रियल टाइम मॉनिटरिंग से बढ़ेगी पारदर्शिता, ई-पॉश मशीनों से PDS दुकानदारों की मनमानी पर लगेगी लगाम, झारखंड के 2.63 करोड़ लाभुक होंगे लाभान्वित
रांची | प्रमुख संवाददाता । झारखंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में स्मार्ट PDS योजना की शुरुआत छह जिलों में कर दी गई है। इस योजना के तहत अब अनाज वितरण की हर गतिविधि पर केंद्र सरकार की सीधी नजर होगी। योजना के तहत रियल टाइम ट्रैकिंग सिस्टम, ई-पॉश मशीन, और सॉफ्टवेयर आधारित निगरानी की व्यवस्था लागू की गई है, जिससे लाभुकों तक समय पर और सही मात्रा में अनाज पहुंचाने की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनेगी।
खूंटी से हुई शुरुआत, अब पांच और जिलों में विस्तार
केंद्र सरकार ने फरवरी 2025 में झारखंड के खूंटी जिले में इस योजना की पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरुआत की थी। सफलता मिलने के बाद इसे अप्रैल माह से चतरा, गुमला, कोडरमा, लातेहार और सिमडेगा जिलों में भी लागू कर दिया गया है। इन छह जिलों में योजना के तहत ई-पॉश मशीनें स्थापित की गई हैं, जो अनाज वितरण से संबंधित प्रत्येक जानकारी को डिजिटल रूप में केंद्र सरकार तक तुरंत भेजती हैं।
आंकड़ों में पारदर्शिता और जवाबदेही
19 अप्रैल 2025 तक स्मार्ट PDS योजना के तहत छह जिलों में अनाज वितरण का डेटा इस प्रकार है:
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चतरा: 28.38%
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गुमला: 45.74%
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कोडरमा: 26.26%
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लातेहार: 41.64%
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खूंटी: 38.02%
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सिमडेगा: 65.25%
इस डेटा से स्पष्ट है कि योजना के तहत अनाज वितरण की प्रक्रिया सुचारु रूप से आगे बढ़ रही है और हर जिले की प्रगति अब प्रतिदिन मॉनिटर की जा रही है।
क्या है स्मार्ट PDS योजना?
स्मार्ट PDS (Smart Public Distribution System) योजना का उद्देश्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली में तकनीक का समावेश कर उसे अधिक सुसंगठित, पारदर्शी और समयबद्ध बनाना है। इसके अंतर्गत अनाज की एफसीआई गोदाम से SFC गोदाम तक, और वहां से PDS दुकानों तक पहुंच की पूरी प्रक्रिया पर केंद्र की निगरानी रहती है। इससे न केवल अनाज के वितरण की गति, बल्कि उसकी मात्रा और गुणवत्ता की भी पुष्टि हो सकेगी।
कैसे काम करेगा नया सिस्टम?
स्मार्ट PDS के तहत:
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प्रत्येक PDS दुकान में ई-पॉश मशीन लगाई गई है।
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इन मशीनों में विशेष सॉफ्टवेयर डाला गया है, जो बायोमैट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से लाभुक की पहचान करता है।
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जैसे ही लाभुक को अनाज वितरित किया जाता है, उसकी जानकारी रियल टाइम में केंद्र सरकार के डेटा सर्वर तक पहुंचती है।
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इसके साथ-साथ अनाज के परिवहन की जानकारी भी GPS आधारित ट्रैकिंग के जरिये उपलब्ध होती है।
क्या होंगे स्मार्ट PDS के लाभ?
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पारदर्शिता में वृद्धि: वितरण से लेकर परिवहन तक की हर जानकारी अब डिजिटल रूप से दर्ज होगी।
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भ्रष्टाचार पर नियंत्रण: दुकानदार की मनमानी, कालाबाजारी और अवैध वितरण पर रोक लगेगी।
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प्रशासनिक निगरानी: अधिकारी अब कार्यालय में बैठे-बैठे ही देख सकेंगे कि किस दुकानदार ने कब कितना अनाज वितरित किया।
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लाभुकों की सुरक्षा: सही व्यक्ति को सही मात्रा में अनाज मिलने की गारंटी।
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राज्यों की रिपोर्टिंग पर निर्भरता कम: अब केंद्र सरकार को स्वतः जानकारी मिलती रहेगी, जिससे योजनाओं की निगरानी तेज़ होगी।
झारखंड में कितने लाभुक होंगे प्रभावित?
झारखंड में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत करीब 2.63 करोड़ लाभुक पंजीकृत हैं। स्मार्ट PDS योजना के पूर्ण रूप से लागू होने पर राज्य के सभी पात्र लाभुकों को समय पर, सही मात्रा में और बिना भ्रष्टाचार के अनाज वितरण सुनिश्चित किया जा सकेगा।
झारखंड में शुरू हुई स्मार्ट PDS योजना डिजिटल इंडिया मिशन और पारदर्शी शासन व्यवस्था की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो पूरे राज्य और अन्य राज्यों में भी इसे लागू कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भ्रष्टाचार-मुक्त और अधिक जनोन्मुखी बनाया जा सकेगा। झारखंड जैसे राज्य में जहां भूख और गरीबी आज भी बड़ी चुनौतियां हैं, यह तकनीकी नवाचार एक आशा की किरण बन सकता है।

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