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रावण के पास सबुकछ था, राम के पास चरित्र था, जिसने विजय दिलाई : मनुश्री महाराज

 


श्री शतचंडी महायज्ञ सह श्रीमद भागवत कथा यज्ञ के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की हुई पूजा। 

वृंदावन से पधारे संत मनुश्री महाराज ने अपने प्रवचन से श्रद्धालुओं को पढ़ाया एक दूसरे के प्रति प्रेम का पाठ। 

रांची ।  हेहल स्थित रूपा शाहदेव के पैतृक भूखंड पर चल रहे श्री शतचंडी महायज्ञ सह श्रीमद भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के पांचवे दिन रविवार को मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा पूरे विधि विधान से हुई। महायज्ञ के पांचवे दिन कथावाचक के रूप में मौजूद वृंदावन से पधारे संत मनुश्री महाराज ने मौके पर मौजूद सैकड़ों श्रद्धालुओं को एक-दूसरे के प्रति प्रेम का पाठ पढ़ाया। उन्होंने राम-रावण प्रसंग, महिषासुर मर्दिनी सहित कई प्रसंगों की व्याख्या की। सबका निचोड़ यही था कि हिंसा नहीं करना चाहिए। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि रावण के पास सबकुछ था, लेकिन चरित्र नहीं था। चरित्र राम के पास था, जिसके बल पर उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की। जीवन में चरित्र और ज्ञान बहुत जरूरी है। ज्ञान के बिना जीवन अधूरा है। अहिंसा पर अपने प्रवचन में मनुश्री महाराज ने कहा कि एक मां के लिए सब बच्चे बराबर हैं। मां भगवती के लिए गाय, घोड़े, बकरी, पशु, पक्षी सभी बच्चे हैं। क्या एक मां अपने एक बच्चे को अपने दूसरे बच्चे की हत्या के लिए कह सकती है। यह सब अपने स्वाद के लिए हमने बनाया है। उन्होंने कहा कि एक बार गांठ बांध लो, अगर तुम किसी का गला काटोगे तो एक दिन ऐसा आएगा, जब वह तुम्हारा गला काटेगा। मांस की व्याख्या करते हुए कहा कि मां का अर्थ आज हम तुम्हे खा रहे हैं और स का अर्थ वह भी एक दिन तुम्हे खाएगा।

संत मनुश्री महाराज ने महिषासुर मर्दिनी व वृत्तासुर की कथा की सप्रसंग व्याख्या की। पूरे कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालु शांत-चित्त होकर उनके अमृत वचनों का पान करते रहे। प्रवचन के अंत में सिंघाड़ा के आटे का भोग लगाया गया, जिसे सभी श्रद्धालुओं ग्रहण किया।

श्री शतचंडी महायज्ञ के यज्ञ मंडप में पांचवे दिन रविवार को मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता का पूरे विधान के साथ पूजन हुआ। यज्ञाचार्य नागेंद्र नाथ ओझा व सह यज्ञाचार्य निरंजन दास मिश्र ने वैदिक मंत्र मां स्कंद मातेति नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरी, हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे मंत्र से मां के इस पांचवे स्वरूप का आवाहन किया। सुबह की शुरुआत मंडप पूजन व वेदी पूजन से हुई और इसके बाद 11 ब्राह्मणों ने मां दुर्गा के सप्तशति का पाठ किया। शाम में आरती व मां का श्रृ्ंगार हुआ। मां स्कंदमाता के पूजन के दौरान यज्ञ मंडप की परिक्रमा के लिए श्रद्धालु भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। आचार्य ने बताया कि स्कंदमाता मां पार्वती ही हैं। इन्हें गौरी भी कहा जाता है। स्कंद युद्ध के देवता कार्तिकेय का नाम है। कार्तिकेय की माता, मतलब स्कंद माता। इनका वास विशुद्ध चक्र में है। यह भक्तों को अभीष्ट फल प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से भगवान कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है। स्कंदमाता की आराधना से सूनी गोद भी भर जाती है और इनकी साधना से साधकों को आरोग्य, बुद्धिमता व ज्ञान की प्राप्ति होती है।

पिस्का मोड़ लकड़ी टाल स्थित शिव सेना दुर्गा पूजा समिति ने सत्संग मंडप में संत मनुश्री महाराज का मुकुट पहनाकर स्वागत किया। स्वागत मौके पर मुख्य मंच पर समिति के संरक्षक उदय प्रताप सिंह उर्फ मुन्ना, अध्यक्ष रामाकांत ओझा, सचिव नरेश पंडित, कोषाध्यक्ष श्रवण कुमार, संयोजक बैजू सोनी, उपाध्यक्ष सुदीप उरांव व दीपक पोद्दार मौजूद थे।

संत मनुश्री महाराज के प्रवचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हटिया के विधायक नवीन कुमार जायसवाल, जिला शिक्षा पदाधिकारी आकाश कुमार, डिप्टी कलक्टर गौरी शंकर शर्मा, केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य वीरेंद्र चौबे, डीआइजी सीआरपीएफ विशेन स्वरूप शर्मा पहुंचे थे।

रावण के पास सबुकछ था, राम के पास चरित्र था, जिसने विजय दिलाई : मनुश्री महाराज रावण के पास सबुकछ था, राम के पास चरित्र था, जिसने विजय दिलाई : मनुश्री महाराज Reviewed by PSA Live News on 8:16:00 pm Rating: 5

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