रांची । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आज 50वां जन्मदिन है। इस बार सीएम अपना जन्मदिन नहीं मानाएंगे क्योंकि उनके पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन 4 अगस्त को हुआ था, और इन दिनों उनका श्राद्ध कर्म चल रहा है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गहरे शोक में हैं। हेमंत सोरेन का जीवन संघर्ष, राजनीतिक उतार-चढ़ाव और उपलब्धियों की मिसाल रहा है। उनका जन्म 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी रहे हेमंत इंजीनियर बनने का सपना देखते थे। उन्होंने रांची के प्रतिष्ठित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT), मेसरा में प्रवेश भी लिया, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों और बदलती राजनीतिक परिस्थितियों ने उनका रास्ता बदल दिया। उन्होंने पढ़ाई छोड़कर संगठन को मजबूत करने का बीड़ा उठाया और बड़े भाई दुर्गा सोरेन के साथ सक्रिय राजनीति में उतर आए।
2005 में उन्होंने दुमका से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और संगठनात्मक मजबूती के साथ कार्य करते रहे। 2009 में दुमका सीट से जीत दर्ज की और 2010 में राज्य के उपमुख्यमंत्री बने। 13 जुलाई 2013 को उन्होंने पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह सरकार झामुमो, कांग्रेस और राजद के समर्थन से बनी थी और उनका कार्यकाल 23 दिसंबर 2014 तक चला। 2014 में वे दुमका और बरहेट दोनों सीटों से चुनाव लड़े दुमका में हार मिले, लेकिन बरहेट से विजयी हुए। इसके बाद वे विपक्ष के नेता के रूप में पांच वर्षों तक सक्रिय राजनीति में डटे रहे।
2009 में बड़े भाई दुर्गा सोरेन के निधन और पिता शिबू सोरेन की बढ़ती उम्र के साथ हेमंत सोरेन पर झामुमो की पूरी जिम्मेदारी आ गई। उन्होंने इसे पूरी निष्ठा और दृढ़ता से निभाया। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य में कई जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं और झारखंड की जनता के मुद्दों पर मुखर होकर काम किया। आज जब वे 50 वर्ष के हो गए हैं, उनका जन्मदिन ऐसे समय आया है जब वे अपने पिता के निधन के शोक में हैं। एक पुत्र के रूप में वे अपने पिता की राजनीतिक और सामाजिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और राज्य की सेवा में निरंतर लगे हुए हैं।

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