रांची। श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसी क्रम में दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में शनिवार, 9 अगस्त को स्नान-दान की पूर्णिमा, श्रवण नक्षत्र और श्रीवैष्णव ‘श्रीसम्प्रदाय’ जगद्गुरु रामानुजाचार्य मतावलंबियों का उपाकर्म (श्रावणी कर्म) विधि-विधानपूर्वक संपन्न होगा।
मंदिर प्रबंधन के अनुसार, इस पुण्य अवसर पर अखण्डस्वरूप देवातीत, वैकुण्ठाधिपति का उद्यास्तमन सेवा सहित महाभिषेक कराया जाएगा। अनुष्ठान की शुरुआत ब्रह्ममुहूर्त में प्रातः 4:30 बजे होगी और यह प्रातः 7:00 बजे तक चलेगा। इसके पश्चात मंदिर के बाहरी गोपुरम कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शन और पूजा के लिए खोल दिए जाएंगे।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रावणी पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीमन्नारायण विष्णु की विशेष पूजा करने और उनके प्रिय पदार्थों का भोग लगाने से आयु, आरोग्य, समृद्धि, वैवाहिक सुख और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
वेद परंपरा के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा को वेदोपाकर्म का दिवस माना जाता है। इस दिन वैदिक द्विजों को देवताओं, ऋषियों और पितरों का तर्पण करने के साथ-साथ अपनी शाखा के अनुसार श्रीभगवान का पूजन और ऋषि पूजन करना चाहिए। इसके बाद हाथ से बनाए और कुंकुम आदि से रंगे नूतन यज्ञोपवीत को धारण करने की परंपरा है।
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इस व्रत के पालन से वर्ष भर में यदि कोई वैदिक कर्म भूलवश रह जाए, विधि से हीन हो या न किया गया हो, तो उसका दोष दूर होकर वह कर्म पूर्ण माना जाता है। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे यथाशक्ति भगवान के अक्षयपात्र (हुण्णी) में चढ़ावा अर्पित करें और इस पावन दिन का पुण्य लाभ प्राप्त करें।

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