सरकारी कार्यालयों, 64 क्लस्टरों और सैकड़ों ग्राम संगठनों में आयोजित हुए श्रद्धांजलि कार्यक्रम
हजारों महिलाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने दी पुष्पांजलि
“दिशोम गुरु झारखंड की आत्मा और प्रेरणा” – एक स्वर में बोले लोग
राँची । राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं झारखंड आंदोलन के प्रणेता स्मृति शेष दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी को राँची जिला ने आज अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की। जिले के कोने-कोने में सरकारी कार्यालयों, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) के 64 क्लस्टरों और ग्राम संगठनों के माध्यम से सैकड़ों श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित हुईं।
इन सभाओं में स्वयं सहायता समूह (SHG) की हजारों दीदियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्थानीय नेताओं और आम नागरिकों ने शामिल होकर अपने प्रिय नेता को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
दिशोम गुरु: संघर्ष और त्याग की मिसाल
कार्यक्रमों में शामिल ग्रामीण महिलाओं और दीदियों ने कहा कि शिबू सोरेन केवल एक नेता नहीं थे, बल्कि गरीब, वंचित और आदिवासी समाज की आवाज थे। उनका संपूर्ण जीवन जल-जंगल-जमीन की लड़ाई, सामाजिक न्याय और ग्रामीण विकास के लिए समर्पित रहा।
एक दीदी ने भावुक स्वर में कहा – “दिशोम गुरु जी का संघर्ष और त्याग हमारी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने झारखंड के गठन के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया और हर वर्ग के अधिकारों के लिए आवाज उठाई।”
गांव-गांव में गूँजा उनका नाम
ग्राम संगठनों और क्लस्टरों में आयोजित सभाओं में महिलाओं ने कहा कि दिशोम गुरु की सादगी, जनता के प्रति समर्पण और समानता के लिए किए गए प्रयास आज भी गांव-गांव में गूंज रहे हैं। लोगों ने उन्हें “झारखंड की आत्मा” बताते हुए कहा कि उनके विचार और संकल्प हमेशा दिलों में जिंदा रहेंगे।
पुष्पांजलि और संकल्प
सभी स्थानों पर मौजूद लोगों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने कहा कि शिबू सोरेन का योगदान झारखंड के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। उनके आदर्श आज भी समाज को दिशा दिखा रहे हैं।
JSLPS और जिला प्रशासन की सक्रियता
श्रद्धांजलि सभाओं के आयोजन में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) ने सक्रिय भूमिका निभाई। संगठन से जुड़े ग्राम संगठन और स्वयं सहायता समूह न केवल कार्यक्रम का हिस्सा बने, बल्कि उन्होंने दिशोम गुरु के सपनों को पूरा करने के संकल्प को भी दोहराया।
जिला प्रशासन और सामाजिक संगठनों ने भी एक स्वर में कहा कि शिबू सोरेन का संघर्ष और विचार आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: