“ऑपरेशन सिंदूर” के बाद हिंदुस्तान की कूटनीतिक स्ट्राइक: 40 सांसदों का वैश्विक मिशन, पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने की तैयारी!
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक सफलता के बाद अब हिंदुस्तान ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी अगला बड़ा कदम उठा लिया है। केंद्र सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जनमत तैयार करने के लिए 40 सांसदों का एक विशेष ऑल पार्टी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है। यह प्रतिनिधिमंडल 23 मई से 10 दिनों तक विभिन्न देशों की यात्रा करेगा और पाकिस्तान की आतंकी साजिशों, कश्मीर की सच्चाई और हिंदुस्तान के शांति प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने प्रस्तुत करेगा।
40 सांसद, 7 देश, एक मिशन: पाकिस्तान को बेनकाब करना
सूत्रों के अनुसार, यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, जापान, दक्षिण अफ्रीका सहित सात प्रमुख देशों की यात्रा करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर में उसकी भूमिका को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करना है। साथ ही, ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से हिंदुस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों की दक्षता और आतंकवाद के खिलाफ सरकार की निर्णायक नीति को रेखांकित करना है।
प्रतिनिधिमंडल के स्वरूप में दिखेगी राष्ट्रीय एकजुटता
यह विशेष प्रतिनिधिमंडल सात समूहों में विभाजित होगा, जिसमें हर दल के प्रमुख सांसद शामिल किए गए हैं। इससे यह संदेश भी जाएगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरा हिंदुस्तान एकजुट है। कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से यह कदम पाकिस्तान पर एक 'डिप्लोमेटिक स्ट्राइक' की तरह काम करेगा।
ये प्रमुख चेहरे करेंगे हिंदुस्तान की आवाज बुलंद
अब तक जिन नामों की पुष्टि हुई है, उनमें शामिल हैं:
- शशि थरूर (कांग्रेस)
- रविशंकर प्रसाद (भाजपा)
- संजय कुमार झा (जेडीयू)
- बैजयंत जय पांडा (भाजपा)
- कनीमोझी (डीएमके)
- सुप्रिया सुले (एनसीपी)
- एकनाथ शिंदे (शिवसेना)
- सलमान खुर्शीद (कांग्रेस)
- मनीष तिवारी (कांग्रेस)
- सस्मित पात्रा (बीजेडी)
किरन रिजिजू निभा रहे हैं समन्वयक की भूमिका
इस महत्वाकांक्षी अभियान की समन्वयक जिम्मेदारी संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजिजू को सौंपी गई है। वे सभी दलों के सांसदों के समन्वय, कार्यक्रम की रूपरेखा, और विदेशों में होने वाली बैठकों की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं ताकि प्रतिनिधिमंडल की प्रत्येक यात्रा प्रभावशाली और नीतिगत दृष्टि से सफल हो।
पाकिस्तान की खैर नहीं!
इस कदम से स्पष्ट है कि अब हिंदुस्तान सिर्फ सैन्य मोर्चे पर नहीं, बल्कि कूटनीतिक और वैचारिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह अंतरराष्ट्रीय अभियान पाकिस्तान को उस मंच पर घेरने की शुरुआत है, जहां वह अब तक खुद को 'शांति का पक्षधर' बताने की कोशिश करता रहा है। लेकिन अब सच्चाई, सबूत और रणनीति के साथ हिंदुस्तान दुनिया को दिखाएगा कि आतंक की असली फैक्ट्री कहां है।
यह केवल एक डेलीगेशन नहीं, बल्कि हिंदुस्तान की कूटनीतिक जवाबदेही और अंतरराष्ट्रीय चेतना का परिचायक है – पाकिस्तान को अब हर मंच पर जवाब मिलेगा!

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