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विश्व तंबाकू निषेध दिवस: “तंबाकू एक धीमा ज़हर है, इससे दूरी ही सुरक्षा है” – संजय सर्राफ

बच्चों को तंबाकू उद्योग के जाल से बचाना समय की सबसे बड़ी जरूरत


रांची (संवाददाता): 
झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रांतीय प्रवक्ता और हिंदी साहित्य भारती के उपाध्यक्ष संजय सर्राफ ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “तंबाकू एक धीमा ज़हर है, जिससे दूरी ही सुरक्षा है। इसे छोड़ना केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय उत्तरदायित्व भी है।”

हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर तंबाकू सेवन से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य खतरों के प्रति जागरूकता फैलाना और इसकी रोकथाम को प्रोत्साहित करना है। यह दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पहल पर वर्ष 1987 में शुरू किया गया था और तब से यह जन-स्वास्थ्य चेतना के एक मजबूत अभियान का रूप ले चुका है।

तंबाकू – एक वैश्विक और राष्ट्रीय संकट

संजय सर्राफ ने कहा कि तंबाकू का सेवन चाहे धूम्रपान के रूप में हो या गुटखा, पान मसाला, खैनी जैसे उत्पादों के माध्यम से, यह मानव शरीर को अंदर से धीरे-धीरे नष्ट कर देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर वर्ष 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु तंबाकूजनित बीमारियों से होती है, जिनमें से लगभग 12 लाख लोग ऐसे होते हैं जो स्वयं तंबाकू का सेवन नहीं करते, बल्कि दूसरों के धुएं (पैसिव स्मोकिंग) के शिकार होते हैं।

भारत जैसे विकासशील देश में यह स्थिति और भी भयावह है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS) 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की लगभग 28.6% वयस्क आबादी तंबाकू का नियमित सेवन करती है। यह आंकड़ा न सिर्फ स्वास्थ्य पर, बल्कि देश की आर्थिक संरचना पर भी गंभीर बोझ डालता है। तंबाकूजनित बीमारियों के इलाज में हर साल अरबों रुपये खर्च होते हैं और लाखों परिवार गरीबी, बेरोजगारी और असमय मृत्यु के शिकार बनते हैं।

2024 की थीम: “बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना”

इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 की थीम है – “Protecting Children from Tobacco Industry Interference” (बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना)।
यह विषय इस ओर इशारा करता है कि कैसे तंबाकू कंपनियाँ युवाओं को निशाना बना रही हैं — आकर्षक विज्ञापन, चॉकलेट जैसे स्वाद, मोबाइल गेम्स में ब्रांड प्रचार और सोशल मीडिया के ज़रिए एक नयी पीढ़ी को नशे के दलदल में धकेला जा रहा है।

संजय सर्राफ ने कहा कि यदि हमने अभी हस्तक्षेप नहीं किया, तो हमारी अगली पीढ़ी गंभीर संकट में फंस जाएगी। उन्होंने सरकार, शिक्षण संस्थानों, सामाजिक संगठनों और मीडिया से अपील की कि वे बच्चों और युवाओं को इस संकट से बचाने के लिए एक संयुक्त मोर्चा तैयार करें।

तंबाकू नियंत्रण के लिए उठाए जाने वाले अहम कदम:

  1. जन-जागरूकता अभियान का विस्तार ग्रामीण क्षेत्रों तक करना।
  2. शैक्षणिक संस्थानों में तंबाकू विरोधी शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना।
  3. तंबाकू उत्पादों पर सख्त कानूनी नियंत्रण और भारी जुर्माना लगाना।
  4. धूम्रपान निषेध क्षेत्रों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराना।
  5. नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या और पहुंच में विस्तार करना।
  6. मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से सकारात्मक संदेश प्रसारित करना।

“तंबाकू से नहीं, जिंदगी से प्यार करें”

संजय सर्राफ ने कहा कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस केवल एक प्रतीकात्मक दिन नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक और मानवीय संकल्प का अवसर है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे स्वयं तंबाकू से दूर रहें और दूसरों को भी इसके खतरों से अवगत कराएँ। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम बच्चों को एक स्वस्थ, स्वच्छ और सुरक्षित भविष्य दें।

उन्होंने कहा, “स्वस्थ जीवन ही सच्चा जीवन है। तंबाकू न सिर्फ एक आदत है, बल्कि यह मौत का सामान है। आज यदि हमने सचेत कदम नहीं उठाए, तो कल बहुत देर हो जाएगी।”

विश्व तंबाकू निषेध दिवस: “तंबाकू एक धीमा ज़हर है, इससे दूरी ही सुरक्षा है” – संजय सर्राफ विश्व तंबाकू निषेध दिवस: “तंबाकू एक धीमा ज़हर है, इससे दूरी ही सुरक्षा है” – संजय सर्राफ Reviewed by PSA Live News on 4:56:00 pm Rating: 5

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