सुभाष चंद्र बोस पार्क 20 वर्षों बाद अतिक्रमण से मुक्त करने की कार्रवाई शुरू, नर्सरी व्यवसायियों में मचा हड़कंप
रांची : राजधानी रांची के कचहरी स्थित ऐतिहासिक सुभाष चंद्र बोस पार्क को लगभग दो दशकों बाद अतिक्रमण मुक्त कराने की दिशा में नगर प्रशासन ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की। उपायुक्त कार्यालय के समीप स्थित इस पार्क से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया की शुरुआत होते ही वर्षों से यहां नर्सरी व्यवसाय चला रहे दुकानदारों में अफरा-तफरी और भारी नाराजगी देखी गई।
शनिवार की सुबह नगर निगम और अंचल प्रशासन की संयुक्त टीम ने पार्क के चारों ओर लगे अस्थायी नर्सरी दुकानों को हटाने की कार्रवाई की। इस दौरान प्रशासन के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती भी की गई थी ताकि किसी प्रकार का विरोध या अव्यवस्था न हो।
वर्षों से अतिक्रमण की चपेट में था पार्क
सुभाष चंद्र बोस के नाम पर बना यह पार्क पहले स्थानीय लोगों के लिए सैर-सपाटे, बैठने और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल था। लेकिन बीते दो दशकों से नर्सरी कारोबारियों द्वारा किए गए अतिक्रमण के चलते यह पूरी तरह से व्यवसायिक स्थल में तब्दील हो गया था। पार्क का मूल स्वरूप खत्म हो चुका था और आम लोगों का प्रवेश भी लगभग असंभव हो गया था।
नर्सरी दुकानदारों का विरोध
पार्क से हटाए जा रहे नर्सरी दुकानदारों ने कार्रवाई का विरोध करते हुए इसे "आजीविका पर चोट" बताया। उनका कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से वहां व्यवसाय कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं और अचानक हटाए जाने से उन्हें गहरा झटका लगा है। कई दुकानदारों ने वैकल्पिक व्यवस्था की मांग भी की।
प्रशासन का स्पष्ट रुख
रांची नगर निगम के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई न्यायालय के निर्देश और सार्वजनिक हित में की जा रही है। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
"सुभाष चंद्र बोस पार्क सार्वजनिक उपयोग की भूमि है। वर्षों से उस पर अतिक्रमण कर निजी व्यवसाय चलाए जा रहे थे। अब इसे सुंदर और हरित वातावरण के रूप में पुनः विकसित किया जाएगा।"
आगे की योजना
नगर निगम द्वारा बताया गया कि पार्क को पुनर्विकास योजना के तहत विकसित किया जाएगा। इसमें हरियाली, बैठने की सुविधा, बच्चों के खेलने के उपकरण और प्रकाश व्यवस्था जैसी सुविधाएं बहाल की जाएंगी। साथ ही यह भी कहा गया कि जिन लोगों की दुकानें हटाई गई हैं, उनके लिए यदि संभव हो तो वैकल्पिक स्थल चिन्हित किया जाएगा, लेकिन सार्वजनिक भूमि पर कब्जा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की इस पहल की सराहना की है। उनका कहना है कि पार्क की जमीन अतिक्रमण मुक्त होने से क्षेत्र में सौंदर्यीकरण होगा और बच्चों व बुजुर्गों को एक बार फिर से खुले और हरे-भरे वातावरण में समय बिताने का अवसर मिलेगा।
लगभग 20 वर्षों से उपेक्षित और अतिक्रमण से ग्रसित सुभाष चंद्र बोस पार्क को पुनर्जीवित करने की दिशा में उठाया गया यह कदम न केवल शहर की सुंदरता बढ़ाएगा, बल्कि लोगों को शहरी जीवन में एक राहत भरा स्थान भी उपलब्ध कराएगा। नगर प्रशासन यदि इस कार्य को योजनाबद्ध रूप से पूरा करता है तो यह रांचीवासियों के लिए एक बड़ी सौगात साबित होगा।

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