लोहरदगा: भीषण गर्मी में जहां आम लोग पानी के लिए परेशान हैं, वहीं नल-जल योजनाओं की हकीकत सरकार के दावों की पोल खोल रही है। लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड स्थित पतरातू, निगनी और गंगूपाड़ा गांवों में जल आपूर्ति योजनाएं वर्षों से अधूरी पड़ी हैं, जिससे ग्रामीणों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इस मुद्दे को लेकर लोहरदगा इंटक अध्यक्ष आलोक कुमार साहू ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "पेयजल विभाग में सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ है, जनता पानी के लिए त्रस्त है और अधिकारी मस्त हैं।"
श्री साहू ने सांसद सुखदेव भगत के निर्देश पर पतरातू और निगनी गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। ग्रामीणों ने बताया कि—
- पतरातू खरिहान टोली में 8000 लीटर की पानी टंकी तीन साल पहले बनी, लेकिन आज तक चालू नहीं हुई।
- बड़का टोली, आदिवासी टोली और नवा टोली में भी टंकियां तो बनीं, लेकिन पानी की एक बूंद तक नहीं पहुंची।
- निगनी और गंगूपाड़ा में दो वर्ष पहले कई स्थानों पर जलापूर्ति योजनाओं का ढांचा खड़ा किया गया, लेकिन टंकियां अब तक नहीं लगाई गईं।
ग्रामीणों ने इसे 'सरकारी राशि का बंदरबांट और योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट' करार दिया है।
श्री साहू ने इस गंभीर मामले को लेकर लोहरदगा उपायुक्त से मुलाकात की और जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई तथा जनता को शीघ्र पेयजल उपलब्ध कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस विषय को वे सांसद सुखदेव भगत को अवगत कराएंगे और 29 अप्रैल को दिशा समिति की बैठक में इस पर विशेष चर्चा की जाएगी।
जनता की पीड़ा और योजनाओं की पोल खोलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे:
संदीप साहू, गोपाल उरांव, जटू उरांव, सिकंदर उरांव, सोहन उरांव, मोहन उरांव, यासीन अंसारी, रोज़ामत अंसारी, दिनेश उरांव सहित अनेक ग्रामीण।
यह मामला न केवल प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जनहित की योजनाएं किस प्रकार भ्रष्टाचार की चपेट में आकर वर्षों तक ठप पड़ी रह सकती हैं।

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