रिपोर्ट – PSA Live News | Ranchi Dastak
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राज्यपाल ने कहा - हस्तकरघा केवल कला नहीं, आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला है राज्यपाल ने कहा - हस्तकरघा केवल कला नहीं, आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला है Reviewed by PSA Live News on 8:57:00 pm Rating: 5

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