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श्रीकृष्ण का आवाह्न करने के लिए मानव के व्यवहार में शुद्धि की आवश्यकता: जय सिंह यादव

श्री कृष्ण का जीवन केवल रासलीला नहीं, बल्कि नीति, रणनीति और समर्पित सेवा का प्रतीक: संजय सर्राफ



श्रीकृष्ण हमारे मान्य पूर्वज थे। उन्होंने गीता ज्ञान तथा सहज राजयोग के अभ्यास द्वारा ही श्रेष्ठ देवता–पद को प्राप्त किया। वह योगीराज थे। श्रीकृष्ण का आवाहन करने के लिए मनुष्य के आचार–विचार व्यवहार के शुद्धिकरण की आवश्यकता है। ये उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय चौधरी बगान, हरमू रोड में "श्रीकृष्ण जन्मोत्सव समारोह" के पूर्व सप्ताह में आयोजित कार्यक्रम में जय सिंह यादव अध्यक्ष श्री महावीर मंडल, राँची ने अभिव्यक्त किए।

कार्यक्रम में झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह श्रीकृष्ण प्रणामी सेवाधाम ट्रस्ट के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्म से ही महान थे इसलिए अवश्य ही पूर्व जन्म में उन्होंने कोई महान पुण्यार्जन किया होगा। निकट भविष्य में शीघ्र ही भारत में श्रीकृष्ण जन्म लेंगे और भुलोक स्वर्ग बन जायेगा। वह होगी सोने की द्वारिका तथा बैकुंठ का क्षीर सागर। उस मन–मोहक झांकी को देखने के योग्य बनने के लिए हमें स्वयं के ज्ञान योग के चंदन से तिलक देना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण का जीवन केवल रासलीला नहीं, बल्कि नीति, रणनीति और समर्पित सेवा का प्रतीक है।

विनीता सिंघानियां मारवाड़ी युवा मंच समर्पण शाखा ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीकृष्ण प्रशासनिक क्षमता से सम्पन्न राज्य सत्ता तथा धर्म सत्ता दोनों के मालिक थे। अभी जरूरत इस बात की है कि हम अपनी इन्द्रियों पर शासन करें। इन्द्रिय जीत बनने से ही हम लोगों के दिलों को जीत उनके दिल पर राज्य कर सकेंगे। कार्यक्रम में उपस्थित शिव नारायण साहू कृषक एवं व्यवसायी ओरमांझी ने कहा आन्तर के नेत्र खोलकर यथार्थ का अनुभव करने की जरूरत है। श्रीकृष्ण केवल तन से ही देवता न थे उनके मन में में देवत्व था। ऐसी पवित्र आत्मा जिनके स्मरण से ही विकारी भावनाएँ समाप्त हो जाती है, मिथ्या कलंक लगाना उचित नहीं है। सम्पूर्ण अहिंसक योगेश्वर श्रीकृष्ण की दुनिया में कोई भी कामी क्रोधी अथवा भ्रष्टाचारी व्यक्ति हो ही नहीं सकता। सच्चा गीता ज्ञान सुनकर राजयोग अभ्यास करने वाली आत्माएँ ब्रह्मावत्स शीघ्र आने वाले स्वर्गीय स्वराज्य में श्रीकृष्ण के साथ देवी–देवताओं के रूप में प्रत्यक्ष होंगी।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सत्य नारायण तिवारी, समाजसेवी ने कहा कि कृष्ण ने धर्म स्थापना और सत्य की रक्षा के लिए कई कार्य किए। जन्माष्टमी हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। कार्यक्रम में उपस्थित मारवाड़ी युवा मंच, समर्पण शाखा की शुभा अग्रवाल ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हमें उनके गुणों और शिक्षाओं को आत्मसात करने और अपने जीवन को दिव्य बनाने की प्रेरणा देता है।

दुर्गा साहू समाजसेवी ने कहा कि श्रीकृष्ण का जन्म कारावास में हुआ था जो अज्ञानता और बंधनों से मुक्त होने की प्रेरणा देता है। कृष्ण का जीवन प्रेम, आनंद और सकारात्मकता से भरा था। हमें भी अपने जीवन में सकारात्मकता एवं प्रेम को प्रसारित करना चाहिए।

केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला ने कहा कि श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में न होकर सतयुगी सुख की दुनियां में हुआ था। कलियुगी सृष्टि के इस अंत समय में पतित सृष्टि समाप्त होकर सुखमय स्वर्ग आता है। जहां श्रीकृष्ण सर्वगुण संपन्न देवता के रूप में अवतरित होते हैं। यमुना के कंठे पर फिर उनकी रासलीला होती है। जो आत्माएं वर्तमान समय गीताज्ञान एवं राजयोग के द्वारा विकारों का त्याग कर पवित्र और योगी बनेगी वे ही स्वर्ग की दुनिया में श्रीकृष्ण के साथ पदार्पण करेगी। ब्रह्मा के रूप में पाँच विकारों का त्याग करनेवाला इस सृष्टि का महानायक ही सतयुग में श्रीकृष्ण बना जिसकी यादगार में कृष्ण को पाँच विकारों के प्रतीक पाँच फन वाले कालिदह का मर्दन करते दिखाया गया है। वर्तमान में सृष्टि पर भ्रष्टाचार, पापाचार, हिंसा व आतंक का पहाड़ बढ़ता जा रहा है। जिसके बोझ से मानवता को बचाने के लिए सच्चा ज्ञान परमात्मा शिव मानव आत्माओं को दे रहे हैं। पूर्व जन्म में ब्रह्मा के ज्ञान योग बल से पापाचार का बोझ उठाया था इसलिए श्रीकृष्ण गिरधर कहलाये। भव्य समारोह में स्वर्णिम विश्व का आहवान स्वर्णिम दिव्य गीतों व राजयोग अभ्यास से किया गया। कृष्ण राधे की चेतन्य झांकियों के समक्ष भावपूर्ण अभिनय, नृत्य व रास किया गया - "गोप-गोपी नाचे गाये - आनंद खूब मनायें, आज जन्म हुआ है मनमोहन का" "जिसकी रचना इतनी सुंदर, वह खुद कितना सुंदर होगा" आदि आदि गीतों पर  भाव नृत्य व रास किया गया। सभी ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की बधाई स्वरूप भोग स्वीकार किया। चौधरी बगान, हरमू रोड स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान में हर्ष व उमंग उत्साह का माहौल छाया रहा। उक्त कार्यकम में अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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