झारखंड में नकली दवाओं का महाघोटाला: स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल, ड्रग माफिया और अधिकारी गठजोड़ से आम जनजीवन खतरे में
रांची/पलामू। झारखंड में नकली दवाओं का कारोबार कोई नया नहीं, लेकिन हालिया घटनाएं बता रही हैं कि अब यह रैकेट सीधे सरकारी अस्पतालों तक अपनी जड़ें फैला चुका है। पलामू के एमएससीएच अस्पताल में बड़ी मात्रा में नकली दवाओं की आपूर्ति की पुष्टि के बावजूद अब तक दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होना राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। इस मामले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार और स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता पर तीखा हमला बोला है।
भाकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य एवं पलामू जिला सचिव अजय सिंह ने कहा कि अस्पताल में सप्लाई की गई 20 में से 18 दवाएं नकली पाई गईं। बावजूद इसके, सिविल सर्जन पलामू द्वारा संबंधित सप्लायर को केवल दवा बदलने का मौका देना और क्लीन चिट दे देना यह साबित करता है कि सिविल सर्जन और अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत इस घोटाले में स्पष्ट है।
गंभीर आरोप: गुजरात की फार्मा कंपनी और सप्लायर की भूमिका संदिग्ध
जांच में सामने आया कि जिस फार्मा कंपनी ने दवाएं भेजी, वह गुजरात की एक संदिग्ध कंपनी है। प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के बावजूद न तो सप्लायर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और न ही कंपनी पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई की गई। यह पूरे तंत्र में गहरी सांठगांठ का संकेत है।
पुराने घोटाले फिर चर्चा में
सीपीआई ने याद दिलाया कि कोविड काल के दौरान रांची के सदर अस्पताल परिसर में ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय से नकली दवाओं के सैंपल की चोरी हो चुकी है। उस समय भी भाकपा प्रतिनिधियों ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मिलकर ड्रग माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। मंत्री ने जांच समिति गठित करने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया।
जनता के जीवन से हो रहा खिलवाड़
राज्य के सैकड़ों सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन हजारों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। अगर उन्हें नकली दवाएं दी जा रही हैं तो यह सीधे-सीधे आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ है। स्वास्थ्य विभाग, दवा कंपनियां, सप्लायर, और जिला प्रशासन इस पूरे षड्यंत्र में लिप्त नजर आ रहे हैं।
सीपीआई की मांग: अपराधियों पर हो प्राथमिकी दर्ज
भाकपा ने साफ तौर पर कहा है कि दोषी सप्लायर, ड्रग कंट्रोलर, इंस्पेक्टर और अन्य स्वास्थ्य पदाधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए। साथ ही, तत्काल प्रभाव से इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए।
सीधे सवाल हेमंत सरकार से
सीपीआई ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि इस गोरखधंधे पर संज्ञान लें और ड्रग माफियाओं व भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करें, ताकि राज्य की जनता के जीवन से हो रहा यह अमानवीय खिलवाड़ रोका जा सके।

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