झारखंड में ऊर्जा सुरक्षा के लिए ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की भूमिका अहम स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन में ग्रीन हाइड्रोजन की संभावना एवं उपयोग के सतत शील समाधानों पर दिया गया जोर
रांची । टास्क फोर्स-ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, झारखंड सरकार और सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एं ड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के द्वारा सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) और टाटा स्टील के सहयोग सेआज एक स्टेकहोल्डर्स कं सल्टेशन 'डेवलपिंग ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम फॉर झारखंड' का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस का मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन सेजुड़ी संभावनाओ ंएवं चुनौतियों पर विचार-विमर्शकरना और इस दिशा में सभी स्टेकहोल्डर्सका समर्थन हासिल करना था। कांफ्रेंस मेंझारखंड के प्रमुख सरकारी विभागों (ऊर्जा, उद्योग, खनन एवं भूतत्व आदि) के सचिव एवं उच्च अधिकारियों और प्रमुख उद्योगों, सार्वजनिक उपक्रमों, रिसर्चथिंक-टैंक और ग्रीन हाइड्रोजन के तकनीकी-समाधानों सेजुड़ी संस्थाओ ंके प्रतिनिधियों नेभाग लिया।
कांफ्रेंस को संबोधित करतेहुए श्री अविनाश कु मार (आईएएस), एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, ऊर्जाविभाग नेकहा कि, 'झारखंड सरकार राज्य मेंऊर्जासुरक्षा सुनिश्चित करनेके लिए प्रतिबद्ध हैऔर इसके लिए ऊर्जाके स्वच्छ स्रोतों को प्राथमिकता दी गई है। स्वच्छ ऊर्जा के रूप मेंहाइड्रोजन का भविष्य उज्जवल है। ग्रीन हाइड्रोजन को भारत मेंनेट जीरो टारगेट और जलवायु समाधान संबंधी लक्ष्यों को पूरा करनेके लिए निर्णायक माना जा रहा है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और नेट-ज़ीरो परिदृश्य के अनुरूप राज्य सरकार इसकी अपार क्षमता का अन्वेषण करनेऔर रोडमैप बनानेके लिए प्रयत्नशील है, ताकि इसके आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ झारखंड को मिल सके और सततशील विकास को प्राप्त किया जा सके ।’
ज्ञातव्य हैकि भारत सरकार नेनेट-ज़ीरो परिदृश्य को प्राप्त करनेके लिए वर्ष 2022 मेंराष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू किया हैऔर ग्रीन हाइड्रोजन नीति की घोषणा की है। इस राष्ट्रीय पहल के संदर्भमेंझारखंड सरकार नेग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी के वर्तमान परिदृश्य एवं संभावनाओ ं की पड़ताल करनेऔर देश-दुनिया के बेस्ट प्रैक्टिसेज की राज्य मेंउपयुक्तता का आकलन करनेके लिए मार्च2023 मेंएक 'टास्क फोर्स-ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ का गठन किया है, जो एक रोडमैप बनायेगा। श्री ए.के. रस्तोगी (आईएफएस, सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता मेंगठित इस टास्क फोर्सके मनोनीत सदस्यों मेंऊर्जाऔर पर्यावरण विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों समेत श्री पार्थ मजूमदार (रीजनल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, एनटीपीसी), श्री बी. साईं राम (डायरेक्टर प्रोजेक्ट एं ड प्लानिंग, सीसीएल) और श्री अजीत धनराज कोठारी (चीफ-सस्टेनेबिलिटी एं ड डीकार्बोनाइजेशन प्रोजेक्ट, टाटा स्टील) शामिल हैं। टास्क फोर्सकी तकनीकी सहायता के लिए सीड को टेक्निकल पार्टनर के रूप मेंनियुक्त किया गया है।
कार्यशाला को श्री अबूबाकर सिद्दीकी पी. (आईएएस), सचिव, खनन एवं भूतत्व विभाग और श्री जितेंद्र कु मार सिंह (आईएएस), सचिव, उद्योग विभाग नेभी संबोधित किया और भविष्य मेंसभी आर्थिक-औद्योगिक गतिविधियों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी के इस्तेमाल को जरूरी बताया।
इस अवसर पर श्री ए.के. रस्तोगी (आईएफएस सेवानिवृत्त), अध्यक्ष, टास्क फोर्स-ग्रीन हाइड्रोजन मिशन ने कहा कि "झारखंड मुख्य रूप सेलौह-इस्पात, परिवहन वाहनों, सीमेंट, केमिकल और अन्य उद्योगों की मजबूत उपस्थिति वाला एक औद्योगिक राज्य है। मोटेतौर पर इन क्षेत्रों को डीकार्बोनाइजेशन प्रक्रिया के लिए कठिन (हार्डटू अबेट) माना जाता है, जहां न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन के लिए स्वच्छ ऊर्जाएवं तकनीक की भूमिका अहम है। किसी भी इकोसिस्टम बदलाव के लिए सततशील एवं समग्र दृष्टिकोण पर आधारित तकनीकी ज्ञान एवं इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट की आवश्यकता होती है। झारखंड सरकार द्वारा निर्धारित उद्देश्यों के तहत ग्रीन हाइड्रोजन की वर्तमान स्थिति एवं संभावनाओ ंपर विचार-विमर्शके लिए टास्क फोर्ससभी स्टेकहोल्डर्स के साथ परामर्श-सत्र और कार्यशालाओ ंका आयोजन कर रहा है, ताकि भविष्य मेंएक कार्य-योजना तैयार की जा सके ।’
स्वच्छ ऊर्जाके एक रूप हाइड्रोजन को इसके स्रोत के आधार पर भिन्न श्रेणियों जैसेग्रे, ब्लैक, ब्लूऔर ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी में वर्गीकृ त किया जाता है। वर्तमान मेंभारत मेंखपत होनेवाला अधिकांश हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन सेआता है। नीति आयोग और अन्य संस्थानों के अनुमानों के अनुसार, भारत में2050 तक लगभग 23 मिलियन टन हाइड्रोजन की मांग होगी, जबकि वर्तमान उत्पादन के वल 6.7 मिलियन टन है। हालांकि 2050 तक भारत का लगभग 80% हाइड्रोजन 'हरित' होनेका अनुमान है, जो मुख्य रूप सेअक्षय ऊर्जाऔर इलेक्ट्रोलिसिस प्रकिया द्वारा उत्पादित होगा।
इस मौके पर सीड के सीईओ श्री रमापति कु मार नेकहा कि “ग्रीन हाइड्रोजन सेजुड़ेटास्क फोर्सका गठन करके राज्य सरकार ने सतत विकास की दिशा मेंएक बड़ा कदम उठाया है। सीड टास्क फ़ोर्सके टेक्निकल के रूप मेंकाम करनेमेंगर्वमहसूस कर रहा है। प्राकृतिक एवं मानव संसाधनों सेसमृद्ध झारखंड को हाइड्रोजन ऊर्जाके मामलेमेंबढ़त मिल सकती है। हालांकि राज्य में अक्षय ऊर्जास्रोतों का आकलन ग्रीन हाइड्रोजन की संभावनाओ ं का अन्वेषण करनेके लिए आवश्यक है। इसके लिए एक विस्तृत टेक्नो-इकोनोमिक अससेमेंट अध्ययन करनेकी आवश्यकता है, जो मौजूदा स्थिति, भविष्य की मांगों और अवसरों की पहचान कर भविष्य की राह बताये। इसी अनुरूप सस्टनेबिलिटी और डीकार्बोनाइजेशन के सिद्धांतों के अनुरूप राज्य में ग्रीन हाइड्रोजन पर केंद्रित औद्योगिक एवंआर्थिक विकास का मॉडल तैयार किया जा सकता है।'
कार्यशाला में दो तकनीकी सत्र थे- 'सतत विकास को हासिल करने के लिए हाइड्रोजन इकोसिस्टम का विकास' और 'हाइड्रोजन ऊर्जा- चुनौतियों और अवसरों के संदर्भमेंउद्योग जगत की भूमिका’, जिनमेंऊर्जाके स्वच्छ स्रोतों के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग के माध्यम सेग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम बनानेके लिए प्रमुख विचारों और सिफारिशों को प्रस्तुत किया गया। इनमेंभविष्य के लिए हरित औद्योगिक निर्माण योजना, सर्कुलर इकोनॉमी का अनुसरण, ऊर्जा-दक्षता मॉडलों मेंसुधार, ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) इन्वेंटराइजेशन, इकोनॉमिक, सोशल, गवर्नेंस (ईएसजी) का अनुपालन, कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण तकनीक का दोहन, कार्बन क्रेडिट और मार्केट को प्राथमिकता, क्लाइमेट फाइनेंसिंग की व्यवस्था और राज्य के लिए दीर्घकालिक रोडमैप विकसित करना आदि सुझाव प्रमुख थे।
कार्यशाला मेंदेश-दुनिया के प्रमुख उद्योग समूहों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, व्यापार संघों, थिंक-टैंक, एमएसएमई क्षेत्र और तकनीकी-समाधान प्रदाताओ ं के शीर्षअधिकारियों की भागीदारी दर्ज हुई। इनमेंप्रमुख रूप सेश्री बी. साईं राम (डायरेक्टर, सीसीएल), श्री राजीव मंगल (वाईस प्रेसिडेंट सेफ्टी, हेल्थ एं ड सस्टेनेबिलिटी, टाटा स्टील), श्री जगबाता निंगथौजम (प्रिंसिपल रॉकी माउंटेन इंस्टिट्यूट-इंडिया), श्री डी.एम.आर. पांडा (जीएम, एनटीपीसी); श्री जयदीप मलिक (बिजनेस डेवलपमेंट, हाइड्रोजन, जॉन कॉकरिल), सुश्री काजोल (सीनियर मैनेजर, इं डस्ट्रियल डीकार्बोनाइजेशन, एनर्जी, डब्ल्यूआरआई); श्री पी.सी. झा (चीफ मैनेजर-एनवायरनमेंट, सीएमपीडीआई); श्री आनंद कु मार (हेड, पालिसी अफे यर्स एं ड प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, हाइजेनको) आदि समेत प्रसिद्ध शिक्षाविद और शोधकर्ता शामिल हुए। सम्मेलन मेंप्रमुख सरकारी विभागों और एजेंसियों (जेएसपीसीबी, जेआरईडीए), प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों जैसेसीसीएल, बीसीसीएल, सीएमपीडीआई, एनटीपीसी और टाटा स्टील, टाटा पावर आदि के उच्च प्रतिनिधियों की भागीदारी हुई।

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