राँची में विश्व ध्यान दिवस पर ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन
राँची। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र, चौधरी बगान, हरमू रोड में आज विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर एक भव्य एवं प्रेरणादायी आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 21 दिसम्बर को “विश्व ध्यान दिवस” (World Meditation Day) घोषित किया गया है। इस वर्ष का वैश्विक थीम “आंतरिक शक्ति, वैश्विक सद्भाव” रखा गया, जो आज के अशांत और तनावग्रस्त विश्व में अत्यंत प्रासंगिक है।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें सभी अतिथियों ने सहभागिता की। वातावरण में शांति, सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव स्पष्ट रूप से महसूस किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अरविन्द चंद्र पाण्डेय ने कहा कि वर्तमान समय में पारिवारिक, सामाजिक और वैश्विक स्तर पर मानसिक चुनौतियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। तनाव, अवसाद, असहिष्णुता और असंतोष मानव जीवन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य के संरक्षण और संतुलन के लिए ध्यान एक उत्तम औषधि है। उन्होंने कहा कि ध्यान केवल एक आध्यात्मिक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित और सार्थक बनाने का वैज्ञानिक माध्यम भी है।
डॉ. रानी प्रगति, पूर्व विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान, राँची विश्वविद्यालय ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि आज की तेज़ रफ्तार और प्रतिस्पर्धा से भरी दुनिया में मनुष्य निरंतर तनाव और विकर्षणों से घिरा हुआ है। ऐसी परिस्थिति में ध्यान व्यक्ति को शांति, स्पष्टता और आंतरिक स्थिरता प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि ध्यान से व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
सभा में उपस्थित डॉ. प्रियंका श्रीवास्तव, स्त्री रोग विशेषज्ञ ने ध्यान के चिकित्सकीय लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मेडिटेशन मानव जीवन को तनाव, भय और चिंता से मुक्त करता है। यह वर्तमान क्षण में ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करता है तथा नकारात्मक और हीन भावनाओं को समाप्त कर मन को शांत एवं संतुलित बनाता है। उन्होंने बताया कि ध्यान श्वास की गति, हृदय की धड़कन और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी सहायक है, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कार्यक्रम में उपस्थित केरल स्कूल की शिक्षिका पदमा राय ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 दिसम्बर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किए जाने को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह तिथि चिंतन, नवीनीकरण और आंतरिक संतुलन के सर्वभौमिक विषयों से गहराई से जुड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि यह दिन वर्ष की सबसे लंबी रात और सबसे छोटा दिन होता है, जो इस बात का प्रतीक है कि अंधकार के बाद प्रकाश का उदय निश्चित है। यह ध्यान का एक सशक्त रूपक प्रस्तुत करता है, जो आंतरिक अराजकता से स्पष्टता और अज्ञान से ज्ञान की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।
केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा कि ध्यान एक प्राचीन और सार्वभौमिक अभ्यास है, जो विभिन्न आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से निहित है। यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक परिवर्तन का एक प्रभावशाली माध्यम है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा सिखाए जाने वाले राजयोग ध्यान के माध्यम से विश्वभर में लाखों लोगों को आंतरिक शांति, आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक विकास का अनुभव हुआ है।
उन्होंने बताया कि ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा प्रत्येक माह तीसरे रविवार को ‘विश्व शांति ध्यान’ का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश-विदेश के लोग एक साथ सामूहिक रूप से ध्यान कर विश्व में शांति और सकारात्मकता के प्रसार में योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि जब हम सामूहिक रूप से ध्यान करते हैं तो उसका प्रभाव केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं रहता, बल्कि संपूर्ण मानवता की सामूहिक चेतना को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह दिवस आत्मा, सर्वोच्च सत्ता और स्वयं के साथ गहरे जुड़ाव का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने आम नागरिकों से आह्वान किया कि ध्यान की विधि सीखने के लिए ब्रह्माकुमारी सेवाकेन्द्र, चौधरी बगान, हरमू रोड में प्रतिदिन निःशुल्क राजयोग ध्यान प्रशिक्षण उपलब्ध है, जो प्रातः 7:00 बजे से 10:00 बजे तक एवं सायं 3:30 बजे से 6:30 बजे तक दिया जाता है।
कार्यक्रम के दौरान गाइडेड मेडिटेशन के माध्यम से उपस्थित सभी लोगों ने सामूहिक रूप से राजयोग ध्यान का अभ्यास किया, जिससे वातावरण अत्यंत शांत और ऊर्जा से परिपूर्ण हो गया। साथ ही बालिकाओं द्वारा थीम आधारित मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी गई, जिसने कार्यक्रम को और भी भावपूर्ण एवं प्रेरणादायी बना दिया।
पूरे आयोजन ने यह संदेश दिया कि आंतरिक शांति के माध्यम से ही वैश्विक सद्भाव की स्थापना संभव है और ध्यान इस दिशा में एक सशक्त साधन है।
Reviewed by PSA Live News
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9:22:00 pm
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