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किशोरियों और युवतियों को सशक्त और स्वावलंबी बनाएगा ‘तेजस्विनी’

संपादक - अशोक झा।
रांची।  महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने कहा है कि किशोरियों और युवतियों के सामाजिक तथा आर्थिक सशक्तिकरण के लिए राज्य सरकार ने तेजस्विनी योजना शुरू की है. यह राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण एवं महत्वाकांक्षी योजना है।  डॉ मरांडी ने आज होटल कैपिटोल हिल में "तेजस्विनी परियोजना" को लेकर आयोजित एक दिवसीय कार्यान्वयन कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहीं। 

उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत 14 से 24 साल तक की किशोरियों को शिक्षित करने के साथ अब कौशल विकास का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।  इसका मकसद दूर-दराज के क्षेत्र में रहने वाली किशोरियों एवं युवतियों को समाज की मुख्यधारा में लाना और आर्थिक रुप से स्वावलंबन बनाना है।  इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से समाज में आमूलचुक बदलाव भी देखने को मिलेगा।  झारखंड को शिक्षित व स्वस्थ बनाने में भी यह कारगर साबित होगा।

डॉ मरांडी ने कार्यशाला में मौजूद अधिकारियों से कहा कि किशोरियों और युवतियों को सामाजिक-आर्थिक रुप से सशक्त बनाने के लिए चलाई जा रही तेजस्विनी परियोजना को सिर्फ सरकारी काम नहीं समझें।  समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें।  किशोरियों व युवतियों को स्वावलंबी बनाने में वे सरकारी कामकाज से आगे बढ़-चढ़कर कामकाज करें, ताकि तेजस्विनी परियोजना का मकसद हंड्रेड परसेंट पूरा हो।  उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस तरह का काम करने से उन्हें आत्मसंतोष मिलेगा।  उन्होंने अधिकारियों से कहा कि तेजस्विनी परियोजना के लिए उन्हें जो लक्ष्य दिया गया है, उसे ससमय पर पूरा करें।

डॉ मरांडी ने कहा कि तेजस्विनी परियोजना को कौशल विकास से भी जोड़ा जा रहा है. इस परियोजाना से जुड़ीं युवतियों और किशोरियों को कौशल विकास केंद्रों में उनकी रूचि के हिसाब से प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे स्वरोजगार के साथ आर्थिक रुप से स्वावलंबी बन सकें. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की किशोरियों एवं युवतियों को अपनी आकांक्षाओं को साकार करने का यह एक बेहद कारगर मिशन है. उन्होंने यह भी बताया कि ट्रैफिकिंग की शिकार किशोरियों को भी इस परियोजना से जोड़ा जा रहा है।

तेजस्विनी परियोजना के अंतर्गत शिक्षा से वंचित 14 से 24 वर्ष तक की किशोरियों को अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से 8वीं तथा 10वीं तक की पढ़ाई कराई जाएगी।  इसके साथ उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण भी
दिया जाएगा।  विश्व बैंक के सहयोग से शुरू की गई इस पांच वर्षीय परियोजना के लिए 540 करोड़ रुपए का बजट है।  शुरुआत में इस परियोजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दुमका और रामगढ़ जिले में शुरु किया गया था।  वहां इसके सफल क्रियान्वयन के बाद अब 17 जिलों में इसे लागू किया जा रहा है।  इन जिलों में लगभग 12 हजार तेजस्विनी केंद्र का गठन किय़ा जा रहा है और लगभग 10 लाख किशोरियों और युवतियों को इस परियोजना का लाभ पहुंचाया जाएगा।  फिलहाल 50 हजार किशोरियों को अनौपचारिक शिक्षा और 2 लाख युवतियों को कौशल विकास से जोड़ा जाएगा।

इस कार्यशाला में महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव श्री अमिताभ कौशल, झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी के मिशन निदेशक श्री रवि रंजन, झारखंड महिला विकास समिति के परियोजना निदेशक डॉ डीके सक्सेना, समाज कल्याण विभाग के निदेशक श्री मनोज कुमार व अन्य अधिकारियों समेत सभी जिलों से आए समाज कल्याण पदाधिकारी मौजूद थे।

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