लातेहार स्कूल में यौन हिंसा पर बवाल: भाजपा ने राज्य सरकार पर बोला तीखा हमला, हाईकोर्ट निगरानी में जांच की मांग
– दोषी पदाधिकारियों पर पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत हो सख्त कार्रवाई: अजय साह
– शिक्षा सचिव और जिला प्रशासन पर लीपापोती का आरोप, ऑडियो क्लिप में छात्राओं के गंभीर खुलासे
– भाजपा ने कहा– क्या अब अफसर ही पॉक्सो कोर्ट का काम करेंगे?
रांची/लातेहार । लातेहार जिले के एक प्रतिष्ठित मिशनरी स्कूल में सामने आए मास लेवल यौन शोषण के मामले ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड सरकार पर तीखा हमला करते हुए उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच की मांग की है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि राज्य के आला अधिकारी, विशेषकर शिक्षा विभाग और लातेहार जिला प्रशासन, पूरे प्रकरण को दबाने में जुटे हैं।
आज राजधानी रांची स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित एक विशेष प्रेस वार्ता में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह मामला न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि कानून और संवैधानिक संस्थाओं की खुली अवहेलना भी है।
भाजपा प्रवक्ता ने लगाए गंभीर आरोप:
अजय साह ने कहा कि इस मामले में पॉक्सो एक्ट की धारा 19 और 21 के तहत जो कर्तव्य सरकारी पदाधिकारियों पर हैं, उसका घोर उल्लंघन हुआ है। उन्होंने बताया कि यदि किसी को नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न की जानकारी होती है तो उसे 24 घंटे के भीतर लिखित सूचना पुलिस को देना अनिवार्य है। इसके बाद पुलिस को यह मामला सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) और पॉक्सो कोर्ट में प्रस्तुत करना होता है।
उन्होंने उच्चतम न्यायालय के ‘शंकर किसनराव खाडे बनाम महाराष्ट्र राज्य’ मामले का हवाला देते हुए कहा कि यदि यौन हिंसा की जानकारी होने के बावजूद किसी ने लिखित सूचना नहीं दी, तो वह स्वयं अपराध का भागीदार बन जाता है और उस पर पॉक्सो की धारा 21 के तहत मामला दर्ज होना चाहिए।
ऑडियो क्लिप में छात्राओं के खुलासे:
प्रेस वार्ता के दौरान अजय साह ने एक ऑडियो क्लिप भी जारी की, जिसमें कथित तौर पर पीड़ित छात्राएं बता रही हैं कि स्कूल में पदस्थ एक फादर पिछले दो वर्षों से कई छात्राओं के साथ यौन शोषण कर रहा है। इसके बावजूद, न तो कोई प्राथमिकी दर्ज की गई और न ही मामले को सीडब्ल्यूसी या पॉक्सो कोर्ट में भेजा गया।
अजय साह ने तीखे स्वर में पूछा:
“क्या अब झारखंड में अफसर ही पॉक्सो कोर्ट का काम करेंगे? किस अधिनियम के तहत शिक्षा सचिव या अन्य अधिकारी स्वयं ही जांच और निर्णय करने लगे हैं? यह न्यायिक प्रक्रिया का उपहास है।”
हाई कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग:
भाजपा प्रवक्ता ने स्पष्ट कहा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच तभी संभव है जब झारखंड उच्च न्यायालय की ‘जुवेनाइल जस्टिस कम पॉक्सो कमिटी’ की निगरानी में जांच हो। उन्होंने सरकार से मांग की कि—
- तत्काल पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए।
- पीड़ित छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और उनका बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया जाए।
- जो भी सरकारी अधिकारी इस मामले को दबाने या देरी करने में संलिप्त पाए जाएं, उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21 और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
विपक्ष का बड़ा सवाल: "बेटी बचाओ" सिर्फ नारा बनकर रह गया?
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार और झारखंड प्रशासन बाल सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर पूरी तरह से असंवेदनशील हो चुकी है। "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" जैसे नारों को जमीन पर अमल में लाने के बजाय राज्य सरकार अपने चहेते संस्थानों और अधिकारियों को बचाने में लगी है।
भाजपा ने यह सवाल भी उठाया कि जब पीड़ित छात्राओं ने खुद खुलकर अपनी बात कही है, तो अब तक कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? क्या कोई बड़ा दबाव काम कर रहा है?
लातेहार प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल:
मामला उजागर होने के बाद भी लातेहार जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और बाल संरक्षण इकाइयों की ओर से कोई ठोस बयान या कार्रवाई सामने नहीं आई है। इससे यह आशंका और मजबूत हो रही है कि कहीं न कहीं, प्रशासनिक स्तर पर मामले को दबाने या दिशा बदलने की कोशिश हो रही है।
राज्यपाल या मानवाधिकार आयोग की हो पहल?
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यह मांग भी उठ रही है कि राज्यपाल, राष्ट्रीय महिला आयोग, या राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। यदि जल्द कार्रवाई नहीं होती, तो इस मामले में केंद्र सरकार की सीबीआई जांच की भी मांग उठ सकती है।
लातेहार स्कूल कांड ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या झारखंड में बच्चियों की सुरक्षा, संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा और न्यायिक प्रक्रिया पर सरकार की निष्ठा अब भी बची है या नहीं। भाजपा की ओर से उठाए गए सवालों और आरोपों ने राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाती है — दोषियों को बचाने का या न्याय सुनिश्चित करने का।

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