रांची। हटिया ऑफिसर्स क्लब में मानव तस्करी जैसे गंभीर सामाजिक अपराध के खिलाफ जागरूकता और ठोस रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से एक राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में झारखंड के विभिन्न जिलों से आए प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस के वरिष्ठ पदाधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। वक्ताओं ने कहा कि मानव तस्करी केवल कानून-व्यवस्था का विषय नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और मानवीय संकट है, जिसका सबसे अधिक असर महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों पर पड़ता है। सीमावर्ती क्षेत्रों, आदिवासी बहुल इलाकों और शहरी झुग्गी-बस्तियों में इसकी चुनौती और गंभीर हो जाती है।
सेमिनार में बताया गया कि रोजगार का झांसा, बेहतर जीवन का सपना, शिक्षा और काम के नाम पर बच्चों व युवतियों को बहला-फुसलाकर दूसरे राज्यों में ले जाना तस्करों का आम तरीका है। कई मामलों में पीड़ितों को घरेलू काम, बाल श्रम, देह व्यापार और जबरन श्रम में धकेल दिया जाता है। वक्ताओं ने आंकड़ों और केस स्टडी के माध्यम से झारखंड में मानव तस्करी के स्वरूप, ट्रेंड और नेटवर्क पर प्रकाश डाला।
पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने तस्करी रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। उन्होंने अंतरराज्यीय समन्वय, रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर निगरानी, त्वरित कार्रवाई दल, हेल्पलाइन नंबरों और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया। साथ ही पीड़ितों के सुरक्षित रेस्क्यू, काउंसलिंग, कानूनी सहायता और पुनर्वास की व्यवस्था को प्रभावी बनाने की आवश्यकता बताई।
सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि केवल कानून से ही नहीं, बल्कि सामुदायिक भागीदारी और जन-जागरूकता से मानव तस्करी पर लगाम लगाई जा सकती है। उन्होंने गांव-स्तर पर सतर्कता समितियां, स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम और स्वयं सहायता समूहों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
सेमिनार के अंत में प्रतिभागियों ने मानव तस्करी के खिलाफ साझा संकल्प लिया और सुझाव दिया कि सरकार, पुलिस, न्यायपालिका और सिविल सोसाइटी मिलकर एक समन्वित कार्ययोजना तैयार करें। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
Reviewed by PSA Live News
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5:40:00 pm
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