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परमाणु बम के बाद बरसती है 'काली बारिश': जब ज़िंदगी जलती है, ज़मीन जहर उगलती है और भविष्य राख हो जाता है

अशोक कुमार झा | प्रधान संपादक, रांची दस्तक व PSA Live News

 भूमिका: युद्ध का डर और काली बारिश की वापसी

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और पाकिस्तान की ओर से खुलेआम परमाणु हमले की धमकी के बाद पूरा उपमहाद्वीप भय और आशंका के माहौल में डूब गया है। ड्रोन हमलों, सैन्य अभियानों और राजनीतिक बयानों के बीच एक शब्द बार-बार सामने आ रहा है काली बारिश

काली बारिशकोई रूपक नहीं, बल्कि परमाणु विस्फोट के बाद होने वाली एक वास्तविक, खतरनाक और जानलेवा प्रक्रिया है। यह वही बारिश है जिसने हिरोशिमा-नागासाकी को मरुस्थल में बदला, और लाखों को पीढ़ियों तक मौत की सजा दी।

 क्या होती है काली बारिश? विज्ञान के शब्दों में मौत की भाषा

जब कोई परमाणु बम फटता है, तो उससे निकलने वाली गर्मी और विकिरण लाखों डिग्री तापमान पैदा करती है। आसपास की हर चीज़ इंसान, पशु, पेड़, मिट्टी, धातु सबकुछ वाष्पित होकर हवा में उड़ जाता है।
यह गर्म वाष्प और धूल जब ऊपर चढ़कर रेडियोधर्मी तत्वों के संपर्क में आता है, तो वह रेडियोएक्टिव बादल बन जाता है। कुछ ही घंटों में यही बादल बारिश के रूप में ज़मीन पर गिरता है, जिसे हम कहते हैं काली बारिश’ (Black Rain)

इसमें पानी नहीं, बल्कि रेडियोधर्मी जहर होता है यूरेनियम, प्लूटोनियम, सीज़ियम, स्ट्रोंशियम जैसे कण जो शरीर में जाकर डीएनए को नुकसान, कैंसर, और मृत्यु का कारण बनते हैं।

 


मानव शरीर पर काली बारिश का असर: मौत केवल बाहर नहीं, भीतर भी होती है

त्वचा पर जलन और झुलसाव

आंखों में अंधकार और रोशनी का अंत

बाल झड़ना, उल्टियाँ, रक्तस्राव

गर्भ में पलते बच्चों में मस्तिष्क दोष

ल्यूकेमिया, थायरॉइड, बोन कैंसर

पीढ़ियों तक जेनेटिक परिवर्तन

यह बारिश केवल 'भीगाती' नहीं, जीवन को धीमी आग में जलाती है। यह एक ऐसा जहर है जो हवा, पानी, मिट्टी और जीवन सबमें घुल जाता है।

 इतिहास की सबसे बड़ी चेतावनी: हिरोशिमा और नागासाकी की काली बारिश

6 और 9 अगस्त, 1945 — अमेरिका ने जापान पर दो परमाणु बम गिराए।
80,000
से अधिक लोग तुरंत मारे गए। लेकिन असली मौत का तांडव तब शुरू हुआ जब काली बारिश बरसी।

  • लोग राहत के लिए नहाने लगे, लेकिन पानी जहर था
  • त्वचा पर जलन, आंखों में अंधकार और भीतर कैंसर की शुरुआत
  • आज भी हिबाकुशाकहे जाने वाले पीड़ित जीवित हैं लेकिन सामाजिक बहिष्कार और पीड़ा के साथ

 अगर भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध हुआ तो...?

परमाणु युद्ध सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं होगी यह पूरे दक्षिण एशिया की त्रासदी बनेगी:

तथ्य

अनुमान

एक सप्ताह में मौतें

1.2 करोड़ से अधिक

'काली बारिश' का क्षेत्र

पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान

तापमान में गिरावट

2-5 डिग्री (ग्लोबल कूलिंग)

फसल उत्पादन

30% तक गिरावट

भूख, बीमारियाँ, आप्रवासन

ऐतिहासिक स्तर

भारत के मेट्रो शहर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और पाकिस्तान के लाहौर, कराची जैसे शहर सीधे निशाने पर होंगे।

 क्या हमारे अस्पताल, हमारी सरकार, और हमारी जनता तैयार है?

 हकीकत यह है कि:

  • 80% से ज्यादा जिला अस्पतालों में रेडिएशन ट्रीटमेंट की कोई व्यवस्था नहीं
  • अधिकतर डॉक्टरों को विकिरण बीमारियों का अनुभव नहीं
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बचाव की शून्य व्यवस्था
  • नागरिकों को नहीं पता कि 'काली बारिश' होती क्या है

यह सवाल हम सबको खुद से पूछना होगा अगर परमाणु बम गिरा, और काली बारिश बरसी, तो क्या हम बच पाएँगे?

 मानसिक और सामाजिक असर: जब आत्मा पर पड़ता है रेडिएशन का साया

परमाणु विस्फोट केवल शरीर को नहीं मारता, मानसिक और सामाजिक ढांचे को भी छिन्न-भिन्न कर देता है:

  • PTSD (Post Traumatic Stress Disorder)
  • सामूहिक अवसाद, आत्महत्या
  • 'हिबाकुशा' जैसे पीड़ितों का बहिष्कार
  • बच्चों में भय, युवाओं में निराशा, समाज में तनाव

क्या हम अपने बच्चों को एक ऐसा भविष्य देना चाहते हैं, जहां आकाश से जहर बरसे और ज़मीन डर से थर्राए?

 भारत की भूमिका: 'No First Use' और शांति की नीति ही असली शक्ति है

भारत विश्व का एकमात्र प्रमुख परमाणु शक्ति है जो स्पष्ट रूप से कहता है:
 "
हम पहले परमाणु हमला नहीं करेंगे (No First Use)"

यह नीति केवल सैन्य रणनीति नहीं, भारतीय सभ्यता की शांति परंपरा का प्रतीक है
जब पाकिस्तान जैसे देश परमाणु हमले की धमकी देते हैं, भारत संयम, संयंत्र और संवाद की भाषा बोलता है क्योंकि हमें पता है कि युद्ध का अंत नहीं होता, बस काली बारिश की शुरुआत होती है।

 युवाओं और जनता से अपील: इस विषय को पढ़ें, समझें, और दूसरों को जागरूक करें

  • काली बारिश कोई मिथक नहीं यह विज्ञान है, इतिहास है और भविष्य की चेतावनी है
  • इसे केवल रक्षा विश्लेषकों या सरकार का विषय न समझें
  • स्कूलों, कॉलेजों, पंचायतों, सोशल मीडिया और धार्मिक संस्थाओं में जन-जागरूकता अभियान चलें
  • युद्ध की जय-जयकार से पहले काली बारिशका अंधेरा देख लें

एक आवाज़, जो युद्ध नहीं, शांति मांगती है

जब अंतिम बूंद भी ज़हरीली हो जाएगी, तब कौन बचेगा? जब पेड़, पानी, हवा सब मर जाएंगे, तब कौन विजेता होगा?”

आज हम सबको मिलकर वह सवाल पूछना है, जो आने वाली पीढ़ियाँ हमसे पूछेंगी
"
क्या तुमने उस काली बारिश को रोका, जो हमारा जीवन मिटा सकती थी?"

यह लेख राष्ट्र को समर्पित है उन नागरिकों को जो शांति के प्रहरी हैं, और उन छात्रों को जो भविष्य की मशाल हैं।

 

परमाणु बम के बाद बरसती है 'काली बारिश': जब ज़िंदगी जलती है, ज़मीन जहर उगलती है और भविष्य राख हो जाता है परमाणु बम के बाद बरसती है 'काली बारिश': जब ज़िंदगी जलती है, ज़मीन जहर उगलती है और भविष्य राख हो जाता है Reviewed by PSA Live News on 1:17:00 pm Rating: 5

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