पटना। बिहार सरकार ने राज्य की आर्थिक रीढ़ को मजबूत करने और प्रशासनिक पारदर्शिता को नई दिशा देने के लिए ‘राजस्व महाअभियान 2025’ की शुरुआत की है। यह अभियान न केवल राजस्व वसूली बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि भूमि प्रबंधन, कर संग्रह, पंजीकरण प्रणाली, और डिजिटलीकरण के माध्यम से आम नागरिकों को पारदर्शी, त्वरित और सरल सेवाएं देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अभियान की पृष्ठभूमि
बिहार में लंबे समय से भूमि विवाद, संपत्ति पंजीकरण में देरी, कर वसूली में अनियमितता और राजस्व से जुड़ी भ्रष्टाचार की शिकायतें रही हैं। राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए राजस्व संग्रह बढ़ाना अनिवार्य हो गया था। इसी आवश्यकता को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने यह व्यापक महाअभियान शुरू किया है।
मुख्य उद्देश्य
-
राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी – राज्य की आय का सबसे बड़ा स्रोत भूमि राजस्व, पंजीकरण शुल्क और विभिन्न कर हैं। इनकी वसूली में पारदर्शिता और दक्षता लाना प्राथमिक लक्ष्य है।
-
भूमि विवादों का समाधान – भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और सत्यापन से वर्षों पुराने विवादों का निपटारा।
-
कर चोरी पर रोक – डिजिटल निगरानी, ऑनलाइन भुगतान और रियल-टाइम रिपोर्टिंग से कर चोरी की संभावनाएं कम करना।
-
पारदर्शी पंजीकरण प्रक्रिया – संपत्ति पंजीकरण, म्यूटेशन और जमाबंदी जैसे कार्य अब तेज और भ्रष्टाचारमुक्त तरीके से होंगे।
-
जनसहभागिता – नागरिकों को जागरूक कर स्वेच्छा से राजस्व जमा करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना।
अभियान की प्रमुख विशेषताएं
-
डिजिटल भूमि रिकॉर्ड (DLR) – सभी जमीन के रिकॉर्ड का ऑनलाइन पोर्टल, जिसमें मालिकाना हक, रकबा, नक्शा और पिछले लेन-देन की जानकारी उपलब्ध होगी।
-
ई-रजिस्ट्रेशन – संपत्ति की खरीद-बिक्री का पंजीकरण पूरी तरह ऑनलाइन, जिसमें बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य।
-
मोबाइल राजस्व सेवा केंद्र – ग्रामीण इलाकों में मोबाइल वैन के जरिए मौके पर ही पंजीकरण और कर भुगतान की सुविधा।
-
राजस्व अदालतों का समयबद्ध निपटारा – लंबित मामलों के लिए विशेष सुनवाई सप्ताह और फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया।
-
ऑनलाइन भुगतान – सभी प्रकार के कर, शुल्क और जुर्माने का भुगतान अब यूपीआई, नेटबैंकिंग और मोबाइल वॉलेट से किया जा सकेगा।
-
जनता दरबार और शिकायत निवारण पोर्टल – लोग सीधे अपनी शिकायतें दर्ज कर स्थिति की निगरानी कर सकेंगे।
सरकार की अपेक्षित उपलब्धियां
-
2025-26 वित्तीय वर्ष में राजस्व संग्रह में 20% से अधिक वृद्धि का लक्ष्य।
-
भूमि विवादों के निपटारे में 50% की तेजी।
-
संपत्ति पंजीकरण में लगने वाला समय औसतन 21 दिन से घटाकर 3 दिन करना।
-
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में कर भुगतान करने वाले लोगों की संख्या में 30% वृद्धि।
चुनौतियां
-
ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी।
-
भ्रष्टाचार और पुराने सिस्टम से लाभ लेने वाले तत्वों का विरोध।
-
भूमि अभिलेखों की ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने में समय और संसाधन की आवश्यकता।
-
इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या, खासकर सीमावर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में।
आर्थिक और सामाजिक असर
‘राजस्व महाअभियान 2025’ से केवल सरकारी आय में वृद्धि ही नहीं होगी, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। किसानों और जमीन मालिकों को सही रिकॉर्ड मिलने से उन्हें बैंक ऋण और सरकारी योजनाओं का लाभ समय पर मिल सकेगा। पारदर्शी व्यवस्था से भ्रष्टाचार घटेगा और प्रशासन पर जनता का भरोसा बढ़ेगा।
राजनीतिक महत्व
नीतीश कुमार सरकार इसे अपनी गुड गवर्नेंस की पहचान बनाने की कोशिश में है। राजस्व सुधारों से मिलने वाली आर्थिक मजबूती राज्य को विकास परियोजनाओं के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराएगी, जो आने वाले चुनावों में राजनीतिक पूंजी में भी तब्दील हो सकती है।
‘राजस्व महाअभियान 2025’ बिहार को आर्थिक स्वावलंबन और पारदर्शिता की दिशा में आगे बढ़ाने का एक साहसिक प्रयास है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया गया, तो यह राज्य के विकास मॉडल का एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। यह अभियान दिखाता है कि प्रशासनिक सुधार, डिजिटल क्रांति और जनसहभागिता से किसी भी राज्य की तस्वीर बदली जा सकती है।

कोई टिप्पणी नहीं: