बिहार के पूर्णिया में फर्जी थाना और नकली गश्ती दल का भंडाफोड़: 500 से अधिक युवाओं को पहनाई गयी वर्दी, नौकरी के नाम पर लाखों की ठगी
(विशेष रिपोर्ट – PSA Live News)
पूर्णिया, बिहार: बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं को सरकारी नौकरी का सपना दिखाकर लाखों की ठगी का एक चौंकाने वाला मामला बिहार के पूर्णिया जिले से सामने आया है। यहां एक युवक ने बाकायदा फर्जी थाना खोलकर ग्राम रक्षा दल और दलपति के पदों पर नौकरी देने का झांसा दिया और 500 से अधिक युवक-युवतियों से वसूली कर उन्हें नकली वर्दी पहना दी। इन युवाओं से न सिर्फ ड्यूटी करवाई गई बल्कि उन्हें फर्जी चालान रसीद देकर सड़क पर वसूली में भी लगाया गया।
ठगी का तंत्र: वर्दी, चालान और गश्ती
पूरा मामला फिल्मी कहानी जैसा है लेकिन यह हकीकत है। आरोपित राहुल कुमार साह, जो कसबा नगर परिषद के वार्ड संख्या 23 स्थित नेमा टोल निवासी राजू प्रसाद साह का बेटा है, ने खुद को ‘ग्राम रक्षा दल’ का अधिकारी बताकर बेरोजगार युवाओं को फंसाया। राहुल ने बाकायदा खाकी वर्दी सिलवाई, आईडी कार्ड छपवाए और फर्जी थाना परिसर जैसा कार्यालय तक बना लिया।
इन तथाकथित जवानों को विभिन्न मोहल्लों में ड्यूटी पर लगाया गया और चालान रसीद की पुस्तिकाएं देकर ट्रैफिक वसूली का काम सौंपा गया। वसूली की रकम में से युवाओं को मामूली हिस्सा दिया जाता था, शेष खुद रखता था।
पीड़ितों की आपबीती: “कर्ज लेकर दिए थे पैसे”
पीड़ित युवाओं ने बताया कि राहुल ने उनसे 10-10 हजार रुपए नौकरी के नाम पर लिए। कुछ लोगों ने इसके लिए कर्ज तक ले लिया, तो कुछ ने महाजनों से ब्याज पर पैसा उठाया। वर्दी पहनने और रोज़ सुबह “थाने” में हाजिरी देने से उन्हें यह भरोसा हो गया था कि उनकी सरकारी नौकरी लग गई है। कई पीड़ित महीनों तक बिना वेतन काम करते रहे।
पीड़ितों ने बताया कि अगर किसी वाहन चालक से 1,000 रुपए की वसूली होती थी तो राहुल 200 रुपए वर्दीधारी को देता था और 800 रुपए खुद रखता था। चालान की रसीदें भी नकली थीं, जिन पर किसी भी वैधानिक विभाग की मुहर या नंबर नहीं होता था।
फर्जी थाना का पर्दाफाश: जब पीड़ित पहुंचे थाने
पूरा मामला तब उजागर हुआ जब कई पीड़ित युवक-युवतियां असली कसबा थाना पहुंचे और लिखित शिकायत दी। थानाध्यक्ष अजय कुमार अजनवी ने बताया कि “हमारे पास कई युवक-युवतियों ने लिखित आवेदन देकर ग्राम रक्षा दल और दलपति की नौकरी के नाम पर ठगी की शिकायत की है। आरोपित राहुल कुमार फिलहाल फरार है। मामले की गहन जांच की जा रही है।”
पुलिस की लापरवाही पर उठे सवाल
बिहार जैसे राज्य में, जहां पुलिस विभाग की चौकसी पर अक्सर सवाल उठते हैं, वहां फर्जी थाना चलना और महीनों तक फर्जी गश्ती दल का संचालन होना, सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है। यह घटना पुलिस महकमे की सतर्कता और निगरानी व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है कि एक युवक महीनों तक नकली फोर्स के साथ खुलेआम वसूली करता रहा और स्थानीय प्रशासन को भनक तक नहीं लगी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और सामाजिक चिंता
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने इसे बेरोजगारी का नतीजा बताया तो कुछ ने इसे प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का चरम कहा।
पूर्व विधायक रमेश यादव ने कहा, “अगर युवाओं को रोजगार दिया गया होता, तो आज कोई ठग उन्हें झांसा नहीं दे पाता। यह मामला सिर्फ एक ठग का नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता का है।”
पूरे गिरोह का पर्दाफाश जरूरी
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, राहुल अकेला यह ठगी नहीं कर रहा था। उसके साथ कुछ अन्य लोग भी मिले हुए थे जो फर्जी वर्दी बनाने, चालान रसीद छपवाने और नौकरी की झूठी फाइलें तैयार करने में शामिल थे। यह आशंका भी जताई जा रही है कि इसमें कुछ प्रभावशाली लोगों का संरक्षण भी हो सकता है।
पुलिस को क्या करना चाहिए?
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गिरफ्तारी में तेजी लाना: राहुल कुमार साह को शीघ्र गिरफ्तार किया जाना चाहिए ताकि अन्य पीड़ित सामने आ सकें।
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पूरे नेटवर्क की पहचान: केवल राहुल नहीं, बल्कि उसकी मदद करने वाले सभी लोगों की पहचान और गिरफ्तारी हो।
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पैसे की रिकवरी: जिनसे ठगी हुई है, उन्हें न्याय दिलाने के लिए आर्थिक हानि की भरपाई की व्यवस्था हो।
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फर्जी दस्तावेजों की जांच: फर्जी आईडी कार्ड और चालान पुस्तिकाओं की छपाई में कौन शामिल था, इसकी भी जांच हो।
बेरोजगारी और कानून व्यवस्था की संयुक्त विफलता
पूर्णिया की यह घटना न केवल बेरोजगारी की भयावह स्थिति को उजागर करती है, बल्कि कानून-व्यवस्था की गंभीर खामियों को भी सामने लाती है। यह जरूरी है कि ऐसे मामलों को केवल ‘ठगी’ कहकर नजरअंदाज न किया जाए, बल्कि इसे सुनियोजित अपराध और प्रशासनिक विफलता के रूप में देखा जाए। दोषियों को कठोर सजा और पीड़ितों को न्याय मिलना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।

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