NEP 2020 और NCF 2023 के तहत बड़ा बदलाव, कक्षा 1 से 2 तक गणित समेत सभी विषय मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने के निर्देश, शिक्षकों को मिलेगा विशेष प्रशिक्षण
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने हिंदुस्तान की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव की घोषणा करते हुए प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1 और 2) में मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई को अनिवार्य कर दिया है। यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (NCF) 2023 के दिशा-निर्देशों के अनुसार लिया गया है। बोर्ड ने देशभर के अपने सभी संबद्ध स्कूलों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे छात्रों की भाषाई पहचान (Language Mapping) करें और गर्मी की छुट्टियों से पहले शिक्षण सामग्री तैयार कर लें।
अंग्रेजी का बोलबाला होगा खत्म, मातृभाषा को मिलेगा बढ़ावा
अभी तक CBSE से संबद्ध ज्यादातर स्कूलों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी रहा है, जिससे ग्रामीण व निम्नवर्गीय छात्रों को प्रारंभिक शिक्षा में कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन अब CBSE ने स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों की पहली कक्षा से दूसरी कक्षा तक की पढ़ाई उनकी मातृभाषा, घर की भाषा या स्थानीय क्षेत्रीय भाषा (जिसे R1 कहा गया है) में ही कराई जाएगी। यह बदलाव बच्चों की समझ, भावनात्मक जुड़ाव और तर्कशक्ति के विकास के लिए अहम माना जा रहा है।
गणित और भाषा दोनों अब बच्चों की भाषा में
CBSE ने निर्देश दिया है कि गणित जैसे विषय भी अब मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाए जाएंगे ताकि बच्चे मूलभूत अवधारणाओं को बेहतर समझ सकें। चूंकि कक्षा 1 और 2 में बच्चे मुख्य रूप से दो भाषाएं और गणित पढ़ते हैं, ऐसे में शिक्षा के प्रारंभिक चरण में भाषा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।
कक्षा 3 से 5 तक R2 भाषा का विकल्प
CBSE ने यह भी स्पष्ट किया है कि कक्षा 3 से 5 तक छात्र R1 भाषा में ही पढ़ाई जारी रख सकते हैं या जरूरत के अनुसार दूसरी भाषा (R2) में शिक्षा दी जा सकती है। स्कूलों को यह विकल्प छात्रों की सुविधा और समझ को ध्यान में रखते हुए मिलेगा।
स्कूलों को बनाने होंगे विशेष NCF कार्यान्वयन समिति
बोर्ड ने सभी स्कूलों को मई 2025 के अंत तक ‘NCF Implementation Committee’ गठित करने का निर्देश दिया है। यह समिति छात्रों की भाषा की पहचान करेगी, पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद सुनिश्चित करेगी और मातृभाषा आधारित शिक्षण सामग्री तैयार करने का कार्य करेगी। यह समिति पूरे बदलाव की रूपरेखा तय करेगी और उसकी क्रियान्वयन प्रक्रिया पर निगरानी रखेगी।
जुलाई से होगी हर महीने निगरानी और रिपोर्टिंग
CBSE ने कहा है कि जुलाई 2025 से सभी स्कूलों को हर महीने अपनी प्रगति रिपोर्ट बोर्ड को भेजनी होगी। इसके साथ ही बोर्ड के पर्यवेक्षक (Observers) स्कूलों का दौरा भी कर सकते हैं ताकि वे जमीनी स्तर पर बदलाव की स्थिति का मूल्यांकन कर सकें और जहां जरूरत हो, वहां आवश्यक मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान कर सकें।
शिक्षकों को दिया जाएगा विशेष प्रशिक्षण
CBSE ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे शिक्षकों को बहुभाषीय शिक्षण, कक्षा प्रबंधन, और भाषा आधारित मूल्यांकन की विधियों पर विशेष प्रशिक्षण दें। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षक नई प्रणाली को न केवल समझें बल्कि उसे प्रभावी ढंग से कक्षा में लागू भी कर सकें।
छोटे स्कूलों को मिलेगा समय और सहायता
CBSE ने यह भी माना है कि बड़े व संसाधन-संपन्न स्कूलों के लिए यह बदलाव अपेक्षाकृत आसान होगा, जबकि ग्रामीण व छोटे स्कूलों को इसे अपनाने में समय और अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता पड़ सकती है। ऐसे स्कूल यदि बदलाव में विलंब करना चाहें, तो उन्हें स्पष्ट टाइमलाइन और कार्य योजना प्रस्तुत करनी होगी।
NCERT पहले ही तैयार कर चुका है बहुभाषीय किताबें
CBSE के इस फैसले को समर्थन देने के लिए NCERT पहले ही कक्षा 1 और 2 की किताबें 22 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करा चुका है। उच्च कक्षाओं के लिए भी पुस्तकों के अनुवाद का कार्य जारी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भाषा की बाधा किसी छात्र की शिक्षा में आड़े न आए।
CBSE का यह ऐतिहासिक निर्णय न केवल मातृभाषाओं के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि इससे बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा अधिक स्वाभाविक, सहज और प्रभावी बन सकेगी। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर लागू करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। यदि सभी राज्य सरकारें और निजी स्कूल इस पहल को गंभीरता से अपनाते हैं, तो यह हिंदुस्तान की भावी पीढ़ी को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए मजबूत बुनियाद देगा।
Reviewed by PSA Live News
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10:56:00 am
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