गुरु नानक सेवक जत्था की श्री हेमकुंट साहिब यात्रा के 25 वर्ष पूर्ण: केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने जत्थे का किया अभिनंदन
नई दिल्ली/रांची। सिख श्रद्धा, सेवा और समर्पण की जीवंत मिसाल पेश करते हुए, गुरु नानक सेवक जत्था, रांची की ऐतिहासिक तीर्थयात्रा – श्री हेमकुंट साहिब यात्रा के 25 वर्षों की पूर्णता पर आज एक विशेष सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने नई दिल्ली स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा बंगला साहिब में जत्थे के 170 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और इस अध्यात्मिक यात्रा के प्रति उनके समर्पण को नमन किया।
गुरु नानक सेवक जत्था: श्रद्धा का 25 वर्ष लंबा सफर
गुरु नानक सेवक जत्था, रांची की गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा, रातू रोड से प्रतिवर्ष निकलने वाला एक धार्मिक दल है, जो उत्तराखंड स्थित पवित्र तीर्थस्थल श्री हेमकुंट साहिब तक की यात्रा करता है। यह तीर्थ स्थान सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी की तपस्थली मानी जाती है और हिमालय की गोद में स्थित यह तीर्थ हर सिख श्रद्धालु के लिए एक आध्यात्मिक स्वप्न के समान है।
इस वर्ष यात्रा का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह जत्था अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है — यानी एक चौथाई सदी से लगातार सेवा, श्रद्धा और विश्वास की यह परंपरा जीवित है।
केंद्रीय मंत्री ने जत्थे के प्रयासों की सराहना की
गुरुद्वारा बंगला साहिब में आयोजित विशेष बैठक में केंद्रीय मंत्री श्री संजय सेठ ने कहा:
"यह कोई साधारण तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि एक अनुशासन, सेवा और आध्यात्मिक आत्मशुद्धि का संगम है। 25 वर्षों तक यह परंपरा जीवित रखना, सिख समुदाय की निष्ठा और संगठन क्षमता का प्रेरणादायक उदाहरण है। मैं गुरु नानक सेवक जत्था के प्रत्येक सदस्य को बधाई देता हूँ।"
उन्होंने आगे कहा कि धर्म और राष्ट्र दोनों की सेवा में ऐसे संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है, और सरकार हमेशा ऐसे सामाजिक-धार्मिक अभियानों को समर्थन देने के लिए तत्पर है।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख सदस्य
इस ऐतिहासिक यात्रा में शामिल 170 श्रद्धालुओं में कई प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता और सेवाभावी सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से:
- उमेश मुंजाल
- रमेश टेहरी
- भरत गाबा
- वीरू सिंह
- समीर सिंह
- गगन गिरधर
- निखिल गिरधर
- कौशिक अरोड़ा
इन सभी ने सेवा भावना के साथ न केवल यात्रा का संचालन किया, बल्कि नवयुवकों को सिख इतिहास और आध्यात्मिक परंपराओं से जोड़ने का प्रयास भी किया।
गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा, रांची की भूमिका
रांची के रातू रोड स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा ने इस जत्था की स्थापना और यात्रा संचालन में केंद्रिय भूमिका निभाई है। यह संस्था न केवल धार्मिक आयोजनों में अग्रणी रही है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा कार्यों में भी उल्लेखनीय योगदान देती रही है।
श्री हेमकुंट साहिब: हिमालय में आस्था का हिमालय
श्री हेमकुंट साहिब, लगभग 15,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित, हिमालय का एक पवित्र तीर्थस्थल है जहाँ गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने पूर्व जन्म में तप किया था। वहां तक पहुँचने के लिए श्रद्धालु दुर्गम पर्वतीय मार्गों और प्राकृतिक चुनौतियों का सामना करते हैं। यह यात्रा केवल शरीर की नहीं, आत्मा की भी परीक्षा होती है।
इस वर्ष की यात्रा न केवल गुरु नानक सेवक जत्था के लिए, बल्कि पूरे सिख समुदाय और धार्मिक समर्पण की भावना को लेकर चलने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणा बन गई है। केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति और समर्थन ने इस आयोजन को और गरिमामय बना दिया।
यह जत्था आने वाले वर्षों में भी इसी प्रकार श्रद्धा, सेवा और समर्पण की ज्योति जलाता रहे — यही सभी श्रद्धालुओं की कामना है।
✍️ रिपोर्ट: PSA Live News | Ranchi Dastak
📌 संपादक: अशोक कुमार झा

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