हरियाणा/ हिसार (राजेश सलूजा) ।
आज के दौर में "नशा" एक ऐसी गंभीर समस्या बन चुका है, जिसने समाज की जड़ें हिला दी हैं। शराब, सिगरेट, तम्बाकू, और मादक पदार्थों का सेवन अब न केवल युवाओं में, बल्कि बच्चों और बुज़ुर्गों में भी देखा जा रहा है। यह एक धीमा ज़हर है, जो शरीर को तो नष्ट करता ही है, साथ ही मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी बर्बाद कर देता है। नशे के दुष्प्रभाव अनेक हैं
नशा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है, जिससे व्यक्ति गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाता है।
नशा परिवार में कलह, हिंसा और अस्थिरता को जन्म देता है।
नशे के कारण व्यक्ति अपनी आय का बड़ा हिस्सा व्यर्थ खर्च कर देता है
अपराध और असामाजिक गतिविधियाँ: नशे की लत व्यक्ति को चोरी, झगड़े, और अन्य अपराधों की ओर धकेल सकती है। समाज को नशे से कैसे बचाएँ:
स्कूलों, कॉलेजों और गांवों में नशे के दुष्परिणामों पर आधारित जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
बच्चों को छोटी उम्र से ही सही और गलत की पहचान कराना ज़रूरी है
. युवाओं को खेल, संगीत, नृत्य, पेंटिंग जैसी गतिविधियों में व्यस्त रखना चाहिए ताकि वे गलत राह पर न जाएँ।
नशा करने वालों के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता और नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए।
नशे के अवैध व्यापार पर रोक लगाने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए
नशा केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की समस्या है। इसे जड़ से मिटाने के लिए सरकार, परिवार, शिक्षक, और समाज के हर व्यक्ति को मिलकर प्रयास करना होगा। जब हम सब मिलकर जागरूक बनेंगे, तभी एक स्वस्थ, नशा-मुक्त और समृद्ध समाज की कल्पना साकार होगी।

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