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पानी की धार से कूटनीति का वार: भारत-अफगानिस्तान के शहतूत डैम प्रोजेक्ट से कांप उठा पाकिस्तान

तालिबान से वार्ता, जल-संधियों पर शिकंजा और सिंधु संधि पर रोक—हिंदुस्तान की रणनीतिक चतुराई से बदली दक्षिण एशिया की धारा


नई दिल्ली/काबुल/इस्लामाबाद:
दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में पानी अब केवल जीवनदायिनी नहीं, बल्कि रणनीतिक हथियार बनता जा रहा है। 15 मई की शाम को हिंदुस्तान के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। इस संवाद का असर इतना गहरा है कि इसे हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी सैन्य कार्रवाई के समकक्ष माना जा रहा है।

यह कूटनीतिक पहल ऐसे समय में हुई है जब हिंदुस्तान ने हालिया पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल समझौते को अस्थायी रूप से निलंबित करने के संकेत दिए हैं। अब शहतूत डैम जैसे महत्वाकांक्षी जल परियोजनाओं में अफगानिस्तान के साथ दोबारा सक्रिय सहयोग पाकिस्तान के लिए एक और बड़ा झटका है।

🔷 शहतूत डैम: पानी से ज्यादा, शक्ति का प्रतीक

2021 में प्रस्तावित शहतूत डैम परियोजना काबुल नदी पर बनाई जानी है, जो हिंदुकुश की पहाड़ियों से निकलती है और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में प्रवेश करती है। यह परियोजना अफगानिस्तान की राजधानी समेत लगभग 20 लाख लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएगी और करीब 4,000 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई में मददगार होगी।

हिंदुस्तान इस प्रोजेक्ट में 236 मिलियन डॉलर की तकनीकी और आर्थिक सहायता देगा। तालिबान शासन के आने के बाद यह परियोजना स्थगित हो गई थी, लेकिन अब भारत द्वारा काबुल में राजनयिक टीम भेजने के साथ ही यह फिर से गति पकड़ रही है।

🔷 पाकिस्तान की बढ़ती चिंता: पानी पर पकड़ कमजोर

काबुल नदी सिंधु बेसिन का अहम हिस्सा है और इस पर पाकिस्तान की सीधी निर्भरता है। सबसे अहम बात यह है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच किसी जल समझौते का अस्तित्व नहीं है, जिससे अफगानिस्तान को भारत समर्थित किसी भी परियोजना के लिए पाकिस्तान से अनुमति लेने की जरूरत नहीं।

इससे पहले तालिबान सरकार ने कुनार नदी पर एक और जलविद्युत परियोजना शुरू करने की घोषणा की थी। यह नदी भी पाकिस्तान में दाखिल होने से पहले काबुल नदी में मिलती है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच कुल 9 साझा नदी बेसिन हैं, जिन पर पाकिस्तान की जल आपूर्ति निर्भर है।

🔷 भारत की रणनीति: पानी के बहाने पाकिस्तान की घेरेबंदी

विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की यह रणनीति—

  • सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार,
  • अफगानिस्तान में जल परियोजनाओं में निवेश,
  • और तालिबान के साथ सीमित लेकिन व्यावसायिक संवाद

— एक भू-राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक है। इससे पाकिस्तान पर कूटनीतिक, जलवायु और रणनीतिक तीनों स्तरों पर दबाव बढ़ेगा।

पाकिस्तान पहले ही अफगान सीमा, शरणार्थियों की आमद और TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के हमलों से जूझ रहा है। अब जल संसाधनों पर भारत और अफगानिस्तान की संयुक्त पकड़ उसे अंदर और बाहर दोनों स्तरों पर असहाय बना रही है।

🔷 दक्षिण एशिया में नई धारा की शुरुआत

भारत की यह पहल न केवल पाकिस्तान की जल सुरक्षा को झकझोर रही है, बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक व्यवस्था में नए संतुलन की ओर भी संकेत करती है। यह स्पष्ट है कि अब कूटनीतिक वर्चस्व की लड़ाई बंदूक और बारूद से नहीं, बल्कि पानी की धार और तकनीकी निवेश से लड़ी जाएगी—और इसमें भारत निर्णायक भूमिका में आता दिख रहा है।

भारत और अफगानिस्तान की जल-राजनीति ने पाकिस्तान के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब सिर्फ सीमा पर ही नहीं, नदी की धारा पर भी भारत की पकड़ पाकिस्तान की सांसें रोक रही है। सिंधु संधि का पुनर्मूल्यांकन और अफगान सहयोग से एक ऐसा परिदृश्य बनता जा रहा है जिसमें हिंदुस्तान की हर चाल उसे दक्षिण एशिया का जल-नायक बनाने की ओर बढ़ा रही है।

पानी की धार से कूटनीति का वार: भारत-अफगानिस्तान के शहतूत डैम प्रोजेक्ट से कांप उठा पाकिस्तान पानी की धार से कूटनीति का वार: भारत-अफगानिस्तान के शहतूत डैम प्रोजेक्ट से कांप उठा पाकिस्तान Reviewed by PSA Live News on 9:57:00 pm Rating: 5

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