जयपुर । राजस्थान की राजधानी जयपुर में शराब गांजा डोडा पोस्ट के साथ में नशीली दवाओं (अल्प्राजोलम कोडीन फास्फेट जैसी कई दवाएं)का भी कारोबार अपने पूरे शबाब पर है। मेडिकल लाइसेंस लेकर अवैध रूप से नशीली दवाएं बेचना अपराध है । लेकिन सरकारी मिलीभगत के चलते यह लगातार जारी है ।
ताज्जुब की बात यह है कि इस कारोबार में लिप्त बड़े माफिया का ठिकाना और काउंटर जयपुर के परकोटे में स्थित फिल्म कॉलोनी चौड़ा रास्ता में है। लेकिन यहां यह सफेदपोश बने हुए हैं और अवैध रूप से दवाएं जो बिना बिल की जाती है और साथ ही अलग-अलग शहरों में बसों की छत के माध्यम से पहुंच जाती है। इस पूरे माफिया ने आधे से ज्यादा राजस्थान को नशेड़ी बना दिया है और इस नशे की गिरफ्त में छोटे और भोले भाले युवा तुरंत आ जाते हैं। पापी और खतरनाक फायदे के लिए देश की युवा पीढ़ी को राजस्थान के निवासियों को नशेड़ी बनाने का श्रेय इन लोगों को जाता है।
उपरोक्त खबर विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के हिसाब से प्रकाशित की जा रही है लेकिन शीघ्र ही वीडियो और सबूतों के साथ राजस्थान के ट्रक कंट्रोलर को सस्पेंड करने की मांग भी कुछ एनजीओ कर सकते हैं । क्योंकि नशीली दवाओं का अवैध बेचान रोकना इन्हीं अधिकारी की जिम्मेदारी है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया पत्रकारों के अधिकारों के साथ जिम्मेदारी भी तय करती है। हम बाजार से खबर तो ले सकते हैं लेकिन नाम छापने के लिए पुख्ता सबूत शीघ्र ही हमारे पास आने वाले हैं डीलर्स केयर के अगले अंक में आप इन नशीली दवाओं के कारोबारिओं के देख सकते हैं। और न्यूज़ का वीडियो यूट्यूब चैनल फोर्स न्यूज़ पर देख सकते हैं।
ऐसा नहीं है कि ड्रग कंट्रोलर इन्हें नहीं जानते, लेकिन उनकी शह से जयपुर शहर में कई बार सीधे पुलिस को छापा मारकर उन्हें बुलाना पड़ा और करोड़ों रुपए की नशीली दवाएं और उनसे संबंधित केमिकल बरामद हुए। फिर भी तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर अपनी नौकरी पूरी करके ही निकले, जब की सजा जिम्मेदार अधिकारी को होनी चाहिए। क्योंकि वह जनता के पैसे से वेतन लेकर इस पोस्ट पर बैठे हुए हैं।
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