नई दिल्ली । देश की सुरक्षा रणनीति में एक ऐतिहासिक अध्याय जोड़ते हुए भारत सरकार ने 'ऑपरेशन शील्ड' के तहत पंजाब, राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और चंडीगढ़ में वृहद स्तर पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया। इस अभ्यास का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को युद्ध जैसी स्थितियों, हवाई हमले और आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए जागरूक और प्रशिक्षित करना रहा। मॉक ड्रिल के दौरान जब सायरन गूंजे और ब्लैकआउट की कार्रवाई हुई, तो इसका असर सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहा—सीमा पार बैठे पाकिस्तान में बेचैनी और खलबली मच गई।
सीमाओं पर तैयारी, भीतर आत्मबल
यह मॉक ड्रिल पाकिस्तान की सीमा से सटे संवेदनशील इलाकों में आयोजित की गई, जहाँ युद्धकालीन परिदृश्य की हूबहू नकल प्रस्तुत की गई। अभ्यास के दौरान सायरन बजाए गए, ब्लैकआउट किया गया, आपात चिकित्सा, सुरक्षित बंकरों में पहुंचने और रेस्क्यू ऑपरेशन का लाइव प्रदर्शन किया गया। इसका उद्देश्य जनता को न सिर्फ सतर्क बनाना था, बल्कि उन्हें संभावित खतरे से निपटने में सक्षम बनाना भी था।
ऑपरेशन शील्ड: सुरक्षा की नई परिभाषा
पहले यह अभ्यास गुरुवार को प्रस्तावित था, लेकिन प्रशासनिक कारणों से इसे शनिवार (31 मई) को आयोजित किया गया। यह पहली बार है जब पाकिस्तान के साथ सीजफायर के बाद इतने व्यापक पैमाने पर मॉक ड्रिल की गई है। यह सिर्फ एक अभ्यास नहीं बल्कि रणनीतिक संकेत है कि भारत अब हर चुनौती से मुकाबले को पूरी तरह तैयार है।
पंजाब के अमृतसर में युद्ध जैसी तैयारी
अमृतसर में आयोजित मॉक ड्रिल के दौरान स्थानीय निवासियों को सिखाया गया कि धमाके या हवाई हमले के समय कैसे तुरंत सेफ जोन की ओर जाना, झुककर चलना, और बंकर में सुरक्षित रहना है। साथ ही, घायलों को प्राथमिक चिकित्सा देना, नागरिक बचाव दलों की भूमिका, वायुसेना व जिला प्रशासन के समन्वय को भी विस्तार से प्रदर्शित किया गया।
राजस्थान: जैसलमेर और अजमेर में सघन रिहर्सल
जैसलमेर में बीएसएफ के डीआईजी योगेंद्र सिंह राठौर ने अभ्यास का निरीक्षण करते हुए कहा:
"यह मॉक ड्रिल नागरिकों को जागरूक करने की दिशा में बड़ा कदम है। हमारी सीमा चौकस है, लेकिन आंतरिक सुरक्षा में जनता की भूमिका अहम है।"
अजमेर में मॉक ड्रिल के दौरान जैसे ही सायरन बजे, एयर स्ट्राइक की सूचना दी गई और एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें तुरंत सक्रिय हुईं। घायल दिखाए गए नागरिकों को सुरक्षित रूप से चिकित्सा केंद्र तक पहुंचाने का अभ्यास किया गया।
जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर से अखनूर तक सैन्य-सिविल समन्वय
श्रीनगर के डीसी ऑफिस में भी ऑपरेशन शील्ड के तहत मॉक ड्रिल का आयोजन हुआ। वहीं अखनूर में एसडीएम मुख्तार अहमद ने कहा:
"हाल ही में हुई सीमा पार गोलाबारी के मद्देनजर यह अभ्यास आवश्यक था। इससे आम लोगों को संकट की स्थिति में सही कदम उठाने की जानकारी दी जा रही है।"
हरियाणा, गुजरात और चंडीगढ़ में रणनीतिक चेतना का विस्तार
हरियाणा और गुजरात के सीमावर्ती इलाकों में स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, आपदा प्रबंधन टीमों और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई देखी गई। वहीं चंडीगढ़, जो कि सामरिक दृष्टि से केंद्र बिंदु है, वहां कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम को सक्रिय कर एक डिजिटल इमरजेंसी रेस्पॉन्स सिस्टम का प्रदर्शन भी किया गया।
पाकिस्तान में तनाव और सन्नाटा
भारत के इस व्यापक सैन्य-नागरिक अभ्यास की खबर से पाकिस्तानी सेना और मीडिया में बेचैनी का माहौल है। सीमापार खुफिया एजेंसियों ने भारत के इस कदम को मनोवैज्ञानिक दबाव की रणनीति करार दिया है। पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर #IndiaDrillAlert जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जो उनकी असहजता को दर्शाते हैं।
ड्रिल का उद्देश्य: सजग नागरिक, सुरक्षित भारत
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युद्ध जैसी स्थिति में नागरिकों को बचाव का प्रशिक्षण देना
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सेना और सिविल प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना
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आपात चिकित्सा और ब्लैकआउट प्रक्रिया का वास्तविक मूल्यांकन
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दुश्मन देश को स्पष्ट संदेश देना कि भारत अब तैयार है
यह सिर्फ ड्रिल नहीं, चेतावनी है
ऑपरेशन शील्ड के माध्यम से भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह केवल कूटनीतिक स्तर पर ही नहीं, जमीनी स्तर पर भी हर संकट से लड़ने के लिए तैयार है। सीमाएं सिर्फ सेनाओं से नहीं, बल्कि सजग नागरिकों से भी मजबूत होती हैं—और इस मॉक ड्रिल ने यही संदेश पूरे देश और दुश्मन को दिया है।
रिपोर्ट: PSA Live News | राष्ट्रीय सुरक्षा डेस्क
संपादन: अशोक कुमार झा, प्रधान संपादक – Ranchi Dastak एवं PSA Live News

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