राँची में राष्ट्रीय किसान दिवस पर आध्यात्मिक कार्यक्रम, किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का दिया गया संदेश
राँची। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, चौधरी बगान स्थित हरित भवन के सामने, हरमू रोड, राँची में राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर एक भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में किसान, बुद्धिजीवी, शिक्षाविद् एवं समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि हिंदुस्तान का किसान अत्यंत मेहनती और संघर्षशील है। उसकी कठिन परिश्रम से भरी जीवन-शैली को पूरा देश नमन करता है। किसान खेतों में दिन-रात परिश्रम कर अन्न उपजाता है, तभी देशवासियों की थालियों तक भोजन पहुँच पाता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर किसान आज खेती के नए-नए तरीके सीख रहा है, जिससे पहले की तुलना में अधिक अन्न उत्पादन संभव हो पाया है। प्रो. पाण्डेय ने जोर देते हुए कहा कि यदि हिंदुस्तान को उन्नत, समृद्ध और सबल राष्ट्र बनाना है, तो सबसे पहले किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना होगा।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. रानी प्रगति, पूर्व एचओडी, राजनीति विज्ञान विभाग, राँची विश्वविद्यालय ने किसान के त्याग और तपस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस प्रकार एक माता अपने बच्चों का पालन-पोषण त्याग, तपस्या और समर्पण के साथ करती है, उसी प्रकार किसान भी त्याग और तपस्या का सजीव उदाहरण है। किसान का जीवन प्रकृति के साथ संघर्ष और समन्वय का प्रतीक है।
केरल स्कूल की शिक्षिका पदमा राय ने कहा कि भारतीय किसान को धरती माता का सच्चा सपूत कहा जाता है। उसका जीवन स्वयं धरती की तरह करुणा, धैर्य और सहनशीलता से भरा होता है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय किसान दिवस हर वर्ष 23 दिसंबर को मनाया जाता है और यह दिन हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले किसानों को समर्पित है।
इस अवसर पर डॉ. प्रियंका श्रीवास्तव, स्त्री रोग विशेषज्ञ ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदुस्तान की लगभग 50 प्रतिशत आबादी की आजीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती पर निर्भर है। किसान को हिंदुस्तान की आत्मा कहा जाता है और उसे ‘अन्नदाता’ की उपाधि प्राप्त है, क्योंकि वही पूरे समाज के जीवन का आधार है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से किसानों को उन्नत, टिकाऊ और नैतिक खेती के लिए प्रेरित करना समय की आवश्यकता है। इससे न केवल किसान समृद्ध होंगे, बल्कि देश भी आत्मनिर्भर बनेगा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिए गए नारे “जय जवान, जय किसान” का उल्लेख करते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था का नारा है— “जय किसान, जय जवान और जय ईमान”।
निर्मला बहन ने बताया कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा एक विशेष आध्यात्मिक खेती पद्धति विकसित की गई है, जिसे शाश्वत योगिक खेती परियोजना के रूप में जाना जाता है। इस पद्धति में राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से मन को परमात्मा से जोड़कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार न केवल मनुष्य, बल्कि पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं और संपूर्ण प्रकृति में किया जाता है। इससे पौष्टिक अनाज, फल और सब्जियों का उत्पादन संभव होता है तथा भूमि की उर्वरता भी बनी रहती है।
कार्यक्रम में किसान समुदाय से सत्यनारायण साव, पासवंती उरांव, रीता देवी सहित अनेक किसान उपस्थित रहे। इस दौरान किसान परिवार की दिनचर्या पर आधारित नागपुरी लोकगीत प्रस्तुत किया गया, जिसने उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया। किसानों के सम्मान की प्रतिज्ञा ली गई तथा उन्नत और आत्मनिर्भर खेती के नारे लगाए गए।
अंत में निर्मला बहन ने सभी से आह्वान किया कि वे अपने जीवन के व्यस्त समय में से थोड़ा समय निकालकर राजयोग मेडिटेशन कोर्स अवश्य करें। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण चौधरी बगान, हरमू रोड स्थित केंद्र में प्रतिदिन निःशुल्क, प्रातः 7:30 बजे से 10:00 बजे तक तथा संध्या 4:00 बजे से 6:00 बजे तक दिया जाता है।
Reviewed by PSA Live News
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4:33:00 pm
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