राँची। नववर्ष के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र चौधरी बागान, हरमू रोड में विशेष आध्यात्मिक सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित साधकों और नागरिकों को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि आज के समय में देवी शक्तियों के प्रतीकों को केवल पूजा-अर्चना तक सीमित न रखकर उनके वास्तविक अर्थ और जीवनोपयोगी संदेश को समझना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दुर्गा माता की अष्टभुजाएँ मात्र अलंकरण नहीं हैं, बल्कि वे सहनशक्ति, विवेकपूर्ण निर्णय क्षमता, परोपकारिता, निडरता, त्याग, सेवा, धैर्य और सत्यनिष्ठा जैसी आठ महान शक्तियों का प्रतीक हैं। जब इन गुणों को मनुष्य अपने जीवन में धारण करता है, तभी वास्तविक अर्थों में शक्ति स्वरूप बनता है।
गायत्री देवी की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि "गायत्री का तात्पर्य केवल मंत्रोच्चारण तक नहीं, बल्कि ऐसा जीवन जीने से है जिसमें मुख सदा प्रभु के गुणगान में रमा रहे और वाणी दूसरों के लिए हर्ष व प्रेरणा का कारण बने।"
इसी तरह शीतला देवी के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि "शीतला वह है, जो अपने आचरण, मधुर वाणी और ज्ञान के माध्यम से अशांत मनों को शीतल कर सके और समाज में शांति का संदेश फैला सके।"
ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने यह भी बताया कि सभी नौ देवियाँ परमात्मा के ज्ञान और पवित्रता की प्रतीक हैं। वे चेतन्य शिव शक्तियाँ हैं, जो पतित दुनिया के उद्धार और नई सृष्टि के निर्माण में सतत लगी हुई हैं। उनकी वास्तविक उपासना तभी है जब हम उनके गुणों को अपने जीवन में अपनाएँ और पवित्रता, सादगी, त्याग तथा तपस्या के मार्ग पर चलें।
उन्होंने कहा कि इन दिव्य गुणों के बल पर लाखों मानव जीवन बदले हैं और अनेक आत्माएँ सुख-शांति का अनुभव कर रही हैं। "सच्चा सुख और शांति तभी संभव है जब हम पाखंड और दिखावे से ऊपर उठकर सच्चाई को अपनाएँ और जीवन को ईश्वर के प्रति समर्पित करें।"
सभा के अंत में स्थानीय सेवा केन्द्र की बहनों ने सभी को नववर्ष की शुभकामनाएँ दीं और यह संकल्प दिलाया कि आने वाले वर्ष में सभी लोग आत्मिक उन्नति, सच्चाई और शांति के मार्ग पर अग्रसर होंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: