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स्वर्णरेखा नदी के तट पर हुआ “जल संगम से जन संगम” कार्यक्रम

 रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने यमुना और स्वर्णरेखा के पवित्र जल का संगम कराया, सरदार पटेल के जलाभिषेक हेतु कलश में भरा स्वर्णरेखा का पवित्र जल

राँची। 
स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में देशभर में विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन्हीं कार्यक्रमों की श्रृंखला में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित विशेष आयोजन “जल संगम से जन संगम” के तहत आज राँची की स्वर्णरेखा नदी के तट पर एक भव्य और भावनात्मक कार्यक्रम संपन्न हुआ।

इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने चुटिया, राँची स्थित स्वर्णरेखा नदी घाट पर पहुँचकर देश की एकता और अखंडता के प्रतीक सरदार पटेल को नमन किया। उन्होंने पवित्र यमुना नदी के जल का प्रतीकात्मक संगम स्वर्णरेखा नदी में कराया, जिसके उपरांत उन्होंने स्वर्णरेखा नदी का पवित्र जल कलश में संग्रह किया। यह जल अब नई दिल्ली भेजा जाएगा, जहाँ 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर देश की 25 पवित्र नदियों के जल से सरदार पटेल का जलाभिषेक किया जाएगा।

इस अवसर पर नदी तट पर उपस्थित श्रद्धालुओं, सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के नारे लगाए। पूरा वातावरण राष्ट्रीय एकता और श्रद्धा से ओत-प्रोत हो उठा।

“जल संगम से जन संगम” – एकता का प्रतीक, श्रद्धा का उत्सव

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री संजय सेठ ने कहा —

“सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्रता के बाद भारत को एक सूत्र में पिरोने का जो ऐतिहासिक कार्य किया, वह युगों-युगों तक प्रेरणा देता रहेगा। आज जब हम नदियों के जल का संगम करा रहे हैं, यह केवल जल का संगम नहीं, बल्कि जन-मन का संगम है — भारत की आत्मा का संगम है।”

उन्होंने आगे कहा कि “यह मेरे लिए गर्व और सौभाग्य की बात है कि मुझे स्वर्णरेखा नदी का पवित्र जल संग्रह करने का अवसर प्राप्त हुआ। यह केवल मेरा नहीं, बल्कि संपूर्ण झारखंड का गौरव है कि इस धरती का पवित्र जल अब सरदार पटेल के जलाभिषेक में शामिल होगा।”

“नदियाँ जोड़ती हैं जन-जन को”

श्री सेठ ने कहा कि यह कार्यक्रम नदियों के माध्यम से राष्ट्रीय एकता का संदेश देने वाला अभियान है।

“भारत की नदियाँ हमारी संस्कृति की जीवनरेखाएँ हैं। जब इन नदियों के जल एक होते हैं, तो वह हमारे समाज, विचार और संस्कारों के मिलन का प्रतीक बन जाते हैं। यह कार्यक्रम हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के उस संकल्प को साकार करता है जिसमें उन्होंने देश की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का प्रण लिया है।”

उन्होंने कहा कि “सरदार पटेल का व्यक्तित्व हमें दृढ़ता, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा देता है। प्रधानमंत्री मोदी जी उसी पथ पर चलकर भारत को एकता और विकास के पथ पर अग्रसर कर रहे हैं।”

झारखंड की धरती से राष्ट्रीय एकता को मिला सशक्त संदेश

स्वर्णरेखा नदी के तट पर आयोजित इस ‘जल संगम से जन संगम’ कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ। यमुना जल और स्वर्णरेखा जल के संगम के बाद रक्षा राज्य मंत्री ने दीप प्रज्वलित कर सरदार पटेल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।

वातावरण में “भारत माता की जय”, “सरदार पटेल अमर रहें” और “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के जयघोष गूंजते रहे।

31 अक्टूबर को नई दिल्ली में होगा ऐतिहासिक जलाभिषेक

देशभर से एकत्र किए गए 25 पवित्र नदियों के जल को विशेष कलशों में भरकर नई दिल्ली ले जाया जाएगा, जहाँ 31 अक्टूबर 2025 को सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय एकता दिवस पर उनका पवित्र जलाभिषेक किया जाएगा।

इस अवसर पर देशभर से आए प्रतिनिधि, संतजन, केंद्रीय मंत्रीगण और नागरिक सरदार पटेल के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

अंत में रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने कहा

“यह केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि देश की आत्मा को जोड़ने का अभियान है। जल संगम से जन संगम के इस पावन अवसर पर हम सभी यह संकल्प लें कि सरदार पटेल के सपनों का सशक्त, एकजुट और आत्मनिर्भर हिंदुस्तान बनाकर रहेंगे।”


जय सरदार!
जय स्वर्णरेखा!
जय हिंद!
🇮🇳



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