प्रभु श्रीराम के बाद अब माता सीता का भव्य मंदिर: सीतामढ़ी के पुनौराधाम में 882 करोड़ की लागत से बनेगा अद्भुत तीर्थ परिसर
पुनौराधाम, सीतामढ़ी से उठेगा जनकनंदिनी सीता की महागाथा का भव्य गान, 67 एकड़ में फैलेगा मंदिर परिसर, अगले वर्ष सावन तक होगा उद्घाटन
सीतामढ़ी। जिस धरती पर जनकनंदिनी माता सीता का जन्म हुआ, उसी पुण्यभूमि पर अब एक भव्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला रख दी गई है। अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है और अब बारी है बिहार के सीतामढ़ी की, जहां पुनौराधाम में माता सीता का भव्य मंदिर परिसर आकार लेगा। इस ऐतिहासिक परियोजना का भूमि पूजन और शिलान्यास आज 8 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ।
₹882 करोड़ की लागत से बनेगा 67 एकड़ में फैला भव्य परिसर
पुनौराधाम मंदिर परिसर का निर्माण 67 एकड़ भूमि में होगा। इसकी कुल लागत ₹882 करोड़ आंकी गई है और अधिकारियों का दावा है कि 42 सप्ताह में यह निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। ऐसे में वर्ष 2026 के सावन मास में इस भव्य परिसर का उद्घाटन संभव माना जा रहा है।
इस विशाल परियोजना के अंतर्गत न केवल मंदिर का निर्माण होगा, बल्कि श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा हेतु कई धार्मिक, सांस्कृतिक एवं नागरिक संरचनाएं भी बनाई जाएंगी। इसमें:
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मुख्य मंदिर,
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ध्यान केंद्र,
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पवित्र जलकुंड,
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धार्मिक संग्रहालय,
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आवासीय परिसर,
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प्रवेश द्वार व परिक्रमा पथ,
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विद्युत व जल आपूर्ति की विशेष व्यवस्था,
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और हजारों श्रद्धालुओं के लिए यात्री निवास व पार्किंग जोन का निर्माण शामिल है।
पुनौराधाम: श्रद्धा, इतिहास और संस्कृति का त्रिवेणी संगम
पुनौराधाम सिर्फ एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि हिंदू आस्था, भारतीय संस्कृति और मिथिला की विरासत का प्राण केंद्र है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा जनक ने जब पुनौराधाम की धरती पर हल चलाया था, तब उसी खेत से सीता जी प्रकट हुई थीं। यह स्थान, जहाँ माता सीता को धरणी पुत्री के रूप में पाया गया, आज करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है।
सीता जन्मस्थली पर भारत-नेपाल के बीच ऐतिहासिक विमर्श
गौरतलब है कि नेपाल के जनकपुर को भी माता सीता की जन्मस्थली के रूप में माना जाता है, और वहाँ भी एक प्राचीन जनक मंदिर स्थित है। परंतु भारतीय पुरातात्विक और पौराणिक दृष्टिकोण से बिहार के सीतामढ़ी जिले स्थित पुनौराधाम को सीता जी की वास्तविक जन्मस्थली माना गया है। अब जब केंद्र सरकार और बिहार सरकार ने इस स्थान के महत्त्व को मान्यता दी है, तो यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बनता जा रहा है।
अमित शाह ने क्या कहा?
शिलान्यास के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा — "यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना, मातृत्व की महत्ता और सनातन परंपरा का गौरवशाली प्रतीक होगा। जैसे राम मंदिर ने हमारी आस्था को मजबूती दी है, वैसे ही सीता मंदिर हमारी संस्कृति को संपूर्णता देगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि यह परियोजना 'श्रद्धा से स्वावलंबन' तक का एक मॉडल बनेगी, जिससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सीतामढ़ी और मिथिलांचल क्षेत्र के आर्थिक विकास का नया द्वार खुलेगा।
बदलती तस्वीर: धार्मिक पर्यटन के केंद्र बनेगा सीतामढ़ी
इस मंदिर के निर्माण के बाद सीतामढ़ी एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में उभरने की ओर अग्रसर होगा। अयोध्या, वाराणसी, गया, उज्जैन, और हरिद्वार की तर्ज पर पुनौराधाम को भी आध्यात्मिक विरासत के पथ पर वैश्विक पहचान मिलने की संभावना है। स्थानीय लोगों के लिए यह रोजगार, व्यवसाय और सम्मान का नया अवसर लेकर आएगा।
स्थानीय जनभावनाएं
पुनौराधाम गांव और आसपास के इलाकों में इस मंदिर की घोषणा के बाद से ही खुशी और गर्व का माहौल है। लोगों का कहना है कि दशकों से उपेक्षित इस धार्मिक स्थल को अब वो मान्यता मिल रही है जिसकी यह सदा से हकदार थी। गांव के बुजुर्गों की आंखों में आंसू हैं — यह आंसू श्रद्धा और संतोष के हैं।
प्रभु श्रीराम के बिना माता सीता अधूरी हैं और माता सीता के बिना प्रभु श्रीराम । अयोध्या के भगवान श्रीराम का मंदिर के बाद अब माता सीता मंदिर का निर्माण न केवल धार्मिक संतुलन की दृष्टि से आवश्यक था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पहचान की पुनःस्थापना का एक ऐतिहासिक अवसर है। यह मंदिर नारी शक्ति, त्याग और धर्म की प्रेरणादायी मिसाल बनेगा।
पुनौराधाम अब सिर्फ मिथिला का नहीं, पूरे हिंदुस्तान का गौरव बनेगा।

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