न्यूयॉर्क से वैश्विक मंचों पर भारत की नई नीति का ऐलान – "आतंकवाद का हर हमला मिलेगा जवाब", पाकिस्तान की दोहरी नीति को किया उजागर
विशेष रिपोर्ट | अशोक कुमार झा
प्रधान संपादक – Ranchi Dastak / PSA Live News
स्थान: न्यूयॉर्क / नई दिल्ली
जब देश की सीमाओं पर गोलियों की गूंज
होती है, जब निर्दोषों की चीखें पहाड़ों में गूंजती हैं, और जब पाकिस्तान की ज़मीन
से चलकर आए आतंकवादी हमारे तीर्थस्थलों पर हमला करते हैं – तब क्या हिंदुस्तान
चुप रह सकता है? इस सवाल का जवाब कांग्रेस सांसद और पूर्व राजनयिक डॉ. शशि थरूर
ने अमेरिका की धरती से पूरी दुनिया को
दिया है – “अब चुप नहीं बैठेगा हिंदुस्तान। हम जवाब देंगे, और
करारा देंगे।”
न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास
में आयोजित एक विशेष संवाद के दौरान डॉ. थरूर ने पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए एक-एक शब्द में
पाकिस्तान के पाखंड को उजागर किया और साथ ही भारत की नई राष्ट्रीय सुरक्षा
नीति की झलक दिखाई।
न सिर्फ़ हमले की निंदा, बल्कि
ठोस चेतावनी
थरूर ने कहा कि आज आतंकवाद कोई
"आंतरिक" चुनौती नहीं, बल्कि
सीमा पार से पोषित वैश्विक खतरा है।
"भारत अब हर आतंकी हमले को एक युद्ध की
तरह मानेगा, और उसका उत्तर उसी भाषा में देगा।"
उन्होंने चेताया कि आतंकवादी हमलों के
प्रति चुप्पी अब अतीत की बात है।
“भारत न तो झुकेगा, न
चुप रहेगा, और न ही दुनिया को अंधेरे में रखेगा। हम हर मंच पर पाकिस्तान
की भूमिका को बेनकाब करेंगे।”
पाकिस्तान की दोहरी नीति: शांति की
बातें, आतंक की कार्रवाई
थरूर ने अमेरिका में वैश्विक समुदाय को
स्पष्ट शब्दों में बताया कि पाकिस्तान कैसे एक ओर शांति की बात करता है, और दूसरी ओर आतंकियों
को पनाह देता है।
उन्होंने 2015 के
पठानकोट एयरबेस हमले का ज़िक्र किया—
“हमारे प्रधानमंत्री खुद पाकिस्तान गए, दोस्ती का हाथ
बढ़ाया। और एक महीने बाद हमारे एयरबेस पर हमला हो गया। जब हमने मिलकर जांच का
न्योता दिया, तो पाकिस्तान ने क्या किया?
उनकी जांच टीम आकर लौट गई और कह दिया – भारत ने खुद पर हमला
किया। क्या यह हास्यास्पद नहीं, बल्कि शर्मनाक नहीं है?”
2015: पाकिस्तान का आखिरी विश्वासघात
थरूर ने दो टूक शब्दों में कहा – “2015 पाकिस्तान
के लिए आखिरी मौका था कि वो सभ्य राष्ट्रों की कतार में आ खड़ा हो। लेकिन उसने उस
अवसर को भी बर्बाद कर दिया।”
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान अब बार-बार
धोखा खाने वाला देश नहीं है। हमने अब स्पष्ट कर दिया है – “या
तो पाकिस्तान आतंकवादियों का समर्थन बंद करे,
या परिणाम भुगतने को तैयार रहे।”
“हम युद्ध नहीं चाहते –
लेकिन सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं”
थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि
हिंदुस्तान युद्ध नहीं चाहता, लेकिन यदि राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में आती है, तो जवाब देना
अनिवार्य है।
"हम विकास चाहते हैं,
रोज़गार चाहते हैं, शिक्षा चाहते हैं।
लेकिन पाकिस्तान चाहता है अशांति, खून और घृणा।"
उन्होंने आगे जोड़ा – “हमारे
सैनिक शांति के लिए हथियार नहीं डालेंगे,
लेकिन अगर दुश्मन युद्ध थोपेगा, तो
हम पीछे नहीं हटेंगे।”
पाकिस्तान की जमीन से संचालित आतंकी
ढांचे पर गहरा प्रहार
थरूर ने कहा कि यह अब किसी रहस्य की बात
नहीं रही कि पाकिस्तान के भीतर आतंकी शिविर चलते हैं, और वहां की खुफिया
एजेंसियों की मिलीभगत से सीमा पार आतंक भेजा जाता है।
“जैश-ए-मोहम्मद हो या लश्कर-ए-तैयबा – इन
संगठनों का पूरा तंत्र पाकिस्तानी धरती से ही चलता है, और
ये तथाकथित 'गैर-राज्य'
तत्व सिर्फ नाम के लिए हैं। असल में ये
पाकिस्तान की सेना और ISI के पाले हुए हथियार हैं।”
दुनिया की भूमिका भी अब तय होनी चाहिए
शशि थरूर ने अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र
जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों को भी संदेश दिया कि अब समय आ गया है कि वो आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाएं।
"सिर्फ बयानबाज़ी से आतंक नहीं रुकेगा। पाकिस्तान को आर्थिक
सहायता बंद करनी होगी, वैश्विक मंचों से अलग-थलग करना होगा, और उसे बताना होगा कि
आतंक के साथ कोई सहानुभूति नहीं चलेगी।"
भारत की नई नीति: संयम के बाद अब प्रतिकार
पिछले वर्षों में पुलवामा के जवाब में
बालाकोट एयरस्ट्राइक और नियंत्रण रेखा पर सर्जिकल स्ट्राइक ने यह स्पष्ट कर दिया
है कि नया भारत, नया हिंदुस्तान अब केवल शोक संदेश और निंदा प्रस्तावों तक
सीमित नहीं रहेगा।
थरूर ने कहा – “हम
दुनिया को बता देना चाहते हैं –
जब तक कोई देश अपने यहां से आतंक को
खत्म नहीं करता, तब तक वो सभ्य देश कहलाने का अधिकारी नहीं है। और भारत अब आतंक
के सामने न झुकेगा, न रुकेगा।”
डॉ. शशि थरूर का अमेरिका दौरा केवल एक
राजनयिक यात्रा नहीं, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध हिंदुस्तान की नई
रणनीतिक मुद्रा का सार्वजनिक उद्घोष
है।
यह दौरा बताता है कि भारत अब “Soft
Power” से आगे बढ़कर
“Smart Power” और “Hard
Response” के युग में प्रवेश कर चुका है।
अब पाकिस्तान को दो टूक संदेश दिया जा चुका है – या तो आतंक से नाता तोड़ो, या फिर वैश्विक मंचों पर अपमान और जवाब का सामना करो।

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