दो साल में डीएमएफटी के तहत झारखंड को मिले 2806 करोड़, कमाई में अव्वल रहे चाईबासा, चतरा, बोकारो, धनबाद, रामगढ़ जिले
रांची। डीएमएफटी के तहत प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना को कार्यान्वित किए जाने का प्रावधान है। इसके लिए भारत सरकार के द्वारा दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर निधि का कम से कम 60% और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर 40% तक खर्च किया जाना है। इसका मूल उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में विकास और कल्याणकारी परियोजनाओं को संचालित किया जाना है। उक्त आशय की जानकारी केंद्रीय खान मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में दी।
रांची के सांसद श्री संजय सेठ ने डीएमएफटी से संबंधित सवाल लोकसभा के पटल पर रखा था और पूछा था कि इसके उपयोग से संबंधित क्या निर्देश दिए गए हैं? झारखंड में कितनी राशि की आय हुई और कितनी राशि खर्च की गई?
इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि झारखंड सरकार ने इसके उपयोग संबंधी नियमों में कुछ सुधार किया है और उस अधिनियम के तहत राज्य में डीएमएफ के काम करने का तरीका और धन के उपयोग की प्रक्रिया निर्धारित करना है।
केंद्रीय मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि डीएमएफटी के तहत वर्ष 2020-21 मई झारखंड को 1140 करोड़ रुपए की राशि मिली है, जिसमें सबसे अधिक राशि धनबाद को 297 करोड़ रुपए, चाईबासा को 242 करोड रुपए, चतरा को 139 करोड रुपए, बोकारो को ₹83 करोड़ रुपए, रांची को ₹18 करोड़ रुपए मिले। वही 2021-22 में चाईबासा को ₹499 करोड़, धनबाद को 393 करोड़, बोकारो को 140 करोड़ और रामगढ़ को 136 करोड़ की राशि प्रदान की गई है। इस वर्ष झारखंड राज्य को 1666 करोड़ रुपए की आय डीएमएफटी से हुई है। हालांकि डीएमएफटी की राशि खर्च करने में सबसे अव्वल चाईबासा जिला है, जिसने चालू वित्तीय वर्ष में 316 करोड रुपए खर्च किए हैं। वही हजारीबाग ने ₹141 करोड़ रूपये खर्च किया है। रामगढ़ खर्च करने में फिसड्डी रहा है जबकि रांची में ₹26 करोड़ खर्च किए हैं। जिन्होंने इस वित्तीय वर्ष में अब तक ₹1 रूपया खर्च नहीं किया है, इन जिलों में बोकारो, दुमका, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, जमशेदपुर, जामताड़ा, जैसे जिले शामिल हैं।
सांसद के सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य से मिली सूचना के अनुसार वर्ष 2022- 23 में रांची जिला के 16 प्रखंडों के 16 विद्यालयों में वीआर आधारित कक्षाओं की स्थापना की गई है। 15 विद्यालयों में वीआर लैब स्थापित भी कर दिया गया है। एक विद्यालय में कक्ष उपलब्ध नहीं होने के कारण इसकी स्थापना नहीं हो सकी है। इसके अतिरिक्त 16 विद्यालय में टैब प्रयोगशाला व अन्य आवश्यक उपकरण भी लगा दिए गए हैं। इन योजनाओं की कुल स्वीकृत राशि 4 करोड़ 63 लाख रुपए है जबकि इस विधि में अब तक 1 करोड़ 68 लाख रुपए खर्च हो चुकी है।
हालांकि यह योजनाएं किन प्रखंडों के किन विद्यालयों में चलाई गई है, इसकी जानकारी नहीं दी गई।
_*रांची में डीएमएफटी के खर्च पर सांसद ने उठाए सवाल*_
इस सवाल के जवाब के बाद सांसद श्री संजय सेठ ने कहा कि जिस पवित्र उद्देश्य से भारत सरकार खनन प्रभावित क्षेत्रों में विकास और वहां के कल्याण के लिए इतनी बड़ी राशि दे रही है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार और प्रशासन इस मामले में तनिक भी गंभीरता नहीं दिखा रहा है। जिन क्षेत्रों के लिए राशि खर्च की जानी चाहिए वहां यह राशि खर्च हो ही नहीं रही है। पूरे राज्य की स्थिति यही है। इसका परिणाम यह है कि खनन प्रभावित क्षेत्र के लोग आज भी हैरान परेशान हैं। वहां की मिलने वाली राशि से अन्य कई अनुपयोगी योजनाएं संचालित हो रही हैं। रांची के 16 प्रखंडों के विद्यालयों वाले मामले में सांसद ने कहा कि जिला प्रशासन को यह बताना चाहिए कि यह उपकरण व कार्य किन विद्यालयों में लगाई गई है और इसका कितना लाभ वहां के बच्चों को मिल पाया है। इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए।
दो साल में डीएमएफटी के तहत झारखंड को मिले 2806 करोड़, कमाई में अव्वल रहे चाईबासा, चतरा, बोकारो, धनबाद, रामगढ़ जिले
Reviewed by PSA Live News
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7:29:00 am
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