ब्लॉग खोजें

दिव्यदेशम् श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में दुर्लभ हरि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत विधि और वैभव के साथ संपन्न

भगवान श्रीपद्मावती वल्लभ का हुआ योगनिद्रा से जागरण, वेद मंत्रों और सहस्त्रधारा अभिषेक से गूंज उठा मंदिर परिसर


राँची। 
राँची स्थित दिव्यदेशम् श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में आज दुर्लभ हरि प्रबोधिनी एकादशी का पावन व्रत अत्यंत विधि, वैभव और भक्ति के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर मंदिर परिसर दिव्य प्रकाश, गंध और वैदिक स्वर से आलोकित हो उठा। परात्पर ब्रह्म, अखिलाण्ड कोटि ब्रह्माण्ड के स्वामी भगवान श्री पद्मावती वल्लभ (श्री वेंकटेश्वर स्वामी) का योगनिद्रा से जागरण वेदों और उपनिषदों के मंत्रोच्चार के बीच भव्य रूप से संपन्न हुआ।

सुबह ब्रह्ममुहूर्त में “सुप्रभातम्”, “विश्वरूपदर्शनम्”, “मंगलाशासनम्” और “तिरूवाराधनम्” की मंगल वाणियों के साथ पूजा-अर्चना प्रारंभ हुई। पवित्र गंगाजल, सुगंधित चंदन, उत्तम गंध, तुलसी दल, पुष्प और कुमकुम से भगवान का प्रातः वंदन किया गया। इसके बाद सर्वपापहारी भगवान गरुड़ध्वज का महाभिषेक वैदिक परंपरा अनुसार दूध, दधि, शहद, गंगाजल और नारियल जल से संपन्न हुआ।

महाभिषेक के बाद भगवान का हरिद्राचूर्ण और चंदन से अनुलेपन किया गया। शंखधारा, चक्रघारा, कलशधारा और सहस्त्रधारा रूपी दिव्य जलयंत्रों के माध्यम से भगवान का अभिषेक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। पूरे वातावरण में पुरुषसूक्त, नारायणसूक्त और पंचरात्र आगम में वर्णित वैदिक मंत्रों की ध्वनि गूंज रही थी।

इसके उपरांत कुंभ दीप और कर्पूर आरती से भगवान श्रीमन्नारायण की महाआरती की गई। आरती के समय भक्तगण “गोविंदा गोविंदा” और “वेंकटेश्वर स्वामी की जय” के जयघोष से पूरे परिसर को भक्तिरस से भर रहे थे।

पूजन के पश्चात वेदध्वनियों और शंखनाद के साथ महास्तुति संपन्न हुई। तदियाराधन के अंतर्गत भगवान को फलाहारी व्यंजन, मेवे, शुद्ध घी, पायसम, फल एवं नैवेद्य अर्पित किए गए। इस पावन दिन श्रद्धालुओं ने रोग-शोक से मुक्ति, समृद्धि, दीर्घायु और मोक्ष की कामना से सहस्त्रनाम अर्चना की तथा लक्ष्मी जी की कुमकुम अर्चना और भगवान वेंकटेश्वर की तुलसी-पुष्प से आराधना की।

व्रत एवं पूजन व्यवस्था:
महाभिषेक के मुख्य यजमान श्री अमरेश कुमार गुप्ता एवं धर्मपत्नी श्रीमती उषा गुप्ता (राँची निवासी) रहे। दिनभर का भोग-नैवेद्य श्री आशीष अग्रवाल एवं धर्मपत्नी श्रीमती अश्विका अग्रवाल द्वारा अर्पित किया गया। वहीं, फलाहारी महाप्रसाद श्री शशिभूषण सिंह एवं धर्मपत्नी श्रीमती वीणा सिंह, तथा श्री मोहनलाल खुटेटा (राँची निवासी) की ओर से निवेदित हुआ।

पूरे दिन का अनुष्ठान मंदिर के अर्चक श्री सत्यनारायण गौतम, श्री गोपेश आचार्य, और श्री नारायण दास जी ने विधिवत संपन्न कराया। इन तीनों अर्चकों के सुसंगत वैदिक संचालन से मंदिर का वातावरण निरंतर आध्यात्मिक ऊर्जाओं से परिपूर्ण रहा।

भक्तों की अभूतपूर्व भागीदारी:
पूरे दिन राँची और आसपास के क्षेत्रों से आए लगभग एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने व्रत, पूजन और आराधना में भाग लिया। उपस्थित श्रद्धालुओं में श्री राम अवतार नरसरिया, अनूप अग्रवाल, प्रदीप नरसरिया, घनश्याम दास शर्मा, रंजन सिंह, सुशील गाड़ोदिया, शंभूनाथ पोद्दार समेत अनेक भक्तगण शामिल हुए। सभी ने भक्ति के सागर में डुबकी लगाते हुए हरिप्रबोधिनी एकादशी का यह पावन पर्व उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया।

पूरे दिन मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन, वेदगान और आरती ध्वनि के साथ दिव्य ऊर्जा का संचार होता रहा। सायंकाल आरती के बाद सभी भक्तों के बीच फलाहारी महाप्रसाद का वितरण किया गया।

हरिप्रबोधिनी एकादशी का महत्त्व:
धर्मग्रंथों के अनुसार, यह एकादशी चातुर्मास के समापन और भगवान श्रीहरि विष्णु के योगनिद्रा से जागरण का प्रतीक है। इस दिन व्रत-पूजन करने से समस्त पापों का नाश होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख, समृद्धि एवं शांति आती है।

आज राँची के तिरुपति बालाजी मंदिर में संपन्न यह दिव्य अनुष्ठान केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भक्ति, परंपरा और वैदिक संस्कृति के जीवंत स्वरूप का प्रतीक बना — जिसने सैकड़ों श्रद्धालुओं के हृदय को आध्यात्मिक आनंद से भर दिया।

(रिपोर्ट — PSA Live News, राँची)

दिव्यदेशम् श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में दुर्लभ हरि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत विधि और वैभव के साथ संपन्न दिव्यदेशम् श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में दुर्लभ हरि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत विधि और वैभव के साथ संपन्न Reviewed by PSA Live News on 6:16:00 pm Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.