झारखंड सरकार की पहल से कुवैत में दिवंगत प्रवासी श्रमिक श्री रामेश्वर महतो का पार्थिव शरीर स्वदेश लाया गया
गुरुवार 31 जुलाई को रांची एयरपोर्ट पहुँचा शव, प्रशासन ने की हजारीबाग तक एम्बुलेंस व्यवस्था
राँची, 31 जुलाई। झारखंड सरकार की त्वरित पहल और प्रभावी समन्वय के चलते कुवैत में कार्यरत हजारीबाग निवासी प्रवासी श्रमिक श्री रामेश्वर महतो का पार्थिव शरीर आज स्वदेश पहुँचा। गुरुवार अपराह्न 3:45 बजे बिरसा मुंडा हवाई अड्डा, राँची पर शव को मृतक के पुत्र श्री किशोर महतो एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी, विष्णुगढ़ श्री अखिलेश कुमार ने प्राप्त किया। इसके बाद जिला प्रशासन द्वारा पार्थिव शरीर को हजारीबाग जिले के ग्राम बंडखरो, प्रखंड विष्णुगढ़ स्थित उनके पैतृक घर पहुँचाने हेतु एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई।
12 वर्षों से कुवैत में कर रहे थे काम
जानकारी के अनुसार, स्व. रामेश्वर महतो बीते 12 वर्षों से कुवैत की M/s IMCO Engineering & Construction Company में कार्यरत थे। 15 जून 2025 को हृदय और श्वसन गति रुकने के कारण उनका आकस्मिक निधन हो गया।
परिवार की गुहार पर तुरंत हरकत में आया प्रवासी नियंत्रण कक्ष
स्व. महतो की पत्नी श्रीमती प्रमिला देवी ने 19 जून 2025 को राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष, राँची को आवेदन देकर पार्थिव शरीर को स्वदेश लाने की अपील की थी। इसके बाद श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग के अधीन नियंत्रण कक्ष ने तुरंत भारतीय दूतावास, कुवैत और Protector of Emigrants, राँची से संपर्क साधा।
भुगतान के मसले से अटका रहा मामला
प्रारंभ में परिजनों ने कंपनी से अंतिम भुगतान प्राप्त किए बिना शव स्वीकारने से इनकार कर दिया था। इससे प्रक्रिया में कुछ दिनों का विलंब हुआ। लगातार वार्ता और प्रशासनिक पहल के बाद, 27 जुलाई को उपायुक्त, हजारीबाग के स्तर से परिजनों की सहमति प्राप्त की गई और भारतीय दूतावास, कुवैत को औपचारिक अनुरोध भेजा गया।
दूतावास और कंपनी के सहयोग से पूरी हुई प्रक्रिया
28 जुलाई को कंपनी ने आवश्यक प्रक्रिया शुरू की और मात्र तीन दिनों के भीतर 31 जुलाई को पार्थिव शरीर भारत पहुँचा। पूरे प्रकरण में झारखंड सरकार, जिला प्रशासन, भारतीय दूतावास और संबंधित एजेंसियों की सक्रियता महत्वपूर्ण रही।
परिवार को मिलेगा न्यायोचित मुआवजा
राज्य सरकार ने आश्वस्त किया है कि परिवार को न्यायोचित मुआवजा एवं अन्य कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि परिजनों को आर्थिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर सहारा मिल सके।

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