डिलीवरी बॉय से JPSC अधिकारी तक का सफर: संघर्ष की मिसाल बने राजेश रजक, पूरे झारखंड को किया गौरवान्वित
रांची। झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की हालिया परीक्षा परिणामों में एक नाम हर किसी की जुबां पर है — राजेश रजक। रांची की सड़कों पर कभी डिलीवरी बॉय की नौकरी करने वाले राजेश ने इस कठिन प्रतियोगिता में सफलता पाकर एक नई मिसाल कायम कर दी है। उनका जीवन न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि यदि मन में संकल्प हो, तो कोई भी बाधा मार्ग में रोड़ा नहीं बन सकती।
राजेश रजक मूल रूप से हज़ारीबाग़ ज़िले के बरकट्ठा प्रखंड के निवासी हैं। उनका पारिवारिक जीवन बेहद साधारण और संघर्षों से भरा रहा। पिता का निधन बचपन में ही हो गया था, जिससे परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारी मां के कंधों पर आ गई। राजेश की मां एक सरकारी विद्यालय में रसोइया (मिड-डे मील वर्कर) के रूप में कार्य करती हैं और उनके बड़े भाई मुंबई में मज़दूरी करके घर चलाने में सहयोग करते हैं।
इन विषम परिस्थितियों में भी राजेश ने कभी हार नहीं मानी। आर्थिक तंगी के चलते उन्हें रांची में डिलीवरी बॉय की नौकरी करनी पड़ी, ताकि पढ़ाई का खर्च उठा सकें। दिन में खाना पहुंचाने का काम और रात में किताबों से दोस्ती—यही उनकी दिनचर्या थी। न तो सुविधाएं थीं, न कोई गाइडेंस, फिर भी उन्होंने आत्मविश्वास नहीं खोया।
राजेश कहते हैं, "मैंने ठान लिया था कि मुझे कुछ बड़ा करना है। कई बार लगा कि अब नहीं हो पाएगा, पर मां का चेहरा और संघर्ष याद आते ही मैं फिर से जुट जाता था।"
राजेश की यह सफलता केवल उनकी नहीं है, बल्कि हर उस युवा की उम्मीद है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखता है। उन्होंने साबित कर दिया कि प्रतियोगी परीक्षाएं पैसे और सुविधा से नहीं, बल्कि दृढ़ निश्चय, अनुशासन और आत्मविश्वास से जीती जाती हैं।
JPSC परीक्षा में सफलता पाने के बाद अब राजेश प्रशासनिक सेवा में योगदान देंगे। वह कहते हैं कि "मेरी पहली प्राथमिकता होगी कि मैं गांव-देहात के गरीब, वंचित और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए कुछ कर सकूं। जो मैंने सहा है, वह और किसी को न सहना पड़े, यही मेरी कोशिश रहेगी।"
उनकी इस ऐतिहासिक सफलता पर पूरे गांव में जश्न का माहौल है। गांववालों ने मिठाइयां बांटीं और मां को फूल-मालाओं से सम्मानित किया। सोशल मीडिया पर लोग राजेश को 'संघर्ष की मिसाल' कहकर बधाई दे रहे हैं।
राजेश की यह कहानी उन तमाम युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो संसाधनों की कमी को अपनी सबसे बड़ी बाधा मानते हैं। उनका जीवन संदेश देता है—
"सपने उन्हीं के पूरे होते हैं, जो उन्हें खुली आंखों से देखते हैं और उन्हें सच करने के लिए दिन-रात एक कर देते हैं।"
राजेश रजक को सलाम और ढेरों बधाइयां!
उनके परिवार के संघर्ष, उनकी मां की तपस्या और उनके अपने धैर्य को पूरा झारखंड नमन करता है।
(PSA Live News | संपादक – अशोक कुमार झा)

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