ईडी की कार्रवाई में नया मोड़: अंबा प्रसाद मामले में हजारीबाग डीएमओ से लिये गये अहम दस्तावेज, बालू खनन घोटाले की जांच तेज़
रांची/हजारीबाग, 25 जुलाई । झारखंड में अवैध बालू खनन से जुड़े हाई-प्रोफाइल मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को एक और अहम कदम उठाया है। बड़कागांव की पूर्व कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद और उनके परिजनों से जुड़े आर्थिक अपराधों की जांच के सिलसिले में ईडी की एक टीम ने हजारीबाग के जिला खनन पदाधिकारी (DMO) अजीत कुमार से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किए हैं।
सूत्रों के अनुसार, ये दस्तावेज जिले में बालू पट्टों के आवंटन, खनन अनुज्ञप्तियों, रॉयल्टी भुगतान, और कथित रूप से नियमों के उल्लंघन से जुड़ी गतिविधियों की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं। ईडी अब इन कागजातों के आधार पर गहन विश्लेषण कर रही है, ताकि धनशोधन (money laundering) और राजस्व की हानि जैसे बिंदुओं पर ठोस साक्ष्य जुटाए जा सकें।
पहले हो चुका है DMO कार्यालय का सर्वे
ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले ही ईडी ने हजारीबाग डीएमओ कार्यालय का औचक सर्वेक्षण किया था। उस दौरान टीम ने कई जरूरी दस्तावेज जब्त किये थे, लेकिन कुछ फाइलें और अभिलेख उस समय उपलब्ध नहीं हो सके थे। अब वही लंबित दस्तावेज ईडी द्वारा गुरुवार को औपचारिक रूप से लिये गये, जिन्हें केंद्रीय एजेंसी अब विस्तृत तकनीकी और कानूनी दृष्टिकोण से परखेगी।
4 जुलाई को हुई थी बड़ी छापेमारी
इससे पहले 4 जुलाई को ईडी ने बड़कागांव की पूर्व विधायक अंबा प्रसाद, उनके पारिवारिक सदस्यों, उनके भाई के चार्टर्ड अकाउंटेंट और बालू कारोबार से जुड़े अन्य लोगों के रांची, हजारीबाग और अन्य स्थानों पर एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान ईडी को कथित अवैध खनन, वित्तीय लेन-देन और संपत्ति निवेश से जुड़े कई दस्तावेज और डिजिटल सबूत हाथ लगे थे।
ईडी की यह जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के अंतर्गत दर्ज ईसीआईआर (ECIR) के आधार पर की जा रही है, जोकि मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों की पुष्टि होने पर दर्ज की जाती है।
अवैध बालू खनन में राजनीतिक गठजोड़ की पड़ताल
प्रवर्तन निदेशालय इस पूरे मामले में यह जांच कर रही है कि क्या पूर्व विधायक अंबा प्रसाद और उनके परिवार ने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग कर बालू घाटों के आवंटन, परिवहन और बिक्री में अवैध तरीके से हस्तक्षेप किया। एजेंसी यह भी जांच कर रही है कि इस अवैध कमाई को वैध परिसंपत्तियों में कैसे बदला गया और किन-किन नामों पर संपत्तियां खरीदी गईं।
राज्य सरकार और खनन विभाग की भूमिका भी जांच के घेरे में
सूत्रों के अनुसार, ईडी अब झारखंड खनन विभाग, स्थानीय प्रशासन और जिला स्तरीय पदाधिकारियों की संलिप्तता या लापरवाही की भी जांच कर रही है। यह देखा जा रहा है कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन गतिविधियां किनकी मिलीभगत से वर्षों तक बेरोकटोक चलती रहीं और किसे इसका आर्थिक लाभ मिला।
राजनीतिक हलकों में हलचल
ईडी की कार्रवाई के बाद झारखंड की सियासत में भी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस पार्टी फिलहाल बचाव की मुद्रा में नजर आ रही है, जबकि भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने पूरे मामले में सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। भाजपा नेताओं का आरोप है कि झारखंड में खनिज माफिया और सत्ता का गठजोड़ लंबे समय से फलफूल रहा है और ईडी की कार्रवाई उसी कड़ी का परिणाम है।
निष्कर्ष:
ईडी की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। हजारीबाग के खनन कार्यालय से मिले दस्तावेजों के बाद इस मामले में नए खुलासे और संभावित गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। झारखंड में अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति, नौकरशाही और व्यापारिक गलियारों को और अधिक हिला सकता है।

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