पलामू, झारखंड। छतरपुर प्रखंड के कंचनपुर पंचायत के लंगडीतर पिछुलिया टोला की ग्रामीण महिलाओं ने एक ऐसा इतिहास रचा है, जिसे आने वाले वर्षों तक उदाहरण के रूप में याद किया जाएगा। यहां की महिलाओं ने सरकार की "मंईयां सम्मान योजना" से मिलने वाली राशि को चंदे के रूप में इकट्ठा कर अपने गांव में लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर डाला। यह पहल सिर्फ़ एक सड़क बनाने की कहानी नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और सामूहिक शक्ति की प्रेरक दास्तान है।
गांव की समस्या बनी प्रेरणा
लंगडीतर पिछुलिया टोला कई वर्षों से सड़क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित था। बरसात के दिनों में यह इलाका दलदल में बदल जाता था।
- बच्चों के लिए स्कूल जाना मुश्किल हो जाता,
- बीमारों को अस्पताल ले जाना कष्टकर हो जाता,
- और रोज़मर्रा की आवाजाही बाधित रहती थी।
ग्रामीणों ने कई बार पंचायत और प्रशासनिक स्तर पर मांग उठाई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं मिला। अंततः गांव की महिलाओं ने खुद पहल करने का निश्चय किया।
महिलाओं ने किया सामूहिक संकल्प
"मंईयां सम्मान योजना" के तहत महिलाओं को दी जाने वाली राशि सामान्यतः घरेलू ज़रूरतों के लिए उपयोग होती है। लेकिन पिछुलिया टोला की महिलाओं ने इसे सड़क निर्माण में लगाने का निर्णय लिया।
उन्होंने आपसी सहमति से अपनी-अपनी राशि जमा की और एक सामूहिक फंड तैयार किया। इसके बाद गांव के पुरुषों और युवाओं ने भी श्रमदान कर काम को आगे बढ़ाया। धीरे-धीरे निर्माण कार्य पूरा हुआ और लगभग 1.5 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क तैयार हो गई।
गांव में खुशी की लहर
नई सड़क बन जाने के बाद ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। अब बच्चों को स्कूल जाने में आसानी होगी, किसानों को अपनी उपज बाजार तक ले जाने में सहूलियत होगी और आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल तक ले जाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
गांव की एक महिला ने कहा –
"यह सड़क केवल रास्ता नहीं है, यह हमारी मेहनत, हमारी एकजुटता और आत्मसम्मान का प्रतीक है। हमने साबित कर दिया है कि अगर महिलाएं ठान लें, तो समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।"
सामाजिक-आर्थिक असर
इस सड़क निर्माण से गांव में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं –
- शिक्षा पर असर : बच्चे अब समय पर और सुरक्षित स्कूल पहुंच सकेंगे।
- स्वास्थ्य सेवाएं : बीमारों और गर्भवती महिलाओं को अब अस्पताल ले जाने में आसानी होगी।
- कृषि और व्यापार : किसानों की उपज और ग्रामीण उत्पाद बाजार तक पहुंचने में सरलता होगी।
- सामाजिक एकजुटता : इस काम ने गांव में सामूहिक सहयोग और महिला नेतृत्व की नई मिसाल कायम की है।
प्रशासन और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
स्थानीय प्रशासन ने इस पहल को सराहनीय बताया है। अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीणों की यह कोशिश पूरे जिले और राज्य के लिए प्रेरणा है।
सामाजिक विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं की इस पहल ने साबित किया है कि योजनाओं की राशि अगर सही दिशा में और सामूहिकता के साथ इस्तेमाल की जाए, तो ग्रामीण जीवन में बड़े बदलाव संभव हैं।
प्रेरणा बनी मिसाल
अब कंचनपुर पंचायत की इस पहल की चर्चा आसपास के गांवों में भी हो रही है। अन्य पंचायतों की महिलाएं भी इस कार्य से प्रेरणा लेकर अपने गांवों में सामूहिक पहल की सोच रही हैं।
यह कहानी बताती है कि ग्रामीण स्तर पर महिलाएं केवल परिवार संभालने तक सीमित नहीं, बल्कि समाज निर्माण की धुरी भी बन सकती हैं।
लंगडीतर पिछुलिया टोला की यह सड़क केवल ईंट-पत्थरों से बनी पगडंडी नहीं, बल्कि यह महिला शक्ति, सामूहिकता और आत्मनिर्भरता का जीवंत प्रतीक है। यह उदाहरण न केवल झारखंड, बल्कि पूरे हिंदुस्तान में महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास के लिए एक प्रेरक मिसाल है।

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